पिछले साठ सालों से शिरडी साई ट्रस्ट एक मुस्लिम फ़क़ीर साई बाबा उर्फ
चांदमियाँ को ना केवल हिंदू ब्राह्मण साबित करने का कुत्सित प्रयास कर
रहा है बल्कि अवतार प्रमाणित करने मे लगा हुआ है .धर्म का मूल उद्देश्य
ही सत्य की खोज है .उस आस्था का क्या मूल्य जो झूठ और कपट के सहारे
खड़ी हुई हो .सत्य तो यह है कि मौला साई के ९९ % भक्तों को उनकी असलियत
के बारे मे कुछ मालूम ही नहीं है . मौला साई के जीवन के बारे मे सबसे
प्रामाणिक जानकारी उनके सेवक गोविंदराव दाभोलकर की पुस्तक "'साई
सतचरित्र "" मे मिलती है . यह पुस्तक स्वयं मौला साई के द्वारा ही
लिखी मानी जाती है क्योंकि गोविंद राव ने जब बाबा से उनकी जीवनी लिखने
की आज्ञा माँगी तो बाबा ने उन्हे आशीर्वाद देते हुए कहा कि "" मैं
तुम्हारे अंतकरण मे प्रकट होकर स्वयं ही अपनी जीवनी लिखूंगा "".गोविंद
राव ने मस्जिद मे होने वाली घटनाओ को संकलित कर सर्वप्रथम मराठी मे
पुस्तक लिखी . यही वह पुस्तक है जिसके बल पर चाँदमियाँ को महिमामंडित
किया गया है . प्रस्तुत लेख मे साई सतचरित्र पुस्तक के उन तथ्यों को लिखा
गया है जो साबित करते हैं कि साई बाबा कट्टर मुस्लिम थे .इस लेख का मूल
उद्देश्य सत्य को प्रकट करना है .
१ :: साई बाबा सारा जीवन मस्जिद मे रहे ( पुस्तक मे हर जगह इस बात का उल्लेख है)
नोट :: मौला साई लगभग पेंसठ वर्ष तक शिर्डी मे रहे पर एक भी रात उन्होने
किसी हिंदू मंदिर मे नही गुज़ारी
चांदमियाँ को ना केवल हिंदू ब्राह्मण साबित करने का कुत्सित प्रयास कर
रहा है बल्कि अवतार प्रमाणित करने मे लगा हुआ है .धर्म का मूल उद्देश्य
ही सत्य की खोज है .उस आस्था का क्या मूल्य जो झूठ और कपट के सहारे
खड़ी हुई हो .सत्य तो यह है कि मौला साई के ९९ % भक्तों को उनकी असलियत
के बारे मे कुछ मालूम ही नहीं है . मौला साई के जीवन के बारे मे सबसे
प्रामाणिक जानकारी उनके सेवक गोविंदराव दाभोलकर की पुस्तक "'साई
सतचरित्र "" मे मिलती है . यह पुस्तक स्वयं मौला साई के द्वारा ही
लिखी मानी जाती है क्योंकि गोविंद राव ने जब बाबा से उनकी जीवनी लिखने
की आज्ञा माँगी तो बाबा ने उन्हे आशीर्वाद देते हुए कहा कि "" मैं
तुम्हारे अंतकरण मे प्रकट होकर स्वयं ही अपनी जीवनी लिखूंगा "".गोविंद
राव ने मस्जिद मे होने वाली घटनाओ को संकलित कर सर्वप्रथम मराठी मे
पुस्तक लिखी . यही वह पुस्तक है जिसके बल पर चाँदमियाँ को महिमामंडित
किया गया है . प्रस्तुत लेख मे साई सतचरित्र पुस्तक के उन तथ्यों को लिखा
गया है जो साबित करते हैं कि साई बाबा कट्टर मुस्लिम थे .इस लेख का मूल
उद्देश्य सत्य को प्रकट करना है .
