भारतीय इतिहास का विकृतिकरण

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भारतीय इतिहास का विकृतिकरण
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कल के पोस्ट से आगे.......

वैज्ञानिकता के नाम पर ऐतिहासिक तथ्यों की उलट-फेर

भारत के इतिहास को आधुनिक रूप में लिखने की प्रक्रिया में पाश्चात्य विद्वानों द्वारा वैज्ञानिकता के नाम पर भारतीय इतिहास, संस्कृति, सभ्यता, धर्म-दर्शन और साहित्य की श्रेष्ठता और प्राचीनता को कम से कम करके आंकने के भी घनघोर प्रयास किए गए। इन प्रयासों के अन्तर्गत बड़े-बड़े इतिहासकारों और पुरातत्त्ववेत्ताओं ने ऐसे अनेक मिथ्या तर्क दिए हैं, अनेक मिथ्या आधारों की स्थापनाएँ कीं और अनेक मिथ्या कल्पनाएँ तथा विवेचनाएँ कीं, जो नितान्त बाल बुद्धि जैसी लगती हैं।

भारत के प्रसिद्ध पुरातात्त्विक श्री बी. बी. लाल ने वैज्ञानिक आधार पर भारत के प्राचीन इतिहास का काल-निर्धारण करते हुए महाभारत युद्ध को 836 ई. पू. में हुआ माना है। महाभारत युद्ध के लिए इस काल को निर्धारित करने की प्रक्रिया का ब्योरा प्रस्तुत करते हुए श्री लाल ने कहा है कि भारतीय इतिहास के मुस्लिम काल में दिल्ली में कुतुबुद्दीन ऐबक से लेकर बहादुरशाह जफर तक 47 मुस्लिम बादशाह हुए हैं और उन्होंने कुल 652 वर्ष राज्य किया है। इस हिसाब से प्रति राजा का औसत राज्यकाल 13.9 अर्थात 14 वर्ष बनता है। इसी आधार पर परीक्षित से लेकर उदयनतक हुए 24 राजाओं का राज्यकाल उन्होंने 24 ग 14 त्र 336 वर्ष माना है। उदयन का समय उन्होंने 500 ई. पू. कल्पित किया है क्योंकि बौद्ध ग्रन्थों में उदयन को गौतमबुद्ध का लगभग समकालीन माना गया है। अतः500 ई. पू. में 336 वर्ष जोड़कर 836 ई. पू. वर्ष बनाकर इसे महाभारत का काल माना है। जबकि वास्तव में महाभारत का युद्ध उस समय से बहुत पहले हुआ था।

डॉ. के. एम. मुन्शी के निरीक्षण में और डॉ. रमेश चन्द्र मजूमदार के प्रधान सम्पादकत्व में तैयार ‘दि हिस्ट्री एण्ड कल्चर ऑफ इण्डियन प्यूपिल‘ ने तो वैज्ञानिकता के नाम पर भारत के इतिहास के संदर्भ में और भी खिलवाड़ किया है। इस ग्रन्थ में जो कुछ लिखा गया है वह उससे बहुत भिन्न नहीं है जो पाश्चात्य इतिहासकारों ने लिखा है।

जहाँ तक महाभारत युद्ध का काल जानने के लिए उसे हजारों-हजारों वर्ष बाद पैदा हुए मुसलमान बादशाहों के औसत राज्यकाल को आधार बनाने का प्रश्न है तो इसका उत्तर तो श्री लाल ही जानें किन्तु यहाँ यह प्रश्न उठता ही है कि उनके मस्तिष्क में यह बात क्यों नहीं आई कि प्राचीन काल में दीर्घ जीवन भारत की एक विशिष्टता रही है। उस काल का औसत भारतीय राजा काफी समय बाद के औसत मुसलमानी बादशाह से काफी अधिक काल तक जीवित रहा होगा। भारत के लोगों के दीर्घ जीवन के बारे में मेगस्थनीज आदि यूनानी विद्वानों के निम्नलिखित विचार उल्लेखनीय हैं-

1. भारतीयों को न कभी सरदर्द, न दन्तशूल और न अन्य बीमारियाँ होती थीं। न ही शरीर के किसी भाग में अल्सर होता था। वे 120, 130, 150 वर्ष तक जीते थे। कोई-कोई तो 200 वर्ष तक भी जीते थे।

