आभा और डॉ. सुशीला नय्यर के साथ गांधी |
गांधी की सेक्स लाइफ़ Part १ से आगे युवा जोड़े की सेक्स लाइफ सामान्य थी। परिवार के घर में एक कमरे में साथ-साथ रहने के कारण कस्तूरबा जल्दी ही गर्भवती हो गई थीं। उनके जीवन का एक प्रसंग है कि जब दो वर्ष बाद उनके पिता मरणासन्न स्थिति में थे, तब गांधी उनके बिस्तर के पास न होकर कस्तूरबा के साथ सेक्स कर रहे थे। इसी दौरान उनके पिता ने अंतिम सांस ली थी।
इस तरह युवा गांधी के दुख के साथ यह अपराध बोध भी जुड़ गया कि वे 'वासनात्मक प्यार' में डूबे थे, जब उनके पिता अपनी अंतिम सांसें गिन रहे थे। पर उनका अंतिम बच्चा इस बात के पंद्रह वर्ष बाद, 1900 में पैदा हुआ था। तब-तब गांधी के दिमाग में सेक्स को लेकर (या कहें कि वैवाहिक सेक्स को लेकर) कोई निषेधात्मक रवैया नहीं पैदा हुआ था। यह तब पैदा हुआ जब वे दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश साम्राज्य की एक कार्यकर्ता के तौर पर मदद कर रहे थे।
बोअर युद्ध और जुलू विद्रोह के बाद उन्होंने सोचा कि वे मानवता की बेहतर तरीके से सेवा कर सकते हैं और उन्होंने तय किया वे गरीबी और पवित्रता को अपना लें। 1906 में 38 वर्ष की उम्र में उन्होंने ब्रह्मचर्य की शपथ ली। इसका अर्थ था कि वे एक आध्यात्मिक जीवन जीना चाहते थे और इसे आमतौर पर इंद्रिय निग्रह के तौर पर जाना जाता है।
गरीबी को अपनाना उनके लिए आसान था, लेकिन पवित्रता उनसे काफी दूर थी। इस स्थिति के बारे में कई विचारकों का कहना है कि गांधी ने अपने लिए कुछ ऐसे जटिल नियम तय किए जिसके आधार पर वे कह सकते थे कि वे पवित्र, इंद्रिय निग्रही हैं, लेकिन इसके साथ ही वे खुलेआम यौन विषयक बातचीत कर सकते थे, पत्र लिख सकते थे और ऐसा व्यवहार भी कर सकते थे।
एक नए मुल्ला की तरह उन्होंने अति उत्साह में अपनी प्रतिज्ञा के एक वर्ष बाद कहा, 'यह प्रत्येक विचारशील भारतीय का कर्तव्य है कि वह विवाह न करे। अगर विवाह को लेकर वह असहाय है तो उसे अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध नहीं बनाना चाहिए।'
इस बीच गांधीजी ब्रह्मचर्य को अपनी ही तरह से चुनौती दे रहे थे। उन्होंने अपने आश्रम बनाए और सेक्स के साथ 'पहले प्रयोग' शुरू किए। तब लड़के और लड़कियों को साथ-साथ नहाना और सोना पड़ता था। लेकिन अगर वे कोई सेक्स संबंधी बात करते थे तो उन्हें दंडित किया जाता था। लेकिन, महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग रहना पड़ता था। पतियों को लेकर गांधीजी की सलाह यह थी कि उन्हें अपनी पत्नियों के साथ एकांत में नहीं रहना चाहिए और जब उन्हें काम संबंधी इच्छा सताए तो वे ठंडे पानी से नहा लें। ये नियम सभी के लिए थे लेकिन गांधीजी इसके अपवाद थे।
