10 विदेशी बर्बर लुटेरे जिन्होंने भारत को लुटा

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10 विदेशी बर्बर लुटेरे जिन्होंने भारत को हिनदूओं कि आपसी फूट कि वजह से लुटा उनकी औरतों बहन बेटियों कि इज़्ज़त लुटा इसी आपसी फूट कि वजह से हिनदूओं पर राज किया

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भारत की प्राचीन सभ्यता काफी विकसित और उन्नत रही है। भारत कभी दुनिया में सबसे अमीर व् संपन्न देशो में गिना जाता था जिस कारण उसे सोने की चिड़िया भी कहते थे। भारत के सोने की पुरी दुनिया में तूती बोलती थी जिस कारण बड़े बड़े विदेशी आक्रमणकारी भारत को लुटने के लिए भारत पर आक्रमण करते थे। भारत में बड़े बड़े साम्राज्य हुए जिन्होंने इन विदेशी लुटेरो का सामना किया पर 7वी शताब्दी में गुप्त वंश के पतन के बाद भारत में राजनैतिक अस्थिरता आ गयी जिस कारण भारत छोटे छोटे जनपदों में बंट गया और कई विदेशी लुटेरो के आक्रमण से देश पराजित हो गया। मौर्य के उन्नत शासन के पश्चात देश में गुप्तवंश के राजाओ का काल आया जिसे भारत का स्वर्णिम काल भी कहते है पर इसके तुरंत बाद भारत की सत्ता कमजोर हो गयी जिस पर कई विदेशी आक्रमणकारियों ने लाभ उठा कर अपने अधिकार में ले लिए। आइये बताते है कुछ ऐसे ही क्रूर लुटेरो के बारे में जिन्होंने देश पर आक्रमण करके भारत के संपन्न लोगों को कमजोर और दरिद्र बना दिया।

1. सिकंदर (अलेक्सेंडर)
भारत पर पहला विदेशी आक्रमण 326 ईसा पूर्व मेसेडोनिया के राजा सिकंदर ने किया था जब वह मिस्र पोरस(फारस) आदि देशो को रोंद्ता हुआ तक्षशिला तक आ पहुंचा। यहाँ उसने तक्षशिला के युवराज आम्भी से संधि करके तक्षशिला पर अधिकार कर लिया। सिकंदर दुनिया पर अधिकार करने के उद्देश्य से सभी देशो को पराजित करता हुआ भारत पहुंचा था पर भारत पहुँच कर उसे भारत के वैभव व् सम्पन्नता का पता चला तो उसने लुटने के उद्देश्य भारत के भीतर तक आक्रमण किये जिसका पुरुस और अन्य कई जनपदों ने सामना किया पर सिकंदर ने बहुत से भारतीय जनपदों पर अधिकार कर लिया था।
तक्षशिला के ही एक ब्राह्मण शिक्षक विष्णुगुप्त(आचार्य चाणक्य) ने हारे हुए भारतीयों में नवचेतना का संचार किया और ब्रह्चारियो व ब्राह्मणों को एकत्रित करके विदेशी शासन के विरुद्द बिगुल फूंक दिया। आचार्य चाणक्य के इस प्रयास से भारत में पुन: राजनैतिक शक्ति का सूत्रपात हुआ और आचार्य चाणक्य के ही शिष्य चन्द्रगुप्त मौर्य ने भारत में सभी जनपदों को जोड़कर एक विशाल मौर्य साम्राज्य की नींव रखी जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी।