(एरियन की - इण्डिका‘ का XII, XV और फैग XXII. सी - टीशियस की ‘एनशिएंट इण्डिया‘, अनुवादक - जे. डब्ल्यु. मैकक्रिण्डले, पृष्ठ 18)

यदि आज से 2300 वर्ष पूर्व हमारे पूर्वज निरोग रहकर 200 वर्ष तक जीवित रहते थे तो 5000 या 6000 वर्ष पूर्व तो वे और भी अच्छी तरह से तथा और भी लम्बी आयु तक जीवित रहते होंगे। अतः मुसलमानी काल की इस प्रकार की औसत निकालकर प्राचीन भारतीय राजाओं के राज्यकाल को निकालना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं माना जा सकता। इस संदर्भमें यह भी उल्लेखनीय है कि विजयनगर का ‘रामराजा‘ 96 वर्ष की आयु में तालिकोट की युद्धभूमि पर गया था और पंवार वंश के राजा गंगासिंह ने मोहम्मद गोरी के विरुद्ध पृथ्वीराज को युद्ध में 90 वर्ष की आयु में सहयोग दिया था। यही नहीं, महाभारत के युद्ध के समय आचार्य द्रोण और महाराजा द्रोपद की आयु लगभग 300 वर्ष, पितामह भीष्म की आयु 170-180 वर्ष तथा श्रीकृष्ण और अर्जुन की आयु 88 वर्ष मानी जाती है।

अर्वाचीन और प्राचीन काल में कतिपय भारतीयों के आयु मान के उक्त उदाहरणों के समक्ष 14 वर्ष की औसत से उस समय के राजाओं की आयु निकालने की वैज्ञानिकता सामान्यतः बुद्धिगम्य नहीं हो पाती। लगता है यह सब कुछ भारतीय इतिहास को विकृत करने की दृष्टि से किया/कराया गया है।

ऐतिहासिक महापुरुषों की तिथियाँ

पाश्चात्य विद्वानों द्वारा भारतीय इतिहास के लिए निर्धारित तिथिक्रम के आधार पर किसी भी ऐतिहासिक महापुरुष की जन्मतिथि और महान सम्राट के राज्यारोहण की तिथि पर विचार किया जाता है तो वह असंगत लगती है। इस खण्ड में कतिपय ऐसे ही ऐतिहासिक महापुरुषों कीजन्मतिथियों और सम्राटों के राज्यारोहण की तिथियों के विषय में विचार किया जा रहा है -
(क) गौतम बुद्ध का आविर्भाव 563 ईपू. में हुआ - गौतम बुद्ध का आविर्भाव भारतीय इतिहास की एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण घटना है किन्तु यह खेद का ही विषय है कि उनकी जन्म और महानिर्वाण की तिथियों के सम्बन्ध में प्रामाणिक जानकारी भारतवर्ष में सुलभ नहीं है। हाँ, यह जानकारी तो विभिन्न स्रोतोंसे अवश्य मिल जाती है कि वे 80 वर्ष तक जीवित रहे थे। देश-विदेश में प्रचलित बौद्ध परम्पराओं से भी उनके जन्म और महानिर्वाण के सम्बंध में प्रामाणिक तिथियाँ नहीं मिल पाई हैं। हर जगह ये तिथियाँ अलग-अलग ही बताई जाती हैं।

पाश्चात्य इतिहासकारों ने गौतम बुद्ध का जन्म वर्ष निकालने के लिए चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्यारोहण के लिए कल्पित तिथि 320 ई. पू. में से उसके और उसके पुत्र बिन्दुसार के राज्यकालों के वर्षों को घटाकर अशोक का राज्यारोहण वर्ष 265 ई. पू. निकाला है। इस 265 ई. पू. में 218 वर्ष जोड़कर गौतम बुद्ध के महानिर्वाण का वर्ष 265 + 218 = 483 ई. पू. निश्चित किया है क्योंकि सीलोन के क्रोनिकल महावंश में लिखा हुआ है कि गौतम बुद्ध के महानिर्वाण के 218 वर्ष बाद अशोक का राज्यारोहण हुआ था। इसी को आधार मानकर 483 ई. पू. में गौतम बुद्ध की पूर्ण आयु के 80 वर्ष मिलाकर 483 + 80 = 563 ई. पू. को उनके जन्म का वर्ष माना गया है। जबकि ऐसे अनेक विद्वान हैं जो इस तिथि को सही नहीं मानते। विगत दो शताब्दियों से लगातार प्रयासों के बावजूद गौतम बुद्ध के जन्म की तिथि निश्चित नहीं हो सकी है।