गांधीजी के एक सचिव प्यारेलाल नैयर की सुंदर बहन, सुशीला नैयर, उनकी निजी चिकित्सक भी थीं और वे अपने बचपन से ही गांधी का ख्याल रखती थीं, उनकी देखभाल करती थीं। वे गांधीजी के साथ नहातीं और सोती भी थीं। जब उनकी इस बात का विरोध किया गया तो उन्होंने स्पष्टीकरण किया कि वे किस तरह अपनी पवित्रता बनाए रखते थे।
उनका कहना था कि 'जब वह नहाती है तो मैं अपनी आंखों को पूरी तरह से बंद रखता हूं। मुझे नहीं पता कि वह नग्न होकर नहाती है या फिर अपना अंडरवियर पहने रहती है। पर मैं आवाजों को पहचानकर यह बात कह सकता हूं कि वह साबुन का इस्तेमाल करती है।' कहा जाता है कि गांधी की इस तरह की निजी सेवा करने को उनकी बहुत बड़ी कृपा समझा जाता था। इससे आश्रम में रहने वाली महिलाओं में ईर्ष्या का भाव पैदा होता था।
कस्तूरबा की मौत के बाद जैसे उनकी उम्र बढ़ी तब उनके पास बहुत सारी महिलाएं आने लगी थीं और वे किसी भी महिला को अपने साथ सोने देने का मौका दे सकते थे, लेकिन महिलाओं के लिए आश्रम का यह नियम था कि वे अपने पतियों के साथ भी नहीं सो सकती थीं। गांधी के बिस्तर में भी महिलाएं रहती होंगी और तब भी वे 'प्रयोग' करते रहे होंगे। इस तरह का विवरण उनके पत्रों में भी मिलता है जिससे लगता है कि यह स्थिति स्ट्रिप-टीज या नॉन कांटेक्ट सेक्सुअल एक्टविटी जैसी रही होगी।
संभव है कि और अधिक खुलेपन को दर्शाने वाले पत्रों को नष्ट कर दिया गया हो लेकिन सेक्स की चाह जगाने वाले एक पत्र में यह लिखा गया है : 'वीणा का मेरे साथ सोना एक आकस्मिक घटना कही जा सकती है। बस इतना ही कहा जा सकता है कि वह मेरे साथ लिपटकर सोई थी।' अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि गांधी के प्रयोग का मूल क्या केवल उनके करीब लिपटकर सोने तक ही सीमित रहा होगा?
गांधी की सेक्स लाइफ की कहानी जारी रहेगी। मेरा मानना है के कुछ लोग मेरी इस पोस्ट का विरोध करेंगे लेकिन सच आखिर कड़वा ही होता है। और सबसे आखिर में में आपके सामने मनुबेन की डायरी के अंश पेश करता हूँ जो हाल ही में एक समाचार पत्र में छापे गए थे। अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में जरूर दे।
मनुबेन की डायरी के अंश: दुनिया जो कहती है वह कहती रहे
10 नवंबर, 1943
आगा खां पैलेस, पुणे
एनिमिया के शिकार बापू आज सुशीलाबेन के साथ नहाते समय बेहोश हो गए. फिर सुशीलाबेन ने एक हाथ से बापू को पकड़ा और दूसरे हाथ से कपड़े पहने और फिर उन्हें बाहर लेकर आईं.
21 दिसंबर, 1946
श्रीरामपुर, बिहार
आज रात जब बापू, सुशीलाबेन और मैं एक ही पलंग पर सो रहे थे तो उन्होंने मुझे गले से लगाया और प्यार से थपथपाया. उन्होंने बड़े ही प्यार से मुझे सुला दिया. उन्होंने लंबे समय बाद मेरा आलिंगन किया था. फिर बापू ने अपने साथ सोने के बावजूद (यौन इच्छाओं के मामले में) मासूम बनी रहने के लिए मेरी प्रशंसा की. लेकिन दूसरी लड़कियों के साथ ऐसा नहीं हुआ. वीना, कंचन और लीलावती (गांधी की अन्य महिला सहयोगी) ने मुझसे कहा था कि वे उनके (गांधी के) साथ नहीं सो पाएंगी.
