श्रद्धा जब आफताब के जाल में फँसी तब उसके घर वालो ने समझाया कि हम हिन्दू है, हमारा उसका कोई मेल नहीं..

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नई दिल्ली। घर वालों के समझाने पर उस समय श्रद्धा ने कहा कि वो बालिग है, और उसे अपने फैसले लेने का हक है (पढ़ लिख कर अतिबुद्धिमानी की बीमारी + माँ बाप द्वारा दिए गए संस्कार + बॉलीवुड द्वारा दिया गया सेक्युलरिज्म का कोढ़)

वह आफताब के साथ दिल्ली चली आयी, यहां आफताब ने एक फ्लैट किराए पर लिया जहाँ वह और श्रद्धा रहने लगे..

दिल्ली में केवल आफताब जॉब करता था, इस बीच श्रद्धा के अपने घर वालो से सम्बन्ध लगभग खत्म हो गए थे..

बीच बीच मे कभी कभी श्रद्धा के फ़ोन आते थे जिसमें श्रद्धा कहती थी कि आफताब उसे मारता है..

श्रद्धा के घर वाले उसके सोशल एकाउंट से उसके बारे में जानकारी रखते थे जो बाद में धीरे धीरे बहुत कम हो गयी, लगभग खत्म..

फिर एक दिन श्रद्धा के भाई को श्रद्धा के एक दोस्त लक्ष्मण का फ़ोन आया जिसमें उसने कहा कि श्रद्धा का फ़ोन 2 महीने से नही लग रहा है..

सोचिये कि आफताब ने किस कदर श्रद्धा का ब्रेन वाश कर रखा था कि उसका हर तरह का सम्बंध खत्म करवा दिया, यहां तक कि उसका नंबर तक नही था उसके घर वालो के पास..

तब श्रद्धा के घर वालो ने मुम्बई पुलिस से सम्पर्क किया और बाद में केस दिल्ली की महरौली पुलिस को ट्रांसफर किया गया फिर जांच के बाद आफताब शिकंजे में आया..

पूछताछ में सख्ती के बाद आफताब ने अपना गुनाह कबूल किया..

वह इतना शातिर था कि उसने पहले पुलिस को भटकाने की बहुत कोशिश की, वह बार बार बयान बदल रहा था, पहले उसने कहा कि श्रद्धा उससे झगड़ा करके महीनों पहले अलग हो गयी है..

जानकारी यह भी रही है कि श्रद्धा के हत्यारे आफताब के मुम्बई में भी कई और हिन्दू लड़कियों से सम्बन्ध थे..

श्रद्धा द्वारा शादी का दबाव बनाने पर आफताब ने पहले उसका गला घोंट कर हत्या कर दी, उसके बाद फ्लैट के बाथरूम में ही उसके 35 टुकड़े किये

बदबू आदि आये इसके लिए वह रूम फ्रेशनर और अगरबत्ती का इस्तेमाल करता रहा

इतना ही नहीं श्रद्धा के टुकड़ो के रखने के लिए उसने एक 300 लीटर का फ्रिज खरीदा

वह इतना कोल्ड ब्लडेड मर्डरर था कि केवल हत्या करने के बाद कई दिन तक सामान्य रूप से आफिस जाता रहा बल्कि जिस फ्रिज में उसने श्रध्दा को रखा उसमें ही पानी और खाने पीने के अन्य सामान रख कर उन्हें आराम से खाता पीता रहा

आफताब होटल में शेफ का काम करता था और वही उसने ये कटिंग वगैहरा सीखी थी

आफताब श्रद्धा के टुकड़ों के साथ 16 दिन तक फ्लैट में रहा, उसने फ्रिज कई बार साफ किया ताकि कोई सबूत मिले

आफताब ने श्रद्धा की हत्या के बाद उसको ठिकाने लगाने के लिए बाकायदा वेब सीरीज डेक्सटर देखी

मेरी बात किसी को कड़वी लगे तो लगे पर आज इन हिन्दू बच्चीयों की इस हालत की जिम्मेदार इनकी वो तथाकथित मायें है जो बचपन से इन्हें वो संस्कार देना भूल जाती है जो इन्हें मिलना चाहिए

मर्द अगर बाहर कमाने गया है, दिन भर खट रहा है ऐसे में घर मे बच्चा ज्यादा से ज्यादा समय अपने माँ के साथ बिताता है

अगर बच्चे सही गलत, धर्म अधर्म का फर्क करने में असफल है, उन्हें सही कौन है और कौन गलत है इसका सलीका नही पाया 18 साल तक का होने पर भी तो यकीनन इसमें माँ की गलती सबसे बड़ी है

नई उम्र की हिन्दू मायें (सब नही पर 95%) खुद भी खयालों वाली दुनिया मे जी रही है, बॉलीवुड के सेक्युलरिज्म से पीड़ित है और अपने बच्चों के अंतर्मन में भी वही सब भर रही है

उन्हें अपनी बच्चियों को धर्म कर्म सिखाना पिछड़ापन और गंगू काठियावाड़ी बनाकर शीला मुन्नी जैसे फूहड़ गानों पर छोटे कपड़े पहनाकर नचवाना बहुत गर्व से भरा काम लग रहा है

ये श्रद्धा वाला केस हिन्दू समाज के अभिभावकों की इन्ही गलतियों का नतीजा है

*दिल को संभालिए, ये कांड सुन कर*

हमारा उनका कोई मेल नहीं हो सकता।

 


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