naidunia.jagran.com 19 August 2017, 07:59
क्या आप वर्तमान समय में कल्पना भी कर सकते हैं
कि देश के हिंदू अलग सरकार बनाने के लिए वोट दें
और मुसलमान अलग सरकार के लिए!
इसी तरह सिखों और अन्य धर्मावलंबियों को भी अपनी पसंद की अलग-अलग सरकारें चुनने के लिए मतदान करने का अधिकार हो!
निश्चित रूप से आज यह सोचना भी हास्यास्पद लग सकता है
कि हर धर्म के लोग अपनी अलग सरकार बनाएं!
मगर एक समय ऐसा था,
जब इसे लेकर बाकायदा संसद में मांग उठी थी।
वो तो सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे कद्दावर
नेता इसके विरोध में अड़ गए और इस विचार को ही खारिज करवाया,
अन्यथा देश में ऐसी बहु-चुनाव व्यवस्था भी लागू हो सकती थी।
किस्सा देश को आजादी मिलने के ठीक बाद का है।
भारत तब पाकिस्तान के रूप में बहुत बड़ा भूभाग अलग हो जाने के दंश से उबरा भी नहीं था कि संविधान सभा में नए कानून बनाने को लेकर बात होने लगी।
बार-बार सत्र बुलाए जाते और उसमें दिग्गज नेता अपने-अपने सुझाव देते।
संविधान सभा सबके सुझाव सुनती और नोट करती चलती,
ताकि उनके आधार पर सर्वोत्तम कानून बनाया जा सके।
मगर उसी दौर में मद्रास (अब चेन्नई) के एक मुस्लिम सदस्य ने पुरजोर ढंग से एक अप्रत्याशित मांग उठाई।
उस सदस्य ने कहा -
'भारत को मुसलमानों के लिए एक अलग चुनाव प्रणाली बनानी चाहिए
और
मुस्लिमों को अलग निर्वाचन क्षेत्र मिलने चाहिए।
यदि ऐसा नहीं किया गया तो इस समुदाय की आवाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा।'
यह एकदम अलग तरह की मांग थी
क्योंकि तब लगभग सभी नेता और पूरे देश की जनता चाहती थी कि 'देश में लोकतांत्रिक रूप से सबके लिए
समान कानून,
समान चुनाव प्रणाली व
समान अधिकार तय हों।'
अचानक उठी इस मांग ने संविधान सभा के सदस्यों का ध्यान खींचा।
ऐसे में अल्पसंख्यकों को सामान्य से ज्यादा अधिकार देने की वकालत करने वाले कुछ सदस्यों ने इस मांग के सुर में सुर मिलाना भी शुरू कर दिया।
इससे एक माहौल बनने लगा, जिसमें यह चर्चा होने लगी कि 'मुस्लिमों के लिए वाकई अलग चुनाव प्रणाली बना देना चाहिए।'
मगर इस दुर्भाग्यपूर्ण चर्चा के भयावह परिणामों को तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ताड़ गए।
वे समझ गए कि यदि 'मुस्लिमों के लिए अलग चुनाव प्रणाली या पृथक निर्वाचन क्षेत्र जैसा कोई कानून बना,
तो देश फिर हिंदू-मुस्लिम के खेमों में बंट जाएगा'।
पटेल ने तुरंत मद्रास के उस मुस्लिम सदस्य का प्रस्ताव खारिज किया
और जबरदस्त तर्क देते हुए उन नेताओं का मुंह भी बंद कर दिया जो अलग चुनाव प्रणाली का समर्थन कर रहे थे।
पटेल भरी सभा में बोले -
'देश पहले ही एक
बंटवारा झेल चुका है।
यदि अब भी किसी को अपने लिए
अलग कानून,
अलग चुनाव चाहिए
तो वह पाकिस्तान चला जाए।'
पटेल के इस कथन से सन्नाटा छा गया और वह विचार ही खारिज हो गया।
अन्यथा देश फिर बंट जाता।
#इस्लामिक_आतंकवाद #islamic_terror #मुस्लिम_आतंकवादी,
Peace if possible, truth at all costs.