1 जनवरी, 1947
कथुरी, बिहार
सुशीलाबेन मुझे अपने भाई प्यारेलाल से शादी करने के लिए कह रही हैं. उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं उनके भाई से शादी कर लूं तो ही वे नर्स बनने में मेरी मदद करेंगी. लेकिन मैंने उन्हें साफ मना कर दिया और सारी बात बापू को बता दी. बापू ने मुझसे कहा कि सुशीला अपने होश में नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले तक वह उनके सामने निर्वस्त्र नहाती थी और उनके साथ सोया भी करती थी. लेकिन अब उन्हें (गांधी को) मेरा सहारा लेना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि मैं हर स्थिति में निष्कलंक हूं और धीरज बनाए रखूं (ब्रह्मचर्य के मामले में).
28 दिसंबर, 1946
श्रीरामपुर, बिहार
सुशीलाबेन ने आज मुझसे पूछा कि मैं बापू के साथ क्यों सो रही थी और कहा कि मुझे इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे. उन्होंने मुझसे अपने भाई प्यारेलाल के साथ विवाह के प्रस्ताव पर फिर से विचार करने को भी कहा और मैंने कह दिया कि मुझे उनमें कोई दिलचस्पी नहीं है, और इस बारे में वे आइंदा फिर कभी बात न करें. मैंने उन्हें बता दिया कि मुझे बापूजी पर पूरा भरोसा है और मैं उन्हें अपनी मां की तरह मानती हूं.
31 जनवरी, 1947
सुशीलाबेन ने आज मुझसे पूछा कि मैं बापू के साथ क्यों सो रही थी और कहा कि मुझे इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे. उन्होंने मुझसे अपने भाई प्यारेलाल के साथ विवाह के प्रस्ताव पर फिर से विचार करने को भी कहा और मैंने कह दिया कि मुझे उनमें कोई दिलचस्पी नहीं है, और इस बारे में वे आइंदा फिर कभी बात न करें. मैंने उन्हें बता दिया कि मुझे बापूजी पर पूरा भरोसा है और मैं उन्हें अपनी मां की तरह मानती हूं.
31 जनवरी, 1947
नवग्राम, बिहार
ब्रह्मचर्य के प्रयोगों पर विवाद गंभीर रूप अख्तियार करता जा रहा है. मुझे संदेह है कि इसके पीछे (अफवाहें फैलाने के) अम्तुस्सलामबेन, सुशीलाबेन और कनुभाई (गांधी के भतीजे) का हाथ था. मैंने जब बापू से यह बात कही तो वे मुझसे सहमत होते हुए कहने लगे कि पता नहीं, सुशीला को इतनी जलन क्यों हो रही है? असल में कल जब सुशीलाबेन मुझसे इस बारे में बात कर रही थीं तो मुझे लगा कि वे पूरा जोर लगाकर चिल्ला रही थीं. बापू ने मुझसे कहा कि अगर मैं इस प्रयोग में बेदाग निकल आई तो मेरा चरित्र आसमान चूमने लगेगा, मुझे जीवन में एक बड़ा सबक मिलेगा और मेरे सिर पर मंडराते विवादों के सारे बादल छंट जाएंगे. बापू का कहना था कि यह उनके ब्रह्मचर्य का यज्ञ है और मैं उसका पवित्र हिस्सा हूं. उन्होंने कहा कि ईश्वर से यही प्रार्थना है कि उन्हें शुद्ध रखे, उन्हें सत्य का साथ देने की शक्ति दे और निर्भय बनाए. उन्होंने मुझसे कहा कि अगर सब हमारा साथ छोड़ जाएं, तब भी ईश्वर के आशीर्वाद से हम यह प्रयोग सफलतापूर्वक करेंगे और फिर इस महापरीक्षा के बारे में सारी दुनिया को बताएंगे.
