तारीख थी 22 मई 2012, एक खबर आई कि असम की महिला विधायक रूमी नाथ अगवा कर ली गईं। इसके बाद पूरे देश में कोहराम मच गया। परिवार वालों के साथ उनके क्षेत्र की जनता भी परेशान हो गई। उन्हें ढ़ूंढ़ने का काम तेजी से शुरू हो गया। अचानक एक दिन वह मीडिया के सामने आ गईं। उनके खुलासे ने पूरे देश को चौंका दिया। आज आप पुनः जानिए असम की कांग्रेस विधायक रूमी नाथ की वह कहानी जिसे पढ़कर आपको कांग्रेस की विचारधारा और कांग्रेसियों का चरित्र समझ आए।
यह हाईप्रोफाइल मामला है सत्ता के गलियारे से जुड़ा। असम में एक बड़े प्रतिष्ठित डॉक्टर रहा करते थे राकेश कुमार सिंह।इलाके के लोग उनका बहुत सम्मान करते थे क्योंकि वह क्षमतानुसार सब की सहायता करते थे। डॉक्टर साहब की पत्नी थी रूमी नाथ जिससे उन्हें 2 वर्ष की बेटी थी।
उन दिनों असम में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी और एक कांग्रेसी मंत्री अहमद सिद्दीकी की डॉक्टर साहब से जान पहचान हो गयी। अब अहमद सिद्दीकी का डॉक्टर साहब के घर आना जाना शुरु हो गया। अहमद सिद्दीकी ने डॉक्टर साहब की प्रतिष्ठा का राजनितिक लाभ उठाने हेतु उनकी पत्नी रूमी नाथ को कांग्रेस का टिकट दिलवाकर MLA का चुनाव लड़वाने का प्रपोजल दिया। काँग्रेसी अहमद सिद्दीकी यह जानता था की महिला होने के कारण और डॉ राकेश सिंह की प्रतिष्ठा और सम्मान के कारण क्षेत्र के अधिकांश वोट डॉक्टर राकेश सिंह की पत्नी रूमी नाथ को ही मिलेंगे और महिला उम्मीदवार होने के नाते महिला वोट तो रूमी नाथ को मिलने ही थे।
जब चुनाव परिणाम आया तो आशानुरूप रूमी नाथ चुनाव जीत गई। अब इसके बाद अहमद सिद्दीकी का रूमी नाथ से प्रतिदिन से मिलना होता और धीरे धीरे अहमद सिद्दीकी ने रूमी नाथ का ब्रेनवाश करना शुरू किया। अहमद सिद्दीकी ने रुमी का परिचय एक बांग्लादेशी मुस्लिम युवक जैकी ज़ाकिर से करवाया और उस युवक से रुमी को प्रेम जाल में फंसाने को कहा।
अब ज़ाकिर ने रोज़ विधायक रूमी से मिलने-जुलने का सिलसिला शुरू कर दिया। कुछ समय बाद रूमी नाथ पूरी तरह से अहमद सिद्दीकी और जैकी ज़ाकिर के लव जेहाद के जाल में फंस गई। इसके बाद अहमद सिद्दीकी ने एक दिन रूमी नाथ को अपने बंगले पर बुलाया और वहां उसका धर्म परिवर्तन करवा कर उसे इस्लाम कबूल करवाया। उसका नया नाम रखा गया रबिया सुल्ताना। रूमी नाथ ने बिना डॉक्टर राकेश सिंह को कुछ बताये, बिना अपनी 2 वर्ष कि बेटी की चिंता किए, बिना डिवोर्स लिए उस बांग्लादेशी युवक ज़ाकिर से निकाह कर लिया।
अहमद सिद्दीकी जानता था कि मामला संवेदनशील है अतः उसने रूमी नाथ और और उस बांग्लादेशी युवक ज़ाकिर को बांग्लादेश भिजवा दिया। बिना सूचना दिए विधायक का गायब होना पूरे देश मे चर्चा का विषय बन गया। रूमी नाथ के पिता और पति दोनों प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। उन्होंने इस विषय को उठाया भी किंतु राज्य और केंद्र सरकार कांग्रेस की थी और रूमी नाथ खुद एक विधायक थी। अतः कुछ ना हो सका। रूमीनाथ के पिता और उसके पति डॉ राकेश सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस पार्टी के नेताओं और अहमद सिद्दीकी का नाम लिया और लोगों से अपने बच्चों बहु बेटियों को कांग्रेस से दूर रखने को कहा। यह सब उस समय के समाचार पत्रों की कतरनों से जाना जा सकता है।