19वीं शताब्दी में पाश्चात्य विद्वानों ने बुद्ध के काल-निर्धारण के संदर्भ में 25वीं शताब्दी ई. पू. से 5वीं शताब्दी ई. पू. तक की अनेक तिथियाँ एकत्रित की थीं, जिनका डॉ. विल्सन ने विश्लेषण किया था। श्रीराम साठे ने ‘डेट्स ऑफ बुद्धा‘ के पृष्ठ 2 से 4 तक डॉ. विल्सन की तिथियों के साथ प्रिन्सेप तथा कुछ अन्य लोगों द्वारा दी गई तिथियाँ भी दी हैं। उनसे ज्ञात होता है कि-

बुद्ध की तिथियों, यथा- 2500 ई. पू. और 563 ई. पू. में लगभग 2000 वर्ष का अन्तराल है।पदमाकरपो (भूटानी लामा) और भारतीय स्रोतों के आधार पर निकाली गईं क्रमशः 1858 ई. पू. और 1807 ई. पू. की तिथियों में परस्पर अन्तर बहुत कम है।कल्हण के नाम से दी गई 1332 ई. पू. की तिथि भी भ्रमपूर्ण ही लगती है। कारण ‘राजतरंगिणी‘ में गौतम बुद्ध का महानिर्वाण तुरुष्क वंश के राज्यारम्भ से 150 वर्ष पूर्व माना है और तुरुष्क वंश का समय 1294-1234 ई. पू. के बीच में बैठता है। इसके हिसाब से गौतम बुद्ध की महानिर्वाण की तिथि 1294 $ 150 $ 80 = 1524 ई. पू. की बैठती है।अधिकतर विद्वान 1027 ई. पू. की तिथि पर सहमत हैं।

संदर्भित तिथियों को महानिर्वाण की तिथियाँ मानकरउनमें 80 वर्ष (बुद्ध का जीवन काल) जोड़ने पर जो तिथियाँ बनती हैं वे भी वर्तमान में प्रचलित भारत के इतिहास में बुद्ध के जन्मकाल के लिए दी गई 563 ई. पू. से मेल नहीं खातीं।

भारतीय पुराणों से मिली विभिन्न राजवंशों के राजाओं के राज्यारोहण की तिथियों के आधार पर जो जानकारी मिलती है, उसके हिसाब से गौतम बुद्ध का जन्म 1886-87 ई. पू. में बैठता है। वे महाभारत युद्ध के पश्चात मगध की गद्दी पर बैठने वाले तीसरे राजवंश-शिशुनाग वंश के चौथे, पाँचवें और छठे राजाओं के राज्यकाल में, यथा- 1892 से 1787 ई. पू.के बीच में हुए थे।

ऐसा भी कहा जाता है कि गौतम बुद्ध का महाप्रस्थान अजातशत्रु के राज्यारोहण के 8 वर्ष बाद हुआ था अर्थात 1814 - 8 = 1806 ई. पू. में हुआ था। श्रीलंका में सुलभ विवरणों से भी ऐसी ही जानकारी मिलती है कि बुद्ध का महानिर्वाण अजातशत्रु के राज्यारोहण के 8 वर्ष बाद हुआ था। इस विषय में तो सभी एकमत हैं कि गौतम बुद्ध 80 वर्ष तक जिए थे। अतः उनका जन्म 1806 + 80 = 1886 (1887) ई. पू. में हुआ होगा। यह समय क्षेत्रज के राज्यकाल का था जोकि शिशुनाग वंश का चौथा राजा था। जबकि वर्तमान इतिहासज्ञों द्वारा जो तिथि गौतम बुद्ध के जन्मकाल की दी गई है, वह 563 ई. पू. है।

उक्त भारतीय विवरणों के आधारों पर बुद्ध के जन्म के लिए बनी तिथियों और प्रचलित तिथि (563 ई. पू.) में भी काफी (लगभग 1300 वर्षों का) अन्तर आता है।

लेखक :-
रघुनन्दन प्रसाद शर्मा

कल बात करेंगे आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य के समयकाल के बारे में..........

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