मोनिका...ओ..माई.डार्लिंग! बॉलीवुड में रीमेक के दौर में नेटफ्लिक्स के गलियारें से नई पेशकश हुई।
योगेश चंद्रेकर और वसन बाला की जोड़ी ने जापानी उपन्यासकार कीगो हिगाशिनो के उपन्यास बुरुतासु नो शिंजौ के कोआपरेट कल्चर ड्रामा को नियो-नोयर कॉमिक थ्रिलर स्क्रीन प्ले के फॉर्मेट में लिखा है। कहानी मोनिका मचाडो को केंद्र में रखकर आगे बढ़ती है और महत्वपूर्ण किरदारों को उठाती चली जाती है, कहानी ने अपने किरदारों के बीच कॉमिक, सस्पेंस और थ्रिलिंग सरफेस सेट किया है। स्क्रीन प्ले शानदार राइड लेता चला जाता है।
कंटेंट पुराना है लेकिन प्रेजेंटेशन सधा हुआ है।
हालांकि लेखकों ने स्क्रीन प्ले में किरदारों के डायलॉग में अंग्रेजी शब्द 'फ़*' के इर्दगिर्द कई संवाद कलमबद्ध किए है। इंग्लिश की मात्रा कूट कूट कर भरी है आसानी से समझ में आ जाती है। तिस पर बीजीएम कातिलाना है, इस कदर प्रभावित करता है कि एक सांस में पूरे 2 घण्टे 10 मिनट निपटा दो। शुरुआत ही शानदार है।
बीजीएम में कसावट हो, तो दर्शक एक्टिव रहता है। उसमें इंटरेस्ट बना रहता है।
लेखक-निर्देशक ने अपने किरदारों के लिए कलाकारों का चयन बेहतर किया है। डिमांड के हिसाब से कलाकार बोर्ड पर लगाए है। यूं तो राजकुमार राव केंद्र में फोकस किए गए है। परंतु मुझे जिन दो किरदारों ने ज्यादा एंगेज किया है। राव ओके-ओके रहे है।
हुमा कुरैशी! इन्हें टाइटल किरदार मोनिका के साथ आने को मिला है। निःसन्देह हुमा मोटी है फ़िर भी ख़ूब अदाएं दिखलाई है और ओपनिंग क्रेडिट में डांस भी इम्प्रेसिव व इफेक्टिव लगा। इसे सेक्सी कहेंगे तो उचित रहेगा। कॉमिक परिवेश में मोनिका को इंटरेस्टिंग तरीके से दर्शकों के बीच रखा है। इनके बिना फ्रेम सुनी सुनी प्रतीत होने लगती है।
राधिका आप्टे! क्या बला की कलाकार है, क़िरदार को ऐसे मिलती है पिछले किसी को चेहरे पर लौटने न देती है, एकदम फ्रेश। इन्हें कहानी ने एसपी नायडू दी है। राधिका के सीक्वेंस चेहरे पर मुस्कान बिखरते है। पूरे स्क्रीन प्ले में इन्वेस्टिगेशन करती रहती है लेकिन सस्पेंस इनका साया बनकर चलता रहा...आखिर में खुलता है...मुँह से अबे साउंड निकलता है। डायलॉग डिलवरी भी मज़ेदार है। लुक भी खूबसूरत दिया है।
इन दोनों के अलावा कोई तीसरा किरदार रहा है जिसने नोटीफिकेशन दिया है सिकंदर खेर रहे है। सीमित फ्रेम्स में असीमित असर फेंका है।
इन दोनों किरदारों के बीच कहानी अच्छा ब्रिज डवलप करती है। इसपर बाक़ी किरदार दौड़ते रहते है।
वसन बाला के निर्देशन में मोनिका डार्लिंग में श्रीराम राघवन का सिग्नेचर स्टाइल झलकता है। वे ऐसे ही अपने किरदारों से खेलते है। बाला ने मोनिका के हर डिपार्टमेंट को बेहतर कंट्रोल किया है और दर्शकों के लिए मस्त थ्रिलिंग कंटेंट परोसा है। सबकुछ प्रेडिक्टेबल नजर आने लगता है लेकिन क्लाइमैक्स आकर झकजोर देता है। ऐसे माहौल अच्छी राइटिंग से क्रिएट होता है।
बाला ने अच्छा सिनेमाई परिवेश दर्शकों के लिए नेटफ्लिक्स को सौंपा है। देखने पर कतई निराशा न होती है।
इसी के साथ नेटफ्लिक्स के गलियारें में एनोला होल्मस यानी शर्लाक होल्म्स की बहन भी दर्शकों के केस सॉल्व करने निकली हुई है। उसका दूसरा केस है। यक़ीनन अच्छा कंटेंट है। इसे जरूर देखा जाना चाहिए। मुझे ऐसे पीरियड कंटेंट खूब लुभाते है।
Peace if possible, truth at all costs.