2 फरवरी, 1947
अमीषापाड़ा, बिहार
आज बापू ने मेरी डायरी देखी और मुझसे कहा कि मैं इसका ध्यान रखूं ताकि यह अनजान लोगों के हाथों में न पड़ जाए क्योंकि वे इसमें लिखी बातों का गलत उपयोग कर सकते हैं, हालांकि ब्रह्मचर्य के प्रयोगों के बारे में हमें कुछ छिपाना नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर अचानक उनकी मृत्यु हो जाए तो भी यह डायरी समाज को सच बताने में बहुत सहायक होगी. उन्होंने कहा कि यह डायरी मेरे लिए भी बहुत उपयोगी साबित होगी.
और फिर बापू ने मुझसे कहा कि अगर मुझे कोई आपत्ति न हो तो डायरी की कुछ ताजा प्रविष्टियां प्यारेलालजी को दिखा दूं ताकि वे उसकी भाषा सुधार दें और तथ्यों को क्रमवार ढंग से लगा दें. हालांकि मैंने साफ मना कर दिया क्योंकि मुझे लगा कि अगर प्यारेलाल ने इस डायरी को देख लिया तो इसकी सारी बातें उनकी बहन सुशीलाबेन तक जरूर पहुंच जाएंगी और उससे आपसी वैमनस्य में और इजाफा ही होगा.
7 फरवरी, 1947
प्रसादपुर, बिहार
ब्रह्मचर्य के प्रयोगों को लेकर माहौल लगातार गर्माता ही जा रहा है. अमृतलाल ठक्कर (गांधी और गोपालकृष्ण गोखले के साथ जुड़े रहे समाजसेवी) आज आए और अपने साथ बहुत सारी डाक लाए जो इस मुद्दे पर बहुत ‘‘गर्म’’ थी. और इन पत्रों को पढ़कर मैं हिल गई.
18 मार्च, 1947
मसौढ़ी, बिहार
आज बापू ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात का खुलासा किया. मैंने उनसे पूछा कि क्या सुशीलाबेन भी उनके साथ निर्वस्त्र सो चुकी है क्योंकि मैंने जब उनसे इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वे प्रयोगों का कभी भी हिस्सा नहीं बनी और उनके साथ कभी निर्वस्त्र नहीं सोई. बापू ने कहा कि सुशीला सच नहीं कह रही क्योंकि वह बारडोली (1939 में जब पहली बार वे बतौर फिजीशियन उनके साथ जुड़ी थीं) के अलावा आगा खां पैलेस (पुणे) में उनके साथ सो चुकी थी. बापू ने बताया कि वह उनकी मौजूदगी में स्नान भी कर चुकी है. फिर बापू ने कहा कि जब सारी बातें मुझे पता ही हैं तो मैं यह सब क्यों पूछ रही हूं? बापू ने कहा कि सुशीला बहुत दुखी थी और उसका दिमाग अस्थिर था और इसलिए वे नहीं चाहते थे कि वह इस सब पर कोई सफाई दे.
‘‘मैंने बापू से आग्रह किया कि मुझे अलग सोने दें’’
14 नवंबर, 1947
बिरला हाउस, दिल्ली
मैं कई दिनों से बुरी तरह अशांत हूं. बापू ने जब यह देखा तो कहा कि अपने मन की बात कह दो. उन्होंने कहा कि मैं कइयों का पितामह और पिता हूं और सिर्फ तुम्हारी माता हूं. मैंने बापू को बताया कि इन दिनों आभा मुझसे बहुत बेरुखी से पेश आ रही है. यही वजह है. बापू ने कहा कि उन्हें खुशी हुई कि मैंने मन की बात उन्हें बता दी लेकिन अगर न बताती तो भी वे मेरे मन की अवस्था समझ सकते थे. उन्होंने कहा कि मैं अंतिम क्षण तक उनके साथ रहूंगी पर आभा संग ऐसा नहीं होगा. इसलिए वह जो चाहे उसे करने दो. उन्होंने मुझे बधाई दी कि मैंने न सिर्फ उनकी बल्कि औरों की भी पूरी निष्ठा से सेवा की है.
