ये वही शाहरुख खान 'साहब' हैं, जो लता जी के शव पर करोड़ों लोगों के सामने थूक कर आये थे..., जिससे सनसनी फैल गई थी...।
🔰अल - तकिया 2.0 !! 🖐🏻🖐🏻
उर्दूवुड के अभिनेता शाहरुख खान ने अपनी आगामी फिल्म पठान की सफलता का आश्वासन लेने के लिए माता वैष्णो देवी मंदिर का दौरा किया है, कुछ दिनों पहले उसने मक्का का दौरा भी किया था।
यहा पिघल मत जाना हिन्दुओं, बहिष्कार रुकना नहीं चाहिए। याद रखना ये लोग बस आप हिन्दुओं का दिल जितना चाहते है, फिर सफलता मिल जाने के बाद आपके आस्था पर ही किसी तरीके से चोट करेंगे।
वैष्णो देवी मंदिर के गर्भगृह में क्या किया होगा...?
शाहरुख का कृत्य पूर्णतया इस्लाम की भावना के पूर्णतः अनुकूल है। इस्लाम में कुरान, हदीस, हिदाया और सिरातुन्नबी बुनियादी ग्रन्थ हैं, जो प्रत्येक मुसलमान को इनके अनुरूप व्यवहार करने को आदेशित करते हैं।
काफिरों के प्रति निकृष्टतम स्थाई घृणा व व्यवहार में थूक के प्रयोग को अलाउद्दीन खिलजी व काजी प्रसंग से समझा जा सकता है। बरानी ने अपने प्रलेख में लिखा - अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316) ने अपने काजी से हिन्दुओं की स्थिति के बारे में पूछा।
काजी ने उत्तर दिया - "ये भेट (जजिया टैक्स) देने वाले लोग हैं और जब आय अधिकारी इनसे चांदी मांगे तो इन्हें किसी, कैसे भी प्रश्न के, बिना पूर्ण विनम्रता, व आदर से सोना देना चाहिए । यदि अफसर इनके मुंह में थूक फेंके तो इन्हें उसे लेने के लिए अपने मुंह खोल देने चाहिए। इस्लाम की महिमा गाना इनका कर्तव्य है... अल्लाह इन पर घृणा करता है, इसलिए वह कहता है, इन्हें दास बना कर रखो।"
हिन्दुओं को नीचा दिखाकर रखना एक धार्मिक कर्त्तव्य है क्योंकि हिन्दू पैगम्बर के सबसे बड़े शत्रु हैं (कुरान 8 : 55) और चूंकि पैगम्बर ने हमें आदेश दिया है कि हम इनका वध करें, इनको लूट लें, इनको बन्दी बना लें, इस्लाम में धर्मान्तरित कर लें या हत्या कर दें (कुरान 9 : 5)।
इस पर अलाउद्दीन खिलजी ने कहा, "अरे काजी! तुम तो बड़े विद्वान आदमी हो कि यह पूरी तरह इस्लामी कानून के अनुसार ही है, कि हिन्दुओं की निकृष्टता दासता और आज्ञाकारिता के लिए विवश किया जाए... हिन्दू तब तक विनम्र और दास नहीं बनेंगे, जब तक इन्हें अधिकतम निर्धन न बन जाए।" (तारीख-ऐ-फिरोजशाही -बरानी, ईलियट और डाउसन, खण्ड lll, पृ. 184-185)
Peace if possible, truth at all costs.