बौद्धिक बेइमानी

0

2014 से जब से मोदी सरकार बनी है और उसने कुछ पुरानी बीमारियों की फाइल खोलनी शुरू किया है तभी से विपक्षी पार्टियां जेहादी वामपंथी लिब्रांडू बुद्धिजीवी वर्ग एक ही राग अलाप रहे हैं कि मंदिर मंदिर मत करो तीन तलाक 370 सीएए मत करो इससे कुछ भी नहीं होगा कोई फायदा नही होगा कारखाने फैक्ट्री की बात करो स्कूल कालेज हास्पिटल की बात करो मंदिरों से रोजगार नहीं मिलेगा इससे कोई भला नही होने वाला ब्ला ब्ला ब्ला


ऐसा लगता है जैसे मोदी ने आकर सबकी नौकरियां और कारोबार छीन लिया हो इससे पहले देश में न बेरोजगारी थी न महगाई थी


जैसे ही किसी  मंदिर का जिक्र होता है तुरंत कुबुद्धिजीवी वर्ग चिल्लाने लगता है कि इसकी बात मत करो रोजगार फैक्ट्री कई बात करो क्यों भाई मंदिर और रोजगार की बात साथ में नहीं हो सकती क्या काशी रोजगार की बात साथ नहीं हो सकती क्या मथुरा और बेरोजगारी पर बात साथ नहीं हो सकती  क्या जहां पर यह मामले चल रहे हैं उन अदालतों के जजों को रोजगार देना है देश को 


क्या मोदी योगी को फावड़ा चलाना है काशी मथुरा में सरकार अपना काम करे महगाई बेरोजगारी पर आप लोगो को घेरना है तो सरकार को घेरो लेकिन हमारे मंदिरों पर सवाल मत उठाओ तुम लोगो को हर काम सरकार के भरोसे करना है तो करो तुम्हे लगता है कि सरकार बेरोजगारी दूर कर पायेगी तो सोचो मुझे नहीं करना है


क्योंकि मैं सच जानता हूँ दुनिया के किसी देश ने अपनी पूरी जनता को सरकारी स्तर पर रोजगार नहीं दिया हुआ है फिर भारत में कैसे हो सकता है जिसे जरा सा भी इस गणित का पता है वो जानता है ये नेताओं के गाल बजाऊ भाषण होते हैं  जमीनी हकीकत से कोई लेना देना नहीं होता इनका कुछ लोग कहते हैं सरकारी सीटें नहीं भर रही सरकार जो खाली पडी है तो भाई भारत में कुल तीन करोड़ के आसपास सरकारी नौकरी है जिसमें लगभग सभी विभागों के मिला कर एक लाख पद खाली है और देश में बेरोजगार करोड़ों है वैसे तो देश के सरकारी नौकरी की सभी सीटें कभी भी नहीं भरी गई लेकिन यदि सरकार इन्हें भर भी दे क्या तब भी बेरोजगारी दूर हो पायेगी 


बात करते हैं बेरोजगारी की 


1971 में एक फिल्म बनी थी विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा अभिनीत #मेरेअपने ये फिल्म युनिवर्सिटी छात्रों की बेरोजगारी पर बनी थी और सन 1974 में एक फिल्म और बनी थी #रोटीकपड़ाऔरमकान और इस फिल्म में एक गाना है जो कि आप सबने सुना होगा (मुझे मेरे यार कि जुदाई मार गई बाकी जो बचा वो महगाई मार गई और इसी गाने में एक अंतरा है 

(मुट्ठी में पैसे लेकर जाते थे थैले में चीनी लाते थे अब थैले में पैसे लेकर जाते है और मुट्ठी में चीनी लाते हैं) 

तो जाहिर सी बात है कि उस जमाने में अगर ऐसी सामाजिक मुद्दों पर फिल्में बन रही थी तो समस्या तो थी महगाई और बेरोजगारी की 


देश ने आप सबको लगभग 60 साल दिये इन समस्याओं को दूर करने के लिए आप लोग चाहते तो इन समस्याओं को दूर कर सकते थे और अगर आप लोगो ने इन समस्याओं पर तब ध्यान दिया होता तो आज मोदी जी बमुश्किल गुजरात में एक बिधायक होते और योगी जी अपने मठ में पूजा पाठ कर रहे होते लेकिन तब तुम लोग स्विस बैंक में अपने अकाउंट भरते रहे भ्रष्टाचार के नए-नए रिकॉर्ड बनाते रहे



और आज चाहते हो कि आठ साल में मोदी जी साठ साल का वो गढ्ढा भर दे जो तुम सबने मिलकर दिन रात देश का खोदा है जबकि इसी आठ साल में कोरोना की दो भयंकर तबाही भी देश ने झेला है


अब बात करते हैं मंदिर से फायदे और नुकसान की 


जब देश का बंटवारा हुआ दो हज हाउस थे एक दिल्ली में और दूसरा मुंबई में आज देश के 15 राज्यों में   हज हाउस है सारे हज हाउस सरकारी पैसे से बने हुए हैं 

अगर मंदिरों से देश को कोई फायदा नहीं हुआ है तो कोई बताएगा कि हज हाउसों से देश का कितना भला हो रहा है कोई भी बुद्धिजीवी मुझे समझा दे खुला चैलेंज है सबको जब ये हज हाउस बन रहे थे तब सरकार को क्यों नहीं समझाया कि ये सब बेकार है इसकी जगह स्कूल कालेज हास्पिटल बनाइये इससे देश का भला होगा तब तो गंगा जमुनी तहजीब एक तरफा बहाई जा रही थी