१ :: साई बाबा सारा जीवन मस्जिद मे रहे ( पुस्तक मे हर जगह इस बात का उल्लेख है)
नोट :: मौला साई लगभग पेंसठ वर्ष तक शिर्डी मे रहे पर एक भी रात उन्होने
किसी हिंदू मंदिर मे नही गुज़ारी
२ :: अल्लाह मालिक सदा उनके ज़ुबान पर था वो सदा अल्लाह मालिक पुकारते
रहते ( पूरी पुस्तक मे जगह जगह इस बात का उल्लेख है )
नोट :: मौला साई के मुख से कभी जय श्रीराम ,हर हर महादेव या जय माता दी
नहीं निकलता था. ना ही कभी वो ओम का उच्चारण करते थे.
३ :: रोहीला मुसलमान आठों प्रहार अपनी कर्कश आवाज़ मे क़ुरान शरीफ की
कल्मे पढ़ता और अल्लाह ओ अकबर के नारे लगाता .परेशान होकर जब गाँव वालो
ने बाबा से उसकी शिकायत की तो उन्होने कहा कि"" वे उसकी कलमो के समक्ष
उपस्थित होने का साहस करने मे असमर्थ हैं ."" और बाबा ने गाँव वालों को
भगा दिया .( अध्याय ३ पेज ५ )
नोट :: शिरडी साई ट्रस्ट इन्ही मौला साई को अखिल ब्रह्मांड नायक कहता
है जो क़ुरान की कलमो से डर गये .
४ :: तरुण फ़क़ीर को उतरते देख म्हलसापति ने उन्हे सर्वप्रथम "" आओ
साई "" कहकर पुकारा .(अध्याय५ पेज २ )
नोट :: मौला साई मुस्लिम फ़क़ीर थे और फ़क़िरो को अरबी और उर्दू मे साई
नाम से पुकारा जाता है .साई शब्द मूल रूप से हिन्दी नही है
५ :: मौला साई हमेशा कफनी पहनते थे .(अध्याय ५ पेज ६ )
नोट :: कफनी एक प्रकार का पहनावा है जो मुस्लिम फ़क़ीर पहनते हैं
६ :: मौला साई सुन्नत(ख़तना ) कराने के पक्ष मे थे . (अध्याय ७ पेज १ )
नोट :: सुन्नत कराना मुस्लिम धर्म की परंपरा है
७ :: फ़क़िरो के संग बाबा माँस और मछली का सेवन भी कर लेते थे .(अध्यया ७ पेज २)
नोट :: कोई भी हिंदू संत ऐसा घृणित काम नहीं कर सकता.
८ :: बाबा ने कहा "" मैं मस्जिद मे एक बकरा हलाल करने वाला हूँ हाज़ी
सिधिक से पूछो की उसे क्या रुचिकर होगा .बकरे का माँस ,नाध या अंडकोष ""
(अध्याय ११ पेज ४ )
नोट :: हिंदू संत कभी स्वपन मे भी बकरा हलाल नही कर सकता .न ही ऐसे
वीभत्स भोजन खा सकता है
९ :: एक बार मस्जिद मे एक बकरा बलि चढाने लाया गया तब साई बाबा ने
काका साहेब से कहा "" मैं स्वयं ही बलि चढाने का कार्य करूँगा "".(
अध्याय २३ पेज ६)
नोट :: हिंदू संत कभी ऐसा जघ्न्य कृत्य नही कर सकते .