2. मुहम्मद बिन कासिम
भारत पर पहला अरब आक्रमण 636 ई में खलीफा उमर के द्वारा किया गया था जिसमे अरब से लुट करने वालो को बार बार पराजय का सामना करना पड़ा। एक और अरब आक्रमणकारी मुहम्मद बिन कासिम ने कई युद्दो में असफल होने के बाद 711 ई में राजा दाहिर को हरा कर अरबो के लिए भारत का मार्ग खोल दिया। राजा दाहिर की हत्या के बाद अरब लुटेरो ने सिंध और मुल्तान को जी भर कर लुटा। एक अनुमान के अनुसार 3 लाख से अधिक हिन्दुओ औरतो के साथ बलात्कार किया गया था और इतनी ही औरतो को कासिम अपने साथ अरब ले गया था। बाद में अरबो द्वारा नियुक्त गवर्नर जुनैद को प्रतिहार और गुर्जर शासको ने पराजित करके मार डाला था। इसके बाद राजपुताना मेवाड़ के प्रतापी राजा बाप्पा रावल ने अफगानिस्तान से लेकर अरब तक मुसलमानों का विनाश किया था और अरब की राजकुमारियो से विवाह किया था जिसके बाद कई सालों तक भारत अरबी आक्रमणों से दूर रहा। बाप्पा रावल के कारण भारत कई वर्षो तक शांत रहा जहाँ 1000 ई के बाद पश्चिम की ओर से लुटेरो ने पुन आक्रमण किये।
भारत पर सबसे अधिक बर्बर आक्रमण महमूद गजनवी ने किये। गजनी के रहने वाले महमूद गजनवी से सबसे पहले पेशावर के हिन्दुशाही राजा को पराजित करके पेशावर पर अधिकार किया। इसके बाद गजनवी ने मुल्तान पर अधिकार किया। अपने 25 साल के काल में गजनवी ने भारत को लुटने और इस्लाम को फैलाने के लिए 17 आक्रमण किये। महमूद ने पंजाब के नगरकोट और दिल्ली के पास थानेसर नगर को लुटा और वहां काफी रक्तपात किया। लुटेरा गजनवी यही तक शांत नहीं रहा उसने 1018 में कन्नौज पर भी आक्रमण करके लुटा और भारत के सबसे भव्य मंदिर गुजरात के सोमनाथ मंदिर का विध्वंस कर दिया। वहां की अकूत संपत्ति सोने जवाहरात को लुटने के लिए गजनवी को सैकड़ो हाथी और ऊँटो की आवश्यकता पड़ी थी। गजनवी सोमनाथ का प्रसिद्ध शिवलिंग भी लुट कर ले गया था जो चुम्बक का बना होने के कारण हवा में तैरता था। गजनवी इसकी कलात्मकता देख कर मन्त्रमुग्ध हो गया था। लुटे गए धन से गजनवी ने अपनी राजधानी में कई भव्य इमारते और मस्जिदे बनवाई।


3. महमूद गजनवी

भारत पर सबसे अधिक बर्बर आक्रमण महमूद गजनवी ने किये। गजनी के रहने वाले महमूद गजनवी से सबसे पहले पेशावर के हिन्दुशाही राजा को पराजित करके पेशावर पर अधिकार किया। इसके बाद गजनवी ने मुल्तान पर अधिकार किया। अपने 25 साल के काल में गजनवी ने भारत को लुटने और इस्लाम को फैलाने के लिए 17 आक्रमण किये। महमूद ने पंजाब के नगरकोट और दिल्ली के पास थानेसर नगर को लुटा और वहां काफी रक्तपात किया। लुटेरा गजनवी यही तक शांत नहीं रहा उसने 1018 में कन्नौज पर भी आक्रमण करके लुटा और भारत के सबसे भव्य मंदिर गुजरात के सोमनाथ मंदिर का विध्वंस कर दिया। वहां की अकूत संपत्ति सोने जवाहरात को लुटने के लिए गजनवी को सैकड़ो हाथी और ऊँटो की आवश्यकता पड़ी थी। गजनवी सोमनाथ का प्रसिद्ध शिवलिंग भी लुट कर ले गया था जो चुम्बक का बना होने के कारण हवा में तैरता था। गजनवी इसकी कलात्मकता देख कर मन्त्रमुग्ध हो गया था। लुटे गए धन से गजनवी ने अपनी राजधानी में कई भव्य इमारते और मस्जिदे बनवाई।


 
4. मुहम्मद गौरी

तुर्कों का दूसरा आक्रमण 1182 में हुआ जब भारत की सम्पन्नता देख कर और इस्लाम के प्रचार प्रसार की चाहत में मुहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण किया। लेकिन दिल्ली व् अजमेर के राजा पृथ्वीराज चौहान ने गौरी को कई युद्धों में परास्त कर दिया। अपने 17वे आक्रमण में मुहम्मद गौरी ने छल से पृथ्वीराज चौहान को हरा कर नगर का नगर लुट लिया और भयानक नरसंहार करता हुआ पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना कर अपने देश ले गया। पृथ्वीराज चौहान ने बड़ी ही चालाकी से गौरी की हत्या करने के बाद खुद भी आत्महत्या कर ली थी। गौरी के आक्रमणों से तुर्कों ने गंगा के तराई क्षेत्र बिहार बंगाल तक अपना साम्राज्य विस्तार कर लिया था।
भारत पर सबसे बड़ा हमला चंगेज खान ने 12वी शताब्दी में किया। चंगेज खान मूलत: मंगोल का बोद्ध था जो अपनी बर्बरता के लिए प्रसिद्ध था। कुछ ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार चंगेज खान हिन्दू था जो गणेश और देवी का बड़ा उपासक था। उसकी समाधी पर लगा त्रिशूल का चिन्ह उसके हिन्दू होने के कई प्रमाण देता है। चंगेज खान अपने जीवन का सबसे क्रूर व् बर्बर लुटेरा था जिसने पुरे बगदाद को लुट कर लाखो मुसलमानो का क़त्ल किया था। चंगेज खान को मुसलमानों से बहुत नफरत थी जिस कारण उसने अभियान चलाकर ईरान, काबुल, पेशावर, कश्मीर पर अधिकार करके लाखो मुसलमानों को मौत के घात उतारा था। चंगेज ने ऐसे ही एक अभियान में सिन्धु पार करके भारत पर आक्रमण करने की योजना बनाई थी पर दुष्कर मौसम के कारण वह अपना अभियान पूरा न कर सका था। चंगेज ने अपने आक्रमणों से तुर्क, ईरान, इराक, अफगानिस्तान, बर्मा, दक्षिण रूस में बड़ी आबादी का सफाया कर दिया था। चंगेज के बाद उसका वंशज हलाकू खान भी बहुत बर्बर और अत्याचारी था। हलाकू खान की मौत के बाद मुसलमानों ने मंगोल पर अधिकार करके अधिकतर खान वंश के लोगों को मुसलमान बना दिया था।


