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आखिर हमारे शहीदों के सपने क्या थे? जिसके लिए वो अपने को इस देश के लिए कुर्बान कर गये?
शहीदों के सपनो का भारत (शिवपुरी:- श्री राजीव दीक्षित जी)
https://m.youtube.com/watch?v=mhO5zNooWbo&feature=youtu.be
*एक पुरानी घटना से शुरू करता हूँ मेरे व्याख्यान को, अमर शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, मनमत नाथ गुप्त, सुचिन्द्रा नाथ लहिडी, राम प्रसाद विस्मिल जैसे लोगों ने मिलकर एक संगठन वनाया था, जिसका नाम था हिन्दुस्तानी सोशलिस्ट रिपब्लिकन असोसियेशन. ये संगठन वाराणसी में बना था सन् 1924 में. इस संगठन की स्थापना के समय सारे क्रांतिकारियों ने मिलकर एक घोषणा पात्र जारी किया था, जैसे आज कल राजनैतिक पार्टियों के मैनेफेस्टॉस होते है. ये घोषणा पत्र सभी क्रांतिकारियों के हस्ताक्षर से जारी हुआ था. बहुत दिनो के बाद मेरे जैसे आदमी को ये घोषणा पत्र दिल्ली के अभिलेखागार में ऐसी जगह से मिला, जिससे बताया नही जा सकता. सभी सरकारी जगहों पर एक कूड़ाघर होता है, ऐसे ही कचरा घर में मुझे भारत के क्रांतिकारियों का घोषणा पत्र पड़ा हुआ मिला. जिसमें सभी क्रांतिकारियों के हस्ताक्षर थे और अमर शहीद भगत सिंह की लिखावट थी।*
*मैं अपने जीवन में क्रांतिकारीओं के द्वारा लिखे हुए पत्र पढता रहा हूँ, इसलिए मैं भगत सिंह की लिखावट को पहचानता था. कचरे के ढेर से मैने वो पत्र निकाल लिया, पलटने की कोशिश की तो बहुत पुराना होने की वजह से वह फट गया. मैने वो पत्र ले जाकर अभिलेखागार के डाइरेक्टर को दिखाया और पूछा कि इतने महत्व की चीज़ कूड़े के ढेर में पड़ी हुई है? इसको तो बहुत सुरक्षित स्थान पर होना चाहिए था. तो उस आदमी ने जबाब दिया कि राजीव भाई पूरा देश ही कूड़े के ढेर में पड़ा हुआ है, इसका क्या करें? उसके बाद उस पत्र को अच्छे से निकाल कर शीशे पर रख कर सेलो टेप लगाकर और फटे हुए हिस्सों को जोड़कर पढने लायक बनाया. वो घोषणा पत्र आज भी दिल्ली में है, उस घोषणा पत्र मैं क्रांतिकारी क्या लिख रहें है?*
*अंग्रेज भारत को छोड़कर जाए ये हमारे जीवन का पहला लक्ष्य है; लेकिन ये आख़िरी नहीं है सिर्फ़ पहला है. जिसका अर्थ है कि अँग्रेज़ों के जाने के साथ हमारी लड़ाई शुरू होती है ख़त्म नही. अंग्रेज भारत से जाएँ ये पहला लक्ष्य है दूसरा लक्ष्य क्या है? दूसरा लक्ष्य उससे भी बड़ा है कि अँग्रेजियत भारत को छोड़कर जाय. आप पूछेंगे कि अँग्रेजियत का मतलब तो इसका मतलब है अँग्रेज़ों की बनाई हुई व्यवस्था, क़ानून, नीतियाँ और तंत्र. इसको एक शब्द में अँग्रेजियत कहा जाता है. अंग्रेज़ों की भाषा, भूषा, भेषज, पाठ्यक्रम, क़ानून व्यवस्थाएँ, न्याय व्यवस्था, प्रशशणिक व्यवस्था और कर व्यवस्था; ये सारा का सारा तंत्र भारत से चला जाय ये क्रांतिकारियों का दूसरा लक्ष्य था।*
