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अभी अभी तेलुगु फिल्म "कार्तिकेय 2 " देख कर आया हूं और फिल्म देख कर इसके बारे में कितना लिखूं, क्या लिखूं समझ नहीं आ रहा। भगवान कृष्ण से जुड़ी यह एक सबसे शानदार कृति में से एक हैं। लाल सिंह चड्ढा और रक्षाबंधन जेसी फिल्मों के कारण ,यह फिल्म मेरे शहर भीलवाड़ा में अभी ही लगी थी। उन दोनो फिल्मों के घटिया रिव्यू और कहानी के कारण ,इस फिल्म को यहां अब इन दोनों फिल्मों से ज्यादा स्क्रीन मिल गई हैं।
फिल्म शुरू होती हैं मुख्य किरदार डॉक्टर कार्तिक के नौकरी से सस्पेंशन से। कार्तिक इसी पीरियड में अपनी माताजी के साथ द्वारिका की यात्रा पर जाता हैं और वही एक मर्डर से कार्तिक को लिंक कर दिया जाता हैं। मर्डर के केस में पुलिस से बचते और भगवान कृष्ण से जुड़े एक विषय की खोज में,कार्तिक कुछ लोगों के साथ देश में अलग अलग जगह भटकता हैं।पूरी कहानी एक शानदार थ्रिलर हैं। लेकिन यह एक सामान्य कहानी नहीं हैं इसी के साथ चलती रहती हैं भगवान कृष्ण की कहानी भी।
द्वापर युग के अंत में जब भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार का काल खत्म हो रहा होता था , उसी समय के आविष्कार और तकनीकी विकास को फिल्म में कार्तिक की कहानी के साथ जोड़ा गया हैं।पूरी फिल्म के हर एक मुख्य दृश्य में सनातन धर्म की झलक देखने को मिलती हैं। भगवान कृष्ण की कहानी को एनिमेशन से बताया गया हैं।पूरी फिल्म में कई जगह आपको गूसबंप्स फील होंगे।मुख्य रूप से तब ,जब अनुपम खेर की एंट्री होगी और वो भगवान कृष्ण का बहुत ही अदभुद वर्णन करेंगे। यह फिल्म वैसे तो फिक्शन फिल्म हैं लेकिन हैं काफी तथ्यों पर आधारित।यह फिल्म अंत में यह बताएगी कि भगवान कृष्ण कोई फिक्शन या माइथोलॉजी का हिस्सा नहीं थे।
30 करोड़ के बजट से बनी यह फिल्म के कुछ सीन आपको लगेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता हैं तो उस केस में याद रखे कि यह केवल एक फिल्म हैं ।फिल्म की कहानी में लॉजिक ढूंढने के बजाय , हमारी संस्कृति और प्राचीन विरासत ,खोज और विकास को देखेंगे तो काफी कुछ और पढ़ने और जानने का मन होगा।
अगर आपको एडवेंचर, घूमना और यात्रा से जुड़ी कहानियां पसंद हैं जैसे कि मैं यात्रा पसंद करता हूं और ट्रैवल ब्लॉग लिखता हूं तो फिर यह फिल्म आपके लिए सोने पे सुहागा होगी।फिल्म असल में द्वारिका की गलियों और समुद्र से लेकर मथुरा होते हुए हिमालय की पहाड़ियों में एक एडवेंचर से भरी रोड ट्रिप हैं।आप फिल्म में समुद्र,पहाड़ ,ग्लेशियर सबके सीन देखेंगे ।
अगर आप इतिहास और माइथोलॉजी से रिलेटेड पुस्तकों को पढ़ने के शौकीन हैं तो यह फिल्म आपको असल में ,अश्विन सांघी की किताब " The Krishan Key" से प्रेरित लगेगी।यह मेरी सबसे फेवरेट किताबों में से एक हैं। हालांकि इस पुस्तक में फिल्म से भी कई ज्यादा ट्विस्ट हैं और इसमें भी कहानी कालीबंगा, कैलाश पर्वत ,सोमनाथ के इर्द गिर्द घूमती हैं। फिल्म के अगले पार्ट का हिंट भी अंत में दिया हैं और जहां तक मुझे लगता हैं तीसरा पार्ट The Krishna Key का ही रूपांतरण होगा क्योंकि अंत में एक चाबी बताई गई हैं और आने वाली कहानी को इस चाबी से जुड़ा बताया हैं।
इस फिल्म का पार्ट 1 तो मैंने भी नही देखा हैं ,लेकिन अब उसको भी जल्दी ही देखूंगा । हालाकि दोनो का आपस में कोई कनेक्शन नहीं हैं।इसीलिए आप यह फिल्म एक फ्रेश फिल्म की तरह ही देख पाएंगे।
यह तय हैं कि यह फिल्म देखने के बाद आप भगवान कृष्ण और हमारे प्राचीन इतिहास के बारे में बहुत गहरा मंथन करना चाहेंगे और जल्दी से जल्दी इनसे जुड़ी कुछ किताबे पढ़ेंगे या विडियोज देखेंगे या कोई जानकारी जानने की कोशिश करेंगे। अगर 100 में से 2 लोग भी यह करेंगे तो फिल्म का मुख्य उद्देश्य पुरा हो जाएगा कि चलो कम से कम 100 में से 2 को तो हमारी प्राचीन भव्य विरासत पर मंथन करवाया।j
कुल मिला कर अगर आपने यह फिल्म नही देखी तो आपने एक उत्कृष्ट कृति को मिस कर दिया हैं।इस जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण से जुड़ी यह फिल्म जरूर देखिएगा।
- ऋषभ भरावा
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