वेद मन्त्र से ईश्वर की स्तुति, उपासना , प्रार्थना, तीनों होता है जेसे

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*समुद्रोऽसि नभस्वानार्द्रदानु: शम्भूर्मयोभूरभि मा वाहि स्वाहा मारुतोऽसि मरुतां गण: शम्भूर्मयोभूरभि मा वाहि स्वाहाऽवस्यूरसि दुवस्वाञ्छम्भूर्मयोभूरभि मा वाहि स्वाहा॥ यजुर्वेद १८-४५॥*

हे ईश्वर, मैं सुख और दुख दोनों में जल की शीतलता की तरह शीतल बना रहूं। मैं मानसिक और शारीरिक रुप से सुदृढ़ रहूं। मैं बुराई को उसकी कली में ही नष्ट करने वाला होऊं। मैं दूसरों के कल्याण के लिए कार्य करूं। मेरा अपनी इंद्रियां पर पूर्ण नियंत्रण हो। मैं अपने व्यक्तिगत हित की बात ना करूं। मैं तुम्हारी राह पर चलकर मोक्ष को प्राप्त करने वाला बनूं।

_O God, I may be cool enough, like cool water, in joy and sorrow. I may be strong mentally as well as physically. I may be the eliminator of evil in the bud itself. I may be the doer of welfare for others. I may have full control over my Indriyan. I shouldn't bother about self luxouries. O God, I may be the walker of your path to attain Moksha. (Yajurved 18-45)_

*पावका नः सरस्वती वाजेभिर्वाजिनीवती ।*
*यज्ञं वष्टु धियावसुः ॥*
*- ऋग्वेद १ - ३ - १०*

सब मनुष्यों को चाहिये कि वे ईश्वर की प्रार्थना और अपने पुरुषार्थ से सत्य विद्या और सत्य वचनयुक्त कामों में कुशल और सब के उपकार करनेवाली वाणी को प्राप्त रहें , यह ईश्वर का उपदेश है ॥

_All men that they should pray to God and the truth of his efforts in learning the truth Vcnyukt skilled jobs and favors all who continue to receive speech, it is the wisdom of God._

*यज्जाग्रतो दूरमुदैति दैवन्तदु सुप्तस्य ततैवैति | दूरंगमं ज्योतिषां ज्योतिरेकन्तन्मे मनः शिवसन्कल्पमस्तु ||*

*[ यजुर्वेद - 34 / 1 ]*

हे कृपानिधि ! आपकी कृपा से मेरा मन जागते में दूर दूर जाता है , दिव्यगुणयुक्त रहता है , और वही सोते हुए मेरा मन सुषुप्ति को प्राप्त होता है वा स्वप्न में दूर दूर जाने के समान व्यवहार करता है , सब प्रकाशकों का प्रकाशक , एक मेरा वह मन शिवसंकल्प अर्थात अपने और दूसरे प्राणियों के अर्थ कल्याण का संकल्प करने वाला होवे । किसी की भी हानि करने की इच्छा मेरे मन में न होवे ।

_That which, divine, mounts far when man is waking, that which Return to him when he is sleeping. The lights ' one light that goeth to a distance, may that,  my mind, be moved by auspicious resolve._


#हिन्दू_धर्म #हिन्दू #जय_हिन्दूत्व #जय_श्रीराम #जय_हिन्द #ब्राह्मण,

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