5. चंगेज खान

भारत पर सबसे बड़ा हमला चंगेज खान ने 12वी शताब्दी में किया। चंगेज खान मूलत: मंगोल का बोद्ध था जो अपनी बर्बरता के लिए प्रसिद्ध था। कुछ ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार चंगेज खान हिन्दू था जो गणेश और देवी का बड़ा उपासक था। उसकी समाधी पर लगा त्रिशूल का चिन्ह उसके हिन्दू होने के कई प्रमाण देता है। चंगेज खान अपने जीवन का सबसे क्रूर व् बर्बर लुटेरा था जिसने पुरे बगदाद को लुट कर लाखो मुसलमानो का क़त्ल किया था। चंगेज खान को मुसलमानों से बहुत नफरत थी जिस कारण उसने अभियान चलाकर ईरान, काबुल, पेशावर, कश्मीर पर अधिकार करके लाखो मुसलमानों को मौत के घात उतारा था। चंगेज ने ऐसे ही एक अभियान में सिन्धु पार करके भारत पर आक्रमण करने की योजना बनाई थी पर दुष्कर मौसम के कारण वह अपना अभियान पूरा न कर सका था। चंगेज ने अपने आक्रमणों से तुर्क, ईरान, इराक, अफगानिस्तान, बर्मा, दक्षिण रूस में बड़ी आबादी का सफाया कर दिया था। चंगेज के बाद उसका वंशज हलाकू खान भी बहुत बर्बर और अत्याचारी था। हलाकू खान की मौत के बाद मुसलमानों ने मंगोल पर अधिकार करके अधिकतर खान वंश के लोगों को मुसलमान बना दिया था।


 
6. तैमुर लंग

तैमुर लंग भी मध्य एशिया का रहने वाला था पर हलाकू खान की मौत के बाद अधिकतर मंगोल मुसलमान बन चुके थे। तैमुर भी मुसलमान था जिसने भारत की सम्पन्नता के बारे में सुनकर भारत को लुटने का विचार बनाया। 1399 में तैमुर ने कई राज्यों को लुटने के बाद दिल्ली में प्रवेश किया। इसके बाद कई दिनों तक उसकी सेना दिल्ली को लुटती रही। तैमुर के आक्रमण के समय तुगलक वंश का दिल्ली पर शासन था जो तैमुर के आक्रमण के कारण समाप्त हो गया था। तैमुर दिल्ली को लुटने के बाद कश्मीर को लुटते हुए समरकंद वापिस चला गया था। तैमुर के आक्रमण से दिल्ली एक खँडहर बन चुकी थी।
मध्य एशिया के समरकंद के फरगाना में जन्मा बाबर एक लुटेरा था जो तैमुर की ही तरह कई देशो पर आक्रमण करके लुट करता था। राजपुताना के शासक राणा सांगा ने बाबर को इब्राहीम लोधी से लड़ने के लिए बुलाया। 1526 में पानीपत के पहले युद्ध में बाबर ने इब्राहीम लोधी को हरा दिया पर महत्वकांक्षी बाबर ने बाद में राणा सांगा से भी विद्रोह कर लिया और राणा सांगा से कई युद्धों के बाद अंत में खांडवा के युद्ध में बाबर को विजय मिली। बाबर ने तुजुक ए बाबरी या बाबरनामा में अपने जिहाद के युद्धों का वर्णन दिया है जिसमे उसने भारत के कई मंदिरों को तोड़ कर खुद को गाजी बताया है। बाबर ने अपने युद्ध को जिहाद का नाम देकर कई एतिहासिक मंदिरों को ध्वस्त किया जिसमे राममंदिर और चंदेरी के एतिहासिक मंदिर भी शामिल है। राममंदिर उसके मुख्य सिपहसलार मीर बांकी ने ध्वस्त किया था जिस पर कई युद्धों के बाद हिन्दुओ का अधिकार हो गया था।


