मोरारजी देसाई की गलतियों की वजह से पाकिस्तान बना था परमाणु सम्पन्न देश और मारे गए RAW के कई जासूस
इतिहास हमेशा वैसा ही नही होता, जैसा हमें पढ़ाया जाता है। इसके लिखे जाने और फिर उसको रटाने तक, सत्य को कई अग्नि-परीक्षाओं से गुज़रना पड़ता है। वह परीक्षा चाहे किसी के गुण-गान करने की हो या फिर तथ्यों को छुपा देने की। भारतीय इतिहास के लेखन में कई बार साक्ष्यों को दरकिनार कर दिया गया।
आइए आज इतिहास के उन पन्नों को खंगालते
हैं, जिन्हें वैसा नहीं होना था, जैसा कि वे आज दिखते हैं। उस इतिहास को
जानने की कोशिश करते हैं, जिसकी वजह से पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति तो बना
ही, साथ ही भारत के ख्याति प्राप्त ख़ुफ़िया नेटवर्क रॉ के द्वारा पड़ोसी
देश में काम पर लगाए गए जासूसों को चुन-चुन कर मारा गया था।
इस प्रकरण में मुख्य भूमिका निभाने वाले
जिस व्यक्ति पर मैं चर्चा करने जा रहा हूं, उन्हें स्वयं को ‘सर्वोच्च
नेता’ कहलवाना पसंद था। वह अखंड भारत के प्रधानमंत्री बनने से पहले
अंग्रेजी राज में नौकरशाह थे। वह भारत के उन महान नेताओं में से हैं, जिनके
योगदान को इतिहास में अतुलनीय बताया जाता है। उस वक्त कई कलमकारों ने उनकी
प्रशंसा में स्याही और ऊर्जा खत्म की।
यह वही ‘महान’ नेता हैं, जिनकी मदद से पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति बन गया। जी हां, वही एकमात्र भारतीय हैं, जिन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ से सम्मानित किया गया। यह और कोई नही, भारत के छ्ठे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई थे।
क्या आप विश्वास करेंगे कि साउथ ब्लॉक में बैठे भारत के प्रधानमंत्री खुफिया नेटवर्क की अहम जानकारी अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान से साझा कर सकते हैं? लेकिन 1978 में ऐसा हुआ।
मोरारजी देसाई की गलतियों की वजह से पाकिस्तान बना था परमाणु सम्पन्न देश और मारे गए RAW के कई जासूस
वर्ष 1974 के बाद से देश में राजनीतिक
हालात कुछ ऐसे बने कि जनता पार्टी, इंदिरा गांधी और उनकी समर्थित कांग्रेस
का देश से सफ़ाया करने को कृतसंकल्प नज़र आई। 23 मार्च 1977 को 81 वर्ष की
अवस्था में मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बने। उनकी विश्वसनीय खुफिया
एजेन्सी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) से नहीं बनती थी। दरअसल, उनके मन
में यह धारणा थी कि आपातकाल के दौरान, रॉ प्रमुख रामनाथ काओ और उनके
सहयोगियों ने विपक्षी नेताओं को तोड़ने में इन्दिरा गांधी की मदद की थी।
फिर जो कुछ मोरारजी देसाई ने किया वह रॉ और भारत के इतिहास के पन्ने पर एक काला धब्बा ही है।
देसाई ने सबसे पहले रॉ के बजट में 50 प्रतिशत तक कटौती कर दी, जिससे
नाराज़ होकर इस एजेंसी के प्रमुख रामनाथ काओ अवकाश पर चले गए। काओ दुनिया भर के नेताओं में बेहद लोकप्रिय थे। उनके प्रशंसकों में जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश भी थे, जो उस समय सीआईए के निदेशक थे।
नाराज़ होकर इस एजेंसी के प्रमुख रामनाथ काओ अवकाश पर चले गए। काओ दुनिया भर के नेताओं में बेहद लोकप्रिय थे। उनके प्रशंसकों में जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश भी थे, जो उस समय सीआईए के निदेशक थे।
Peace if possible, truth at all costs.