मित्र यादवेन्दर आर्य 'याद' जी की वाल से, नेहा की लव स्टोरी की प्रतिक्रिया:
लव जिहाद नैक्सस के हर सिरे पर पहुँचने का सफल प्रयास है- नेहा की लव स्टोरी (लेखिका: सोनाली मिश्र)
कहानी शुरू होती है अनजान गलियों में लहुलुहान होकर भागती और आखिर बेहोश होकर चौराहे पर पड़ी हिन्दू अस्मिता से जो अतीत में मेरा अब्दुल ऐसा नहीं है कि पैरोकार रही थी।
यहीं से शुरू होता है नेहा जो कि न्यूज रिपोर्टर है, की अब तक की बनी हुई प्रगतिशील छवि और छिन्न होती कबर्ड में रखी पुरातन मान्यताओं में द्वन्द्व।
जहाँ नेहा का प्रेमी अकरम है अपने सभी धार्मिक कृत्यों को शिद्दत से निभाता है लेकिन नेहा के लड्डू गोपाल को लाॅकर में बन्द कर देता है। हिन्दू अस्मिता जो अस्पताल में जीवन से संघर्ष कर रही है उसके होश में आने तक नेहा उस जघन्य अपराध की खोजबीन के दौरान ऐसे तथ्यों से परिचित होती है।
कि उसका सारा भ्रम कि मेरा अब्दुल ऐसा नहीं है का टूट जाता है। फिर नेहा मेघा (एक वकील है) व विश्वास अकरम के बाॅस सुल्तान के मुशायरे टाइप कार्यक्रम में ही सबके सामने अकरम गैंग का पर्दाफाश करते हैं।
और आखिरश नेहा के विश्वास की जीत होती है और वह विश्वास है हम आप सब जो भी इस लव जिहाद के विरुद्ध जागरुक कर रहे हैं।
इस उपन्यास में मीडिया से लेकर फिल्म स्टार सबकी किस तरह की कैसी भूमिका है इस लव जिहाद को प्रमोट करने में सब बड़ी बारीकी से जानने को मिला।
कहीं किसी फलाने अख्तर के कदमों में बिछी ढिकानी भास्कर दिखी कि कैसे महत्वाकांक्षी लड़कियाँ इन जिहादियों की बातों व स्टारडम के जाल में उलझकर अपने धर्म के विरुद्ध हो जाती हैं, तो कहीं बुरका दत्त कहीं जेएनयू के नारे तो कहीं रेख्ता के प्लांड कार्यक्रम, और यह सब कहीं न कहीं किसी न किसी तरह हिन्दू अस्मिता को तार तार करने के लिए ही काम कर रहे हैं।
बहरहाल नेहा की तो आँखें इसलिए खुल गईं कि उसको किसी माँ के दर्द ने विचलित कर दिया और वह उस माँ की बेटी को न्याय दिलाने के लिए खोजबीन करने लगी, जहाँ उसे हैरतअंगेज सूचनाएँ मिलीं। सबसे बड़ी बात उसे यह पता चली कि एक सामान्य दिखने वाला आम मजहबी व उसका प्रेमी भी किस हद तक मजहब के लिए समर्पित समर्पित है।
सो वह बिना सूटकेस में पैक हुए रह पाई। लेकिन जो अभी भी इस लव जिहाद के चंगुल में हैं उनको बचाने के लिए उन सारे कुतर्कों का उत्तर इस उपन्यास में है।
मसलन सब धर्म समान हैं, इंसानियत से बड़ा कुछ नहीं, हम तो भगवान में मानते ही नहीं, अरे तब कहाँ था तुम्हारा था भगवान जब मेरे साथ ये ये ये हो रहा था, प्यार धर्म देखकर नहीं होता (जबकि शादी के बाद इस्लाम स्वीकार करने को जोर देना न मानने पर कत्ल कर देना जरूर धर्म देखकर हो रहा है)
कहीं कहीं विस्तृत रिपोर्टिंग के कारण आलस आया लेकिन वह भी आवश्यक थी।
बहरहाल सोनाली जी को साधुवाद की उन्होंने लव जिहाद नैक्सस के हर छोटे से छोटे तन्तु पर वार किया है।
यादवेन्दर आर्य,
बहुत आभार जो आपने लिखा, जिस भी मित्र ने यह पढ़ा है, वह कृपया इसकी समीक्षा अवश्य लिखे।
#NehaKiLoveStory #LoveStory,
Peace if possible, truth at all costs.