१०:: मालेगाँव के फ़क़ीर पीर मोहम्मद का साई बाबा बहुत आदर करते .वे सदेव
उन्हे अपने दाहिने ओर बैठाते . सबसे पहले वो चिलम पीते फिर बाबा को देते
.जब दोपहर का भोजन परोस दिया जाता तब बाबा बड़े आदर से उसे उन्हे बुलाकर
अपनी दाहिनी ओर बैठाते तब सब भोजन करते .बाबा के पास जो भी दक्षिणा
एकत्रित होती उसमे से रोज पचास रुपये वो पीर मोहम्म्द को देते. जब वो
लौटते तो बाबा भी सौ कदम तक उनके साथ जाते .(अध्याय २३ पेज ५ )
नोट :: मौला साई इतना सम्मान कभी किसी हिंदू संत को नही देते थे .रोज
पचास रुपये वो उस समय देते थे जब बीस रुपया तोला सोना मिलता था .मौला
साई के जीवन काल में उनके पास इतना दान आता था आयकर विभाग की जाँच भी
हुई थी
उन्हे अपने दाहिने ओर बैठाते . सबसे पहले वो चिलम पीते फिर बाबा को देते
.जब दोपहर का भोजन परोस दिया जाता तब बाबा बड़े आदर से उसे उन्हे बुलाकर
अपनी दाहिनी ओर बैठाते तब सब भोजन करते .बाबा के पास जो भी दक्षिणा
एकत्रित होती उसमे से रोज पचास रुपये वो पीर मोहम्म्द को देते. जब वो
लौटते तो बाबा भी सौ कदम तक उनके साथ जाते .(अध्याय २३ पेज ५ )
नोट :: मौला साई इतना सम्मान कभी किसी हिंदू संत को नही देते थे .रोज
पचास रुपये वो उस समय देते थे जब बीस रुपया तोला सोना मिलता था .मौला
साई के जीवन काल में उनके पास इतना दान आता था आयकर विभाग की जाँच भी
हुई थी
११ :: एक बार बाबा के भक्त मेघा ने उन्हे गंगा जल से स्नान कराने की
सोचा तो बाबा ने कहा ""मुझे इस झंझट से दूर ही रहने दो .मैं तो एक
फ़क़ीर हूँ मुझे गंगाजल से क्या प्रायोजन .(अध्याय २८ पेज ७ )
नोट :: किसी हिंदू के लिए गंगा स्नान जीवन भर का सपना होता है .गंगा जल
का दर्शन भी हिंदुओं मे अति पवित्र माना जाता है
१२ :: कभी बाबा मीठे चावल बनाते और कभी माँस मिश्रित चावल (पुलाव )बनाते
थे (अध्याय ३८ पेज २)
नोट :: माँस मिश्रित चावल अर्थात मटन बिरयानी सिर्फ़ मुस्लिम फ़क़ीर ही
खा सकता हैं कोई हिंदू संत उसे देखना भी पसंद नही करेगा .
१३ :: एक एकादशी को बाबा ने दादा केलकर को कुछ रुपये देकर कुछ माँस खरीद
कर लाने को कहा (अध्याय३८ पेज३ )
नोट :: एकादशी हिंदुओं का सबसे पवित्र उपवास का दिन होता है कई घरो मे
इस दिन चावल तक नही पकता .
१४ ::जब भोजन तैयार हो जाता तो बाबा मस्जिद से बर्तन मंगाकर मौलवीसे
फातिहा पढ़ने को कहते थे(अध्याय ३८ पेज ३)
नोट :: फातिहा मुस्लिम धर्म का संस्कार है
१५ :: एक बार बाबा ने दादा केलकर को माँस मिश्रित पुलाव चख कर देखने को
कहा .केलकर ने मुँहदेखी कह दिया कि अच्छा है .तब बाबा ने केलकर की बाँह
पकड़ी और बलपूर्वक बर्तन मे डालकर बोले थोड़ा सा इसमे से निकालो अपना
कट्टरपन छोड़कर चख कर देखो .(अध्याय ३८ पेज४ )
नोट :: मौला साई ने परीक्षा लेने के नाम पर जीव हत्या कर एक ब्राहमण
का धर्म भ्रष्ट कर दिया किंतु कभी अपने किसी मुस्लिम भक्त की ऐसी कठोर
परीक्षा नही ली .
१६ ::अन्य तथ्य जो सिद्ध करते हैं साई बाबा मुसलमान थे
१ :: मौला साई का सेवक अब्दुल बाबा जो लगभग तीस साल तक बाबा के साथ
मस्जिद मे ही रहा रोज बाबा को क़ुरान सुनाता था . वो रोज रामायण या गीता
नही सुनते थे .
मस्जिद मे ही रहा रोज बाबा को क़ुरान सुनाता था . वो रोज रामायण या गीता
नही सुनते थे .