ब्रह्मचर्य के प्रयोगों पर विवाद गंभीर रूप अख्तियार करता जा रहा है. मुझे संदेह है कि इसके पीछे (अफवाहें फैलाने के) अम्तुस्सलामबेन, सुशीलाबेन और कनुभाई (गांधी के भतीजे) का हाथ था. मैंने जब बापू से यह बात कही तो वे मुझसे सहमत होते हुए कहने लगे कि पता नहीं, सुशीला को इतनी जलन क्यों हो रही है? असल में कल जब सुशीलाबेन मुझसे इस बारे में बात कर रही थीं तो मुझे लगा कि वे पूरा जोर लगाकर चिल्ला रही थीं. बापू ने मुझसे कहा कि अगर मैं इस प्रयोग में बेदाग निकल आई तो मेरा चरित्र आसमान चूमने लगेगा, मुझे जीवन में एक बड़ा सबक मिलेगा और मेरे सिर पर मंडराते विवादों के सारे बादल छंट जाएंगे. बापू का कहना था कि यह उनके ब्रह्मचर्य का यज्ञ है और मैं उसका पवित्र हिस्सा हूं. उन्होंने कहा कि ईश्वर से यही प्रार्थना है कि उन्हें शुद्ध रखे, उन्हें सत्य का साथ देने की शक्ति दे और निर्भय बनाए. उन्होंने मुझसे कहा कि अगर सब हमारा साथ छोड़ जाएं, तब भी ईश्वर के आशीर्वाद से हम यह प्रयोग सफलतापूर्वक करेंगे और फिर इस महापरीक्षा के बारे में सारी दुनिया को बताएंगे.
2 फरवरी, 1947
अमीषापाड़ा, बिहार
आज बापू ने मेरी डायरी देखी और मुझसे कहा कि मैं इसका ध्यान रखूं ताकि यह अनजान लोगों के हाथों में न पड़ जाए क्योंकि वे इसमें लिखी बातों का गलत उपयोग कर सकते हैं, हालांकि ब्रह्मचर्य के प्रयोगों के बारे में हमें कुछ छिपाना नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर अचानक उनकी मृत्यु हो जाए तो भी यह डायरी समाज को सच बताने में बहुत सहायक होगी. उन्होंने कहा कि यह डायरी मेरे लिए भी बहुत उपयोगी साबित होगी.
और फिर बापू ने मुझसे कहा कि अगर मुझे कोई आपत्ति न हो तो डायरी की कुछ ताजा प्रविष्टियां प्यारेलालजी को दिखा दूं ताकि वे उसकी भाषा सुधार दें और तथ्यों को क्रमवार ढंग से लगा दें. हालांकि मैंने साफ मना कर दिया क्योंकि मुझे लगा कि अगर प्यारेलाल ने इस डायरी को देख लिया तो इसकी सारी बातें उनकी बहन सुशीलाबेन तक जरूर पहुंच जाएंगी और उससे आपसी वैमनस्य में और इजाफा ही होगा.
7 फरवरी, 1947
प्रसादपुर, बिहार
ब्रह्मचर्य के प्रयोगों को लेकर माहौल लगातार गर्माता ही जा रहा है. अमृतलाल ठक्कर (गांधी और गोपालकृष्ण गोखले के साथ जुड़े रहे समाजसेवी) आज आए और अपने साथ बहुत सारी डाक लाए जो इस मुद्दे पर बहुत ‘‘गर्म’’ थी. और इन पत्रों को पढ़कर मैं हिल गई.
