लव जिहाद : हिन्दू युवतियों, स्त्रियों तथा अभिभावकोंके लिए ध्यानमें रखनेयोग्य सावधानियां

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१. हिन्दू युवतियों एवं स्त्रियोंके लिए ध्यानमें रखनेयोग्य सावधानियां

१ अ. कठिन प्रसंग आनेपर हिन्दुओंके द्वारा सहायता मिलने हेतु माथेपर प्रतिदिन कुमकुम लगाएं !

१ आ. धर्मांध मित्र अथवा पडोसी हो तो उनसे सावधान रहें !

१ इ. वासनांधोंसे अपनी रक्षाके लिए कराटे, नानचाकू इत्यादि स्वसंरक्षण पद्धतियोंका प्रशिक्षण लें !

२. हिन्दू अभिभावकोंके लिए ध्यानमें रखने योग्य सावधानियां

२ अ. अपनी बेटीके विद्यालयीन अथवा महाविद्यालयीन जीवनके विषयमें जानकारी रखें !

१. बेटीके प्रतिदिनके आचार-विचारपर ध्यान दें । उसके विद्यालय अथवा महाविद्यालय आने-जानेका समय अपने पास लिखकर रखें !

२. बेटीके मित्र और सहेलियोंका संपर्क क्रमांक अपने पास रखें । समयसमयपर उनसे अपनी बेटीके आचरणके विषयमें पूछताछ करते रहें !

३. ‘स्कार्फ’ बांधनेके कारण दोपहिए वाहनपर ‘लव जिहादी’के पीछे बैठी युवतीको पहचानना कठिन होता है, यह जानकर उसके ‘स्कार्फ’ बांधनेके संदर्भमें सावधान रहें ।

४. महाविद्यालयके कार्यक्रममें अन्य युवकोंके साथ बेटीके सम्मिलित होनेपर उस विषयमें समझ लें !

५. माध्यमिक विद्यालय और महाविद्यालयोंके परिसरमें भटकनेवाले अपरिचित धर्मांध युवकोंकी जानकारी तुरंत हिन्दुत्ववादी संगठनोंको दें !

२ आ. बेटीको सुख-सुविधाओंके साधन विचारपूर्वक दें !

१. नई वेशभूषा, अलंकार, बहुमूल्य ‘मोबाईल’, ‘कैमरा’ आदि वस्तुएं बेटीकी आवश्यकताओंका अभ्यास कर ही दें !

२. `लव जिहाद’की कुछ घटनाएं ‘मोबाईल’के कारण हुई हैं । इसलिए ‘बेटीके ‘मोबाईल’पर किसका दूरभाष आता है, इसका पता बीच-बीचमें करते रहें ! बेटीके ‘मोबाईल’में संरक्षित (सेव) किया हुआ ‘लव जिहादी’ युवकका क्रमांक किसी अन्य नामसे भी हो सकता है, यह भी ध्यानमें रखें !

२ इ. बेटीको अपने मनकी बात खुलकर बोलनेके लिए निरंतर प्रोत्साहित करते रहें !

१. वयस्क होनेपर युवतीमें शारीरिक एवं मानसिक परिवर्तन होते रहते हैं । इस कालमें आप उससे प्रेमपूर्वक व्यवहार करें । उसमें अपनत्वकी भावना जगाएं !

२. प्रतिदिन बेटीसे थोडा समय अनौपचारिक संवाद कर उसके मनमें क्या चल  रहा है, यह जान लें ! बेटी आपसे सहजतासे बातचीत करे, परिवारमें ऐसा वातावरण बनाए रखें !

२ ई. बचपनसे ही बेटीको धर्मशिक्षा देकर सुसंस्कारित करें ! :

शिक्षाका अभाव और हिन्दू धर्मकी श्रेष्ठता न जाननेके कारण हिन्दू युवतियां धर्मपरिवर्तन करती हैं । इसके लिए –

१. बचपनसे ही बेटीपर हिन्दू धर्मके पारिवारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नीतिमूल्योंका संस्कार करें !

२. हिन्दू वंश और हिन्दुस्थानमें जन्म होनेका अभिमान बेटीमें जागृत करें !

३. हिन्दू सभ्यताको शोभा देनेवाली वेशभूषा करनेका संस्कार बेटीपर करें !

४. धर्मसत्संग, राष्ट्रपुरुषोंसे संबंधित कार्यक्रम आदि कार्यक्रमोंमें सम्मिलित होनेके लिए बेटीको प्रोत्साहित करें !

५. हिन्दू संस्कृति, हिन्दू धर्मके ग्रंथ, हिन्दू धर्मका इतिहास, हिन्दू धर्मकी श्रेष्ठता आदिका महत्त्व बेटीको बताएं !

६. बेटीको हिन्दू धर्मका तत्त्वज्ञान और आध्यात्मिक परंपराकी शिक्षा, अर्थात् धर्मशिक्षा दीजिए और उसके अनुसार आचरण करने हेतु प्रेरित करें !

२ उ. बेटीको धर्मांध स्त्रीके यातनामय जीवनसे परिचित करवाएं !

‘बहुपत्नीत्व, बुरका, तलाक, आर्थिक परावलंबिता, मार-पीट और ढेर सारे बच्चोंका झमेला, यह धर्मांध स्त्रीके जीवनमें आया हुआ नित्यका भोग है । इसका बोध प्रत्येक हिन्दू अभिभावक अपनी बेटियोंको वयस्क होनेसे पूर्व ही कराएं । – डॉ. श्रीरंग गोडबोले, पुणे.

२ ऊ. ‘लव जिहाद’के संकटसे पुत्रीको परिचित करवाएं !