२ :: महाराष्ट्र मे शिर्डी साई मंदिर मे गाई जाने वाली आरती का अंश
मंदा त्वांची उदरिले! मोमीन वंशी जन्मुनी लोँका तारिले!” उपरोक्त
आरती मेँ ""मोमिन वंशी जन्मुनी "" अर्थात् मुसलमान वंश मे जन्मे शब्द
स्पष्ट आया है .( ९५ साल से मोमीन वंशी गा रहे हैं फिर भी मौला को
ब्राहमाण बता रहे हैं )
३ :: मौला साई ने अपनी मृत्यु के कुछ दिन पहले औरंगाबाद के मुस्लिम
फ़क़ीर शमशूद्दीन मियाँ को दो सौ पचास रुपये भिजवाया ताकि उनका मुस्लिम
रीति रिवाज़ से अंतिम संस्कार कर दिया जाए तथा सूचना भिजवाई की वो
अल्लाह के पास जाने वाले हैं .( ये एक तरह से मृत्यु पूर्व बयान जैसा है
जिसे कोर्ट भी सच मानती है अगर बाबा हिंदू होते तो तेरहवी करवाते
गंगाजली करवाते .)
४ :: मौला साई जब तक जीवित रहे शिरडी मे सूफ़ी फ़क़ीर के नाम से ही जाने जाते थे .
५ :: मौला साई की मृत्यु के बाद उनकी मज़ार बनाई गई थी जो 1954 तक थी
.फिर उसे समाधी मे बदल दिया गया .
.हम न मौला साईं विरोधी हैं न सांप्रदायिक हैं लेकिन हमारा प्रयास है कि
चांदमियां को जानबूझकर हिन्दु न साबित किया जाए।पिछले पचास साल से पैसा
कमाने के लिए जैसा अधर्म शिरडी ट्रस्ट ने किया वैसा इतिहास में कभी नहीं
हुआ। श्री राम के नाम से सीता माता को हटा दिया . शिर्डी साई संस्थान के
झूठ ---
जिस मौला साई के जन्म तिथि का कोई अता पता नही उनकी कपट पूर्वक राम नवमी
के दिन जयंती मनाई जा रही है .
मौला साई हमेशा अल्लाह मलिक पुकारते थे जबकि ""सबका मलिक एक"" नानक जी कहते थे .
जो मौला साईं जीवन भर मस्जिद में रहे उसे मंदिर में बैठा दिया गया
जो मौला साईं व्रत उपवास के विरोधी थे उनके नाम से साईं व्रत कथा छप रही हैं
जो मौला साईं हमेशा अल्लाह मालिक बोलते थे उनके साथ ओम और राम को जोड़ दिया
जो मौला साईं रोज कुरान पड़ते थे उनके मंत्र बनाये जा रहे हैं पुराण लिखी
जा रही है .
जो मौला साईं मांसाहारी थे उन्हें हिन्दू अवतार बनाया जा रहा है
जिस मौला साईं ने गंगा जल छूने से इंकार कर दिया उसके नाम से यज्ञ किये
जा रहे हैं गंगा जल से अभिषेक किया जा रहा है जो खुद निगुरा था उसे
सदगुरु बनाया जा रहा है।
जो मौला साई खुद अनपढ़ थे उनके नाम से गीता छापी जा रही है
मरणधर्मा व्यक्ति के मंदिर बनाना हिंदू धर्म मे पाप है . इस देश मे
हज़ारों संत हुए किंतु किसी की भी मंदिर नही हैं व्यास जैसे ऋषि जिन्होने
१८ पुराण लिखे गीता लिखी, अगस्त्य ,विश्वामित्र, कपिल मुनि ,नारद,
दत्तात्रेय, भृिगु, पाराशर,सनक ,सनन्दन सनतकुमार ,शौनक ,वशिष्ट ,वामदेव
,बाल्मीक ,तुलसीदास , गोरखनाथ ,तुकाराम, नामदेव, मीरा, एकनाथ ,मुक्ताबाई
, नरहरी, नामदेव ,सोपान,संत रविदास , चैतन्य महाप्रभु ,राम कृष्ण परमहंस
आदि आदि कितने ही संत हुए किंतु किसी के भी जगह जगह मंदिर नहीं हैं .
हर राम भक्त हिन्दू से अनुरोध है कि हिन्दू धर्म की शुद्धि और पवित्रता
के लिए इसे अधिक से अधिक शेयर करें।
जागो हिंदू जागो !! जागो हिंदू जागो !! जागो हिंदू जागो !! जागो
हिंदू जागो !! जागो हिंदू जागो !!
Peace if possible, truth at all costs.