हकीकत जानकर आपकेहोश उड जायेंगे !
साबूदाना-शाकाहारी हैया मांसाहारी ?
आइये देखते हैं आपकेपंसदीदा साबूदानाबनानेके तरीके को। यह तो हम सभी जानते हैं कि साबूदाना व्रत में खाया जाने
वाला एक शुद्ध खाद्य माना जाता है, पर क्या हम जानते हैं कि साबूदाना बनता कैसेहै?
साबूदाना-शाकाहारी हैया मांसाहारी ?
आइये देखते हैं आपकेपंसदीदा साबूदानाबनानेके तरीके को। यह तो हम सभी जानते हैं कि साबूदाना व्रत में खाया जाने
वाला एक शुद्ध खाद्य माना जाता है, पर क्या हम जानते हैं कि साबूदाना बनता कैसेहै?
आइए देखते हैं साबूदानेकी हकीक़त को, फिरआप खुद ही निश्चयकर सकते हैं कि आखिरसाबूदाना शाकाहारी हैया मांसाहारी।
तमिलनाडु प्रदेश में सालेम से कोयम्बटूर जाते समय रास्ते में साबूदाने की बहुतसी फैक्ट्रियाँ पड़ती हैं,यहाँ पर फैक्ट्रियों के आस-पास भयंकर बदबूने हमारा स्वागत किया।
तब हमने जाना साबूदाने कि सच्चाई को।साबूदाना विशेषप्रकार की जड़ों से बनता है। यह जड़ केरला में होती है। इन फैक्ट्रियों के मालिक साबूदाने को बहुत ज्यादा मात्रा में खरीद कर उसका गूदा बनाकर उसे 40 फीट से 25 फीटके बड़े गड्ढे में डाल देते हैं,सड़ने के लिए।महीनों तक साबूदाना वहाँ सड़ता रहता है। यह गड्ढे खुले में हैं और हजारों टन सड़ते हुएसाबूदाने पर बड़ी-बड़ी लाइट्स से हजारों कीड़े मकोड़े गिरते हैं। फैक्ट्री के मजदूर इन साबूदाने के गड्ढो में पानी डालते रहते हैं, इसकी वजह सेइस में सफेद रंग के कीट पैदा हो जाते हैं। यह सड़ने का, कीड़े-मकोड़े गिरने का और सफेद कीट पैदा होेने का कार्य 5-6 महीनों तकचलता रहता है। फिर मशीनों से इस कीड़े-मकोड़े युक्त गुदे को छोटा-छोटा गोल आकार देकर इसे पाॅलिश किया जाता है।आपलोगों की बातों मेंआकर साबूदाने को शुद्ध ना समझें।साबूदाना बनाने का यहतरीका सौ प्रतीषत सत्य है। इस वजह से बहुत से लोगों ने साबूदाना खाना छोड़ दिया है।जब आपको साबूदाना का सत्यपता चल गया है,तो इसे खाकर अपना जीवन दूषित ना करें। कृपया इस पोस्ट को समस्त सधर्मी बंधुओं के साथ शेयर करके उनका व्रत और त्यौहार अशुद्ध होने से बचा
तमिलनाडु प्रदेश में सालेम से कोयम्बटूर जाते समय रास्ते में साबूदाने की बहुतसी फैक्ट्रियाँ पड़ती हैं,यहाँ पर फैक्ट्रियों के आस-पास भयंकर बदबूने हमारा स्वागत किया।
तब हमने जाना साबूदाने कि सच्चाई को।साबूदाना विशेषप्रकार की जड़ों से बनता है। यह जड़ केरला में होती है। इन फैक्ट्रियों के मालिक साबूदाने को बहुत ज्यादा मात्रा में खरीद कर उसका गूदा बनाकर उसे 40 फीट से 25 फीटके बड़े गड्ढे में डाल देते हैं,सड़ने के लिए।महीनों तक साबूदाना वहाँ सड़ता रहता है। यह गड्ढे खुले में हैं और हजारों टन सड़ते हुएसाबूदाने पर बड़ी-बड़ी लाइट्स से हजारों कीड़े मकोड़े गिरते हैं। फैक्ट्री के मजदूर इन साबूदाने के गड्ढो में पानी डालते रहते हैं, इसकी वजह सेइस में सफेद रंग के कीट पैदा हो जाते हैं। यह सड़ने का, कीड़े-मकोड़े गिरने का और सफेद कीट पैदा होेने का कार्य 5-6 महीनों तकचलता रहता है। फिर मशीनों से इस कीड़े-मकोड़े युक्त गुदे को छोटा-छोटा गोल आकार देकर इसे पाॅलिश किया जाता है।आपलोगों की बातों मेंआकर साबूदाने को शुद्ध ना समझें।साबूदाना बनाने का यहतरीका सौ प्रतीषत सत्य है। इस वजह से बहुत से लोगों ने साबूदाना खाना छोड़ दिया है।जब आपको साबूदाना का सत्यपता चल गया है,तो इसे खाकर अपना जीवन दूषित ना करें। कृपया इस पोस्ट को समस्त सधर्मी बंधुओं के साथ शेयर करके उनका व्रत और त्यौहार अशुद्ध होने से बचा
Vrat Karne Wale Kripa Karke ek baar ICSE Jarur padhe Jarur Pade
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