अमेरिका के माया सभ्यता ओर हिंदुओ मे समानताएं..

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#अमेरिका के माया सभ्यता जो की हिन्दू मंदिर और समय यंत्र एवम अनेको पुरातात्विक प्रमाण से भरे पड़े है। जंहा हिन्दू देवी दुर्गा(महाकाल शिव जी की पत्नी महामाया) की  पुजा भी होती थी।

इसपर एक लेख पहले ही लिख चुके है।

माया सभ्यता का कालचक्र(समय चक्र) जो भारतीय ज्योतिष और समय चक्र से मिलती है वो हमेशा से ही पुरातात्विक लोगो के लिए एक शोध का विषय रहा है।

प्राचीन भारतीय ग्रन्थ अनुसार मयासुर ने इस सभ्यता की रचना कीए।

त्रेता युग के मयासुर ने दिया था अमेरिकी सभ्यता को जन्म

#असुरों_का_जिक्र

हिन्दू धर्म से जुड़े पौराणिक इतिहास में बहुत से चमत्कारी पात्रों का उल्लेख किया गया है। देवताओं के अलावा, अप्सरा, गंधर्व और असुरों का जिक्र भी लगभग हर पौराणिक कथा में मिल ही जाता है। इसी कड़ी में आज हम आपको मयासुर, जिसे मया दानव या मयासुर के नाम से भी जाना जाता है, के विषय में बताने जा रहे हैं।

#मयासुर

बेहतरीन वास्तुकार और शिल्पकार, माया दानव का उल्लेख महाभारत और रामायण, दोनों ही ग्रंथों में प्रमुख रूप से मिलता है। मायासुर को दानवों का राजा भी कहा जाता है।

#पत्थर_को_पिघलाना

मयासुर, माया राष्ट्र जिसे वर्तमान में मेरठ के नाम से जाना जाता है, का शासक था। ऐस माना जाता है कि वह इतना प्रभावी और चमत्कारी वास्तुकार था कि अपने निर्माण के लिए वह पत्थर तक को पिघला सकता था।

#मंदोदरी_का_पिता

रामायण के उत्तरकांड के अनुसार माया दानव, कश्यप ऋषि और उनकी पत्नी दिति का पुत्र और असुर सम्राट रावण की पत्नी मंदोदरी का पिता था।

#अप्सरा_की_पुत्री

रावण की पत्नी मंदोदरी की मां हेमा एक अप्सरा थी और उसके पिता एक असुर। अप्सरा की पुत्री होने की वजह से मंदोदरी बेहद खूबसूरत थी, साथ ही वह आधी दानव भी थी।

#बेहतरीन_वास्तुकार

हालांकि रामायण के उत्तरकांड के अनुसार रावण की खूबसूरत नगरी, लंका का निर्माण विश्वकर्मा ने किया था लेकिन यह भी मान्यता है कि लंका की रचना स्वयं रावण के श्वसुर और बेहतरीन वास्तुकार मयासुर ने ही की थी।

#रामायण_और_महाभारत में जिक्र

रामायण के अलावा मयासुर का जिक्र महाभारत में भी मिलता है। अज्ञात वास के दौरान खांडव वन का विनाश करते समय कृष्ण और अर्जुन ने मायासुर को जीवनदान दे दिया था।

#मायासभा

मायासुर अर्जुन का ऋणी हो गया और उसने यह वायदा किया कि वह उन्हें अपनी सेवाएं उपलब्ध करवाएगा। इसी वायदे को पूरा करने के लिए मरीचिका और भ्रम जाल में माहिर मायासुर ने इन्द्रप्रस्थ महल में खूबसूरत परंतु मिथ्या वास्तुकारी की, जिसे मायासभा भी कहा जाता है।

#दुर्योधन के हाल

वास्तुकारी के इस भ्रम जाल में उलझकर दुर्योधन भी तालाब में गिर गया था, क्योंकि उसने तालाब को जमीन समझ लिया था।

#त्रिपुरा

माया दानव ने सोने, चांदी और लोहे के तीन शहर जिसे त्रिपुरा कहा जाता है, का निर्माण किया था। त्रिपुरा को बाद में स्वयं भगवान शिव ने ध्वस्त कर दिया था।

#तारकासुर

तारकासुर के लिए मया दानव ने इस तीनों राज्यों, त्रिपुरा का निर्माण किया था। तारकासुर ने ये तीनों राज्य अपने तीनों बेटों तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युनमाली को सौंप दिए थे।

#सूर्य_सिद्धांतम

वास्तुकार होने के साथ-साथ मयासुर एक खगोलविद भी था। ‘सूर्य सिद्धांतम’ की रचना भी मयासुर ने ही की थी, जिसे स्वयं उसने सूर्य देव से ही सीखा था। खगोलीय ज्योतिष से जुड़ी भविष्यवाणी करने के लिए ये सिद्धांत बहुत सहायक सिद्ध होता है।

#गुप्त_शिक्षा

सूर्य सिद्धांत को जानने और अपने शिष्यों तक पहुंचाने के बाद, मयासुर ने उन्हें यह निर्देश दिया था कि इस विद्या को पूरी तरह गुप्त ही रखा जाना चाहिए, ताकि उन्हें किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धा से ना जूझना पड़े।

#माया_सभ्यता_का_जनक

मायासुर को दक्षिण अमेरिका की प्राचीन माया सभ्यता का जनक भी माना जाता है। मयासुर को माया लोगों के पूर्वज के तौर पर देखा जाता है।

#विलक्षण_प्रतिभा

ऐसा कहा जाता है कि जो जानकारियां और विलक्षण प्रतिभा माया दानव के पास थी, वहीं विलक्षण प्रतिभा माया सभ्यता के लोगों के पास भी  थी।

कहा जाता है इनके गुरु महर्षि शुक्राचार्य जी जो संजीवनी विद्या, खगोल और वास्तुविद थे उनसे प्राप्त कीए थे।

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