 7.बाबर

मध्य एशिया के समरकंद के फरगाना में जन्मा बाबर एक लुटेरा था जो तैमुर की ही तरह कई देशो पर आक्रमण and करके लुट करता था। राजपुताना के शासक राणा सांगा ने बाबर को इब्राहीम लोधी से लड़ने के लिए बुलाया। 1526 में पानीपत के पहले युद्ध में बाबर ने इब्राहीम लोधी को हरा दिया पर महत्वकांक्षी बाबर ने बाद में राणा सांगा से भी विद्रोह कर लिया और राणा सांगा से कई युद्धों के बाद अंत में खांडवा के युद्ध में बाबर को विजय मिली। बाबर ने तुजुक ए बाबरी या बाबरनामा में अपने जिहाद के युद्धों का वर्णन दिया है जिसमे उसने भारत के कई मंदिरों को तोड़ कर खुद को गाजी बताया है। बाबर ने अपने युद्ध को जिहाद का नाम देकर कई एतिहासिक मंदिरों को ध्वस्त किया जिसमे राममंदिर और चंदेरी के एतिहासिक मंदिर भी शामिल है। राममंदिर उसके मुख्य सिपहसलार मीर बांकी ने ध्वस्त किया था जिस पर कई युद्धों के बाद हिन्दुओ का अधिकार हो गया था।



8. नादिरशाह
ईरान के दुर्दांत शासक नादिरशाह ने भारत पर कई आक्रमण किये और यहाँ की संपत्ति को लुटा। नादिरशाह के दिल्ली आक्रमण के समय मुगल बादशाह मुहम्मदशाह शासक था जिसे मुहम्मद शाह रंगीला भी कहते थे। मुहम्मद शाह अपनी अय्याशी के लिए प्रसिद्ध था। मुहम्मद शाह को नादिरशाह ने करनाल के युद्ध में हराकर दिल्ली में प्रवेश किया और भयानक नरसंहार करते हुए उसने दिल्ली को लुटा। उसने प्रसिद्ध कोहेनूर हीरा और लाल किले का तख़्त ए हाउस भी लुट लिया और अपने साथ ईरान ले गया। बाद में वह कोहिनूर हीरा अंग्रेजो के पास पहुँच गया था जो महारानी एलिजाबेथ के हार में गढ़ा गया था।


9. अहमद शाह अब्दाली
नादिरशाह के बाद अहमदशाह अब्दाली ने भारत पर आक्रमण की योजना बनाई जो अफगानिस्तान का शासक था। उसे अहमदशाह दुर्रानी भी कहते थे क्यूंकि वह अपनी क्रूरता के लिए प्रसिद्ध था। अब्दाली ने दस वर्षो तक भारत पर आक्रमण किये और भारत की संपत्ति को लुट कर ले जाता रहा। 1757 में अहमदशाह ने दिल्ली को लुटा जिसके बाद उसका लालच बढ गया और उसने आगरा और मथुरा पर आक्रमण कर दिया। बल्लभगढ़ में जाटों से उसका घोर युद्ध हुआ जिसमे जाट पराजित हुए जिसके बाद अब्दाली ने भयानक नरसंहार किया। अहमदशाह ने मथुरा के सभी मंदिर तोड़ने का हुक्म दिया और मथुरा के मंदिरों को तोड़कर उनकी समाप्ति को लुटने के बाद वह वापिस अफगानिस्तान लौट गया। इस लुट व नरसंहार का विस्तृत विवरण मथुरा के इतिहास में आज भी दर्ज है।


10. ईस्ट इंडिया कंपनी
1600 ई में व्यापार के बहाने आई ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत को लुटने का सपने देखा। ये सपना तब पूरा हुआ जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1757 में प्लासी के युद्ध में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हरा कर बंगाल पर अधिकार कर लिया। उन्होंने धीरे धीरे कई राजाओं और नवाबो से आज्ञा लेकर सेना भी रख ली। 1792 में कंपनी ने टीपू सुल्तान को हराकर दक्कन अपनी पकड़ मजबूत की। 1819 में मराठो को हारने के बाद कंपनी ने देश में बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में कर लिया। तब तक भारत कुल विश्व व्यापार में 23% की भागीदारी रखता था जबकि ब्रिटेन का भाग मात्र 1.5% था जो 1947 तक उल्टा हो गया था। 1947 तक भारत दुनिया के सबसे दरिद्र और भूखे देशो में गिना जाने लगा था जो 1830 तक एक संपन्न और धनी देश था। कंपनी की गलत नीतियों के विरोध में 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भी हुआ जिसे अंग्रेजो ने पंजाब के राजाओं व सिंधिया राजाओं की सहायता से दबा दिया था। 1947 तक अंग्रेजो ने भारत को लुट कर दुनिया के सबसे विकसित देशो से सबसे दरिद्र देशो में लाकर खड़ा कर दिया।

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