‘पुत्रीको केवल हिन्दू धर्मकी महत्ता बतानेपर धर्मपरिवर्तन नहीं रुकेगा । यह धर्मपरिवर्तन रोकनेके लिए ‘लव जिहाद’के संकटसे उसे परिचित करवाएं ।’ – श्री. समीर दरेकर

२ ए. ‘लव जिहाद’की बलि चढ सकती हैं अथवा बलि चढी युवतियों की रक्षा कैसे करनी चाहिए !

हिन्दू युवतियां ‘लव जिहाद’की बलि चढ सकती हैं अथवा बलि चढ चुकी हैं, उनका वर्गीकरण और उपाय आगे दिए हुए हैं ।

२ ए १. स्वाभाविक मित्रताकी भावनासे धर्मांध युवकके संपर्कमें रहनेवाली युवती : युवतीको उसकी हिन्दू सहेली, मित्र, प्राध्यापक और अभिभावकोंकी सहायतासे समझाएं ।

२ ए २. धर्मांध युवकसे घनिष्ठ मित्रताके कारण उससे शारीरिक निकटता होनेपर उचित-अनुचितका विचार करनेकी क्षमता गंवा चुकी युवती : युवतीपर वशीकरण अथवा करनीका (टिप्पणी १) प्रयोग होनेकी आशंका होनेपर इस पुस्तकके सूत्र क्रमांक ‘७ क २’ में वर्णित आध्यात्मिक उपाय करें । तत्पश्चात युवतीका विवाह किसी सुयोग्य हिन्दू युवकसे करें ।

टिप्पणी १ – गुडिया, नींबू, टाचनी इत्यादि घटकोंको माध्यम बनाकर उसपर विशिष्ट मंत्रका प्रयोग कर काली शक्ति व्यक्तिकी ओर प्रक्षेपित कर उसे कष्ट पहुंचानेका प्रयास किया जाता है ।

२ ए ३. भगाई गई युवती : अभिभावक पुलिसमें परिवाद लिखवाएं । हिन्दू युवतीकी आयु १८ वर्षसे अधिक हो, तो ‘वह अपनी इच्छासे भाग गई’,  ऐसा लिखकर पुलिस असंज्ञेय अपराध प्रविष्ट करती है । इसलिए परिवाद (शिकायत) लिखवाते समय ही ‘युवती को भगाकर ले गए’, यह स्पष्टतासे अभिभावकोंद्वारा बताया जाना आवश्यक होता है ।

२ ए ३ अ. ‘लव जिहाद’के परिवाद प्रविष्ट करनेके संदर्भमें वैधानिक सूत्र समझ लें !

१. १८ वर्षकी आयुसे पूर्व अर्थात सज्ञान हुए बिना युवक-युवतियोंके लिए स्वेच्छासे धर्म-परिवर्तन करना, कानूनके अनुसार अपराध होता है । अतः सज्ञान न होते हुए धर्मांतरण कर अन्य धर्मीयके साथ किया विवाह और धर्मांतरण कानूनके अनुसार अवैध होते हैं । ऐसे प्रकरणोंमें संबंधितोंके अभिभावक ‘लडकीका बलपूर्वक धर्मांतरण अथवा विवाह हुआ है’, ऐसा परिवाद प्रविष्ट कर सकते हैं ।

२. सज्ञान होनेपर, अर्थात उसके अठारह वर्ष पूर्ण होनेपर भी युवतिद्वारा बलपूर्वक धर्मांतरणका परिवाद प्रविष्ट किया जानेसे वह धर्मांतरण अवैध होता है । धर्मांतरण अवैध होनेसे निकाह भी अवैध होता है ।

३. अपने साथ हुए छलकपटके विषयमें किसी भी युवतिद्वारा परिवाद किया जानेपर संबंधित आरोपी किसी भी धर्मका होनेपर वह निम्न धाराओंके अनुसार दंडके लिए पात्र होता है ।

अ. बलात्कार करना (भादंवि ३७५, ३७६)

आ. ठगना (भादंवि ४१५ से ४२०) इ. अपहरण करना (भादंवि ३५९)

ई. सहमतिके विरुद्ध अश्लील प्रसंगोंका छायाचित्रण करना अथवा चित्रीकरण करना और उसकी सहायतासे युवतीकी छवि बिगाडनेकी धमकियां देना (ब्लैकमेलिंग करना)

४. किसी युवतीके लापता होनेपर पडोसी भी पुलिसमें परिवाद लिख सकते हैं ।

५. हिन्दू विवाहित स्त्री अथवा पुरुष विवाहविच्छेद न कर तथा धर्मांतरण कर दूसरा विवाह करता है, तो पहला विवाह विच्छेद न होनेसे दूसरा विवाह भारतीय दंडविधान धारा ४९४ और ४९५ के अनुसार धर्मांतरण करनेपर भी अनधिकृत होता है ।

२ ए ४. ‘लव जिहादी’द्वारा फंसाया गया है, यह ज्ञात होनेपर घर लौटी युवती : ऐसी युवतीका विवाह एवं धर्मपरिवर्तन होनेपर उस विषयमें कानूनी बाधा दूर कर उसे अपने धर्ममें पुनः विधिवत् प्रवेश दिलवाएं । ऐसेमें वह आत्मविश्वास खो चुकी होती है । अतएव उसे समझाने हेतु मानसशास्त्रीय चिकित्सककी सहायता लें । साथ ही उसका आर्थिक दृष्टिसे पुनर्वसन हो इसके लिए प्रयत्न करें ।

संदर्भ : हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा पुरस्कृत ग्रंथ ‘

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