तो कुछ दिनों बाद अहमद सिद्दीकी ने बांग्लादेश स्थित भारतीय दूतावास को चिट्ठी लिखकर जैकी जाकिर को वीजा देने को कहा। जिसके बाद रूमीनाथ से रुबिया सुल्ताना बनी रूमी अपने नए मुस्लिम बंगलादेशी शौहर को साथ लेकर वापस भारत आ गई और अपने क्षेत्र में अलग घर लेकर रहने लगी। डॉ राकेश सिंह इस अपमान को सहन नहीं कर पाए और अपनी 2 साल की बच्ची को लेकर उत्तर प्रदेश चले गए। रूमी नाथ के घर वालों ने उससे सारे संबंध तोड़ लिए।
रूमीनाथ और जाकिर 2 साल तक साथ रहे जिससे रूमी को एक लड़की हुई। फिर जैसा कि हमेशा से होता है ‘शांतिदूत’ ज़ाकिर ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया। रुमी के साथ रोज मार पिटाई होती। उसे प्रताड़ित किया जाता। जाकिर उससे उसके सारे पैसे छीन लेता। जिससे त्रस्त होकर रूमी नाथ ने ज़ाकिर के खिलाफ पुलिस में शिकायत करी और उसके बाद वो जाकिर से अलग हो गई। अब रुमी को अपनी विधायकी और छवि का ख्याल आया। उसने इस्लाम को त्याग कर पुनः हिंदू धर्म स्वीकार किया। यंहा से मामले में नया ट्विस्ट आता है और रूबी अपराध के दलदल में धंस जाती है।
रूमी को कांग्रेसियों की संगत में अपराध और गलत कामों की लत लग चुकी थी। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की सीधी साधी गृहणी रुमिनाथ अब पूरे भारत में सक्रिय एक कार चोरी करने वाले रैकेट की सरगना बन चुकी थी। इसका गैंग पूरे भारत से चोरी की जा रही महंगी गाड़ियां को अवैध रूप से असम में बेचने का गोरख धंधा चलाता था।
इस सबके बीच चुनाव आ गए। इस बार रूमी के साथ उसके पहले पति डॉ राकेश सिंह की प्रतिष्ठा नहीं थी और वह अपने पहले पति और 2 वर्षीय बेटी को छोड़कर इस्लाम कुबूल करने, जाकिर से निकाह कर उसके साथ भागने के कारण अपनी इमेज पूरी तरह गंवा चुकी थी। जिन लोगों ने उसे पिछली बार वोट देकर विजयी बनाया था। उन लोगों ने इस बार उससे अपना समर्थन वापस ले लिया। परिणाम स्वरुप रूमीनाथ बुरी तरह से चुनाव हार गई। रूमी नाथ अब ज़ाकिर से पैदा हुई अपनी बेटी को लेकर अपने पिता और घर वालों के पास गयी किंतु उन्होंने उसे स्वीकारने से मना कर दिया,
अब तक रुमी कार चोरी के रैकेट वाले केस में भी बुरी तरह से फंस चुकी थी। उसके बाद उसे पुलिस द्वारा अरेस्ट कर लिया गया। आज आम गृहणी रूमीनाथ कांग्रेस और बांग्लादेशी घुसपैठियों के संपर्क में आने के बाद अंधेरे में गुम, सजायाफ्ता मुजरिम का अभिशप्त जीवन जी रही है ।
इस कहानी से आप समझ सकते हैं लव जिहाद कितने प्रकार के होते हैं? कांग्रेसी उनकी मानसिकता को कैसे संरक्षण देते हैं? उनका स्तर क्या होता है? और वे किस स्तर तक जाकर भारत में जेहाद फैला सकते हैं? किस तरह वे एक बसे बसाए हंसते खेलते हिंदू के घर को उजाड़ सकते हैं।
आज असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों की नागरिकता को रद्द करने के मोदी सरकार के फैसले से यह सत्य घटना याद आ गयी । सोचा आपसे शेयर कर लूं ताकि आप जान सकें कि खांग्रेस और बाकी सेक्युलर गैंग के राज में किस प्रकार का संरक्षण इन घुसपैठियों और जिहादियों को मिल रहा है और वो किस प्रकार हिंदुओं की बहु बहन बेटियों की जिंदगी को बर्बाद कर रहे है।
इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे ताकि भारत का हर हिंदू कांग्रेस और बाकी सेक्युलर गैंग के हिंदू विरोधी काले कारनामे जान सके🙏
*साभार*
Peace if possible, truth at all costs.