*फिर उस घोषणा पत्र में लिखा गया कि अँग्रेज़ों ने इस देश को लूट- लूट कर ग़रीब बना दिया है वरना ये देश कभी ग़रीब नही था. यह ग़रीबी इस देश से मिटे और भारत फिर से एक संपत्तिवान देश बने. भारत के किसान और मजदूरों को इतना सम्मान मिले जितना पिछले 250 वर्षों मैं कभी नही मिला और जिसके वो हमेसा हकदार थे. हर व्यक्ति मान और सम्मान के साथ जीए जैसे आजकल कोई करोड़ पति और अरब पति जीता है. व्यक्ति का सम्मान हो, उसके कर्म और कर्तव्य का सम्मान हो, पैसे का सम्मान न हो क्योंकि पैसे का सम्मान किसी व्यवस्था को कायम करने वाला हो नही सकता. इसलिए हम कर्म को आधार बनाकर सम्मान करें देश के साधारण नागरिकों का भी. फिर उस घोषणा पत्र में शहीदों की तरफ से लिखा गया है कि हमारे हाथ मैं पाँच उंगलियाँ है, हर उंगली दूसरी उंगली के बराबर नही है और दूसरी उंगली से बहुत छोटी या बहुत बड़ी भी नही है इसलिये हर अमीर और ग़रीब में उतना ही मामूली अंतर होना चाहिए जितना हाथ की उंगलियों में है. ये हमारे उद्देश्यों मे शामिल है।*
*इस तरह से उस घोषणा पत्र में 29 बिन्दु शहीदों ने लिखे थे जो इतिहास है जिस पर इस देश की संसद और विधान सभाओं में बहस होनी चाहिए कि हमारे शहीदों के सपने क्या थे; जिसके लिए वो अपने को इस देश के लिए कुर्बान कर गये. अंत में उस घोषणा पत्र में लिखा है कि देश के सारे नौज़बानों से ये अपील हैं ” हम तो इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए जीते ज़ी मर और खप जाएँगे लेकिन हमारी आने वाली पीढ़ी के नौजवान इन्ही रास्तों पर आते रहें और देश के लिए अपने को खपाते रहें और न्योछावर करते रहें"।*
*एक वाक्य शहीदे आज़म भगत सिंह ने लिखा अपने कलम से और वह लिखते हैं कि भारत आज़ाद होगा; दुनियाँ की कोई ताक़त रोक नहीं सकती. इसके आगे वह लिखते हैं कि भारत आज से लगभग 15 साल बाद आज़ाद होगा; लेकिन आज़ादी के बाद का भारत कैसा होगा इसको लेकर हमारे मन में बहुत आशंका है. आज़ादी के बाद देश यदि अपने रास्ते पर चलेगा, स्वदेशी और स्वावलंबन के रास्ते पर चलेगा तो हमारी आत्मा को बहुत शुकून मिलेगा. लेकिन अगर आज़ादी के बाद यदि ये देश फिर विदेशी और गुलामी के रास्ते पर चल पड़ा तो हमारी शहादत बेकार जाएगी. इसलिये भारत वासियों से हमें अपील करनी है कि आज़ादी तो आ ही जाएगी, वो बड़ी बात नहीं है. लेकिन आज़ादी के बाद का भारत कैसा बनाया जाएगा वो महत्व की बात है. ऐसा घोषणा पत्र हमारे क्रांतिवीर अमर शहीद भगत सिंह, अमर शहीद चंद्र शेखर आज़ाद, अमर शहीद मनमत नाथ गुप्त, अमर शहीद सुचिन्द्रानाथ लहिडी, अमर शहीद राम प्रसाद विस्मिल जैसे और ठाकुर रोशन सिंह ने लिखा था. ये वो क्रांतिकारी थे जो हिंसा के रास्ते पर चलकर देश को आज़ादी दिलाना चाहते थे।*
*मुझे बड़ा अफ़सोस है कि जिन उद्देश्यों के लिए शहीदों ने शहदात दी उनमे से एक भी उद्देश्य पूरा होता दिखाई नही देता है।*
*अपना देश, अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा, अपना गौरव।*
*मित्रों राजीव दीक्षित जी ने जो- जो खुलासे किये है और जो- जो जानकारी दी है वो आज तक ना किसी राजनैतिक पार्टी ने दी है, ना किसी नेता ने और ना ही मीडिया ने। इसलिए हमारा ये फर्ज बनता है कि हम राजीव दीक्षित जी के विचारों को जन- जन तक पहुंचाये।*
*।।स्वदेशी अपनाये, भारत को बचाये।।*
भारत रत्न श्रीराजीव दीक्षितजी को शत् शत् नमन
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#Rajiv_Dixit,
Peace if possible, truth at all costs.