18 मार्च, 1947
मसौढ़ी, बिहार
आज बापू ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात का खुलासा किया. मैंने उनसे पूछा कि क्या सुशीलाबेन भी उनके साथ निर्वस्त्र सो चुकी है क्योंकि मैंने जब उनसे इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वे प्रयोगों का कभी भी हिस्सा नहीं बनी और उनके साथ कभी निर्वस्त्र नहीं सोई. बापू ने कहा कि सुशीला सच नहीं कह रही क्योंकि वह बारडोली (1939 में जब पहली बार वे बतौर फिजीशियन उनके साथ जुड़ी थीं) के अलावा आगा खां पैलेस (पुणे) में उनके साथ सो चुकी थी. बापू ने बताया कि वह उनकी मौजूदगी में स्नान भी कर चुकी है. फिर बापू ने कहा कि जब सारी बातें मुझे पता ही हैं तो मैं यह सब क्यों पूछ रही हूं? बापू ने कहा कि सुशीला बहुत दुखी थी और उसका दिमाग अस्थिर था और इसलिए वे नहीं चाहते थे कि वह इस सब पर कोई सफाई दे.
‘‘मैंने बापू से आग्रह किया कि मुझे अलग सोने दें’’
14 नवंबर, 1947
बिरला हाउस, दिल्ली
मैं कई दिनों से बुरी तरह अशांत हूं. बापू ने जब यह देखा तो कहा कि अपने मन की बात कह दो. उन्होंने कहा कि मैं कइयों का पितामह और पिता हूं और सिर्फ तुम्हारी माता हूं. मैंने बापू को बताया कि इन दिनों आभा मुझसे बहुत बेरुखी से पेश आ रही है. यही वजह है. बापू ने कहा कि उन्हें खुशी हुई कि मैंने मन की बात उन्हें बता दी लेकिन अगर न बताती तो भी वे मेरे मन की अवस्था समझ सकते थे. उन्होंने कहा कि मैं अंतिम क्षण तक उनके साथ रहूंगी पर आभा संग ऐसा नहीं होगा. इसलिए वह जो चाहे उसे करने दो. उन्होंने मुझे बधाई दी कि मैंने न सिर्फ उनकी बल्कि औरों की भी पूरी निष्ठा से सेवा की है.
18 नवंबर, 1947,
बिरला हाउस, दिल्ली
आज जब मैं बापू को स्नान करवा रही थी तो वे मुझ पर बहुत नाराज हुए क्योंकि मैंने उनके साथ शाम को घूमना बंद कर दिया था. उन्होंने बहुत कड़वे शब्दों का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा, ‘‘जब तुम जीते जी मेरी बात नहीं मानतीं तो मेरे मरने के बाद क्या करोगी? क्या तुम मेरे मरने का इंतजार कर रही हो?’’ यह शब्द सुनकर मैं सन्न रह गई और जवाब देने की हिम्मत नहीं जुटा पाई.
और भी...
http://aajtak.intoday.in/story/bapu-was-a-mother-to-me-and-me-only-1-734364.html
अपडेट : दोस्तों आप सबका इस जानकारी के विषय में क्या कहना है। वैसे अगर आपके पास किसी भी राजनेता के बारे में कोई ऐसी जानकारी है जो जनता से छुपाई गई है तो आप यहाँ पे कमेंट करे। हम उसे लोगो के सामने लाने की कोसिस करेंगे। अगर आपको यहाँ पे सच में नई जानकारी मिलती है तो कृपया हमारे ब्लॉग को गूगल+, फेसबुक और ट्विटर आदि वेबसाइट पे शेयर करना न भूलियेगा। अगर आप Sex Life of Mahatma Gandhi के पिछले पार्ट पढ़ना चाहते हैं तो निचे दिए लिंक पे क्लिक करे।
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Sex Life of Mahatma Gandhi पार्ट 1
Sex Life of Mahatma Gandhi पार्ट 3
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आपने कई लोगो को बोलते समय सुना होगा की उन्हें बाथरूम में बहुत अच्छा लगता है. वो घंटो बैठकर वहां सोच सकते है. उन्हें जो शांति बाथरूम में मिलती है वो कहीं नहीं मिलती. लगभग हम सभी बाथरूम में एक जैसी बाते ही सोचते है खासकर लडकिया. नहाते समय लडकियों के मन में यह ११ बाते चलती है :
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