मंदिर जितने भी बने हुए हैं सब हिंदुओं के पैसों से बने हुए हैं और अभी भी जो बन रहें हैं या आगे बनेंगे वो हिंदुओं के पैसों से ही बनेगें 


तिरूपति, सालासर बालाजी, बांकेबिहारी, वैष्णव देवी ,रामलला विराजमान, बाबा विश्वनाथ, पद्मनाभ, लालबाग के राजा, शिरडी साई मंदिर, इनको छोड़ दो छोटे मंदिर ले लो कितना ही छोटा मंदिर हो कम से कम उस मंदिर से दश परिवार का पेट जरूर पल रहा है।

भाजपा काग्रेस को लात मार दो महाराजा हरिसिंह के समय से लेकर आजतक जम्मू कौन चला रहा है जम्मू को रोटी कौन दे रहा है? कोई सरकार दे रही है क्या ? वैष्णव देवी मंदिर से जम्मू की अर्थव्यवस्था चल रही है मेहंदी पुर बाला जी जाइए बहुत दूर नहीं है साल में पांच हजार बच्चियों को स्कूल फीस ड्रेस किताब ये मंदिर दे रहा है 1100 गरीब बच्चियों की शादी हर साल करता है और कम से कम अकेले मेहंदी पुर बाला जी मंदिर से 15 हजार लोगों का रोजगार चल रहा है कौन सी फैक्ट्री दे सकती है इतना बडे़ मंदिरों की बात छोड़ दीजिये   और इतने लोगों को रोजगार देने के लिए अडानी अम्बानी जैसे लोगो को फैक्ट्री लगानी पडेगी तभी इतने लोगों को रोजगार मिल सकता है छोटे मोटे आदमी के बस का तो है नहीं 


बडे़ मंदिरों में तिरूपति शिरडी साई जैसे मंदिरों का बजट उठाकर देखिए अकेले शिरडी साई मंदिर से लगभग 3.5 लाख परिवार प्रत्यक्ष  या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पा रहे हैं कौन देगा इतने लोगों को रोजगार बताओ किस सरकार किस पार्टी के पास इतने लोगों को नौकरी रोजगार देने का बंदोबस्त है बताओ बंद कर देते हैं  मंदिर ये बौद्धिक बेइमान समझा दे मुझे जिस देश में ऐसे इतिहासकार रहे हो कि उन्होंने मुगलों को देवता बना दिया जिनके हरम में 8/8 हजार तक बांदी  रहती थी ऐसे देश के लोगों का क्या करें  पडोस में ही वृंदावन है बांकेबिहारी मंदिर है वहा जाकर देख आईये मंदिर नहीं होता तो गायें भूखी मर जाती आदमी तो छोड़ दीजिये सरकारें क्या दे सकती है हमें उनकी नीयत भी मालुम है और काबिलियत भी मालूम है


एक रमेश बाबा है वृंदावन में उन्को पद्मश्री मिला हुआ है उनकी गौशाला में लगभग 50 हजार बेसहारा गौवंश शरण पा रहा है वहा दे दे सरकार कौन सी सरकार देगी बताओ इसे छोटा काम समझ रहे हो इससे कम से कम तीन हजार आदमियों का परिवार भी रोटी खा रहा है दे दे उनको रोजगार कौन देगा बंद कर देते हैं मंदिर भी गौशाला भी 


वृंदावन जाइए वहा हजारों की तादात में  बूढ़े बुजुर्ग जिनको तुम बौद्धिक बेइमानों ने सो काल्ड सेक्युलरो ने सूडो सैक्युलरिस्ट लोगों ने छोड़ दिया घर से निकाल दिया वो बांकेबिहारी का तप है ताप है कि उन्को रोटी भी मिल रही है और आसरा भी कोई बता दे कौन सी सरकार इनका बंदोबस्त कर सकती है कौन से पार्टी के दफ्तर भिजवाये इनको जहाँ उन्हें रहने को घर खाने को रोटी और देखभाल को सेवक मिल जाये वही भिजवा देते हैं 

देश में मंदिर की बात करने वालों को बेवकूफ बताने का एक षड्यंत्र चल रहा है लेकिन अब ये चलेगा नहीं वो समय गया जब एक आदमी इतिहास लिखता था और पूरा देश पढता था अकबर बाबर जैसे  आक्रांताओं को देवता पढाया गया और वही पढ पढ कर लोग आईएएस आईपीएस बन गए

 ये नया युग है 

अब तुम्हारी ये बौद्धिक बेइमानी नहीं चलेगी बेइमानो


तुमने रोजगार के नाम पर वोट दिया है रोजगार मागों लेकिन हमारे मंदिर के मुद्दे को टारगेट मत करो हमने मंदिर के लिए ही वोट दिया है हम तुम्हारे रोजगार के मुद्दे को टारगेट नहीं करते


और एक बार फिर कह रहा हूँ ये बौद्धिक बेईमानी बंद कर दो  


मंदिर के फायदे मैंने बता दिया है किसी कि नजर में नुकसान भी हो तो आकर बता दे स्वागत है




धन्यवाद🙏💕

Post a Comment

0Comments

Peace if possible, truth at all costs.

Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !