भारत पर मुसलमानों ने करीब एक हजार साल राज किया .और इस दौरान इन्होने
लोगों को लूट लूट कर मस्जिदें , मजार ,मकबरे और महल बनवाये .लेकिन लोगों को
शिक्षित करने और संपन्न करने का कोई प्रयास नहीं किया .बल्कि नालंदा और
तक्षशिला जैसे प्रसिद्ध विद्यालयों को जलवा दिया ,जिस से ज्ञान का भंडार
पुस्तकें ख़ाक हो गयी .फिर भी आजके मुस्लिम नेता मुसलमानों के पिछड़ेपन का
जिम्मेदार दूसरों को बताते रहते हैं .जबकि जिन यहूदियों को मुसलमानों ने
बर्बाद कर दिया था वही यहूदी विज्ञान में सबसे आगे हैं .
वास्तव में मुसलमानों के अशिक्षित और पिछड़े होने का कारण कुरान की अवैज्ञानिक , तर्कहीन ,और उलजलूल तालीम ही है .जो सिर्फ जिहादी ही बना सकती है कोई वैज्ञानिक या कोई अविष्कारक नहीं .इसी बात को साबित करने के लिए कुरान के आधार पर अल्लाह के ज्ञान का नमूना दिया जा रहा है .
1-अल्लाह की आत्मप्रशंसा
यदि कुरान को अल्लाह का कलाम माना जाये तो अल्लाह ने खुद को सबसे बड़ा ज्ञानी साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है .जैसी अल्लाह ने इन आयतों में डींग मारी है
अल्लाह से न तो धरती की कोई चीज छुपी है , और न उसने आसमान की किसी चीज को छोड़ा है ” सूरा -आले इमरान 3 :5
आकाशों और धरती के अन्दर छुपी हुई सभी बातें अल्लाह जानता है “सूरा -हूद 11 :123
अल्लाह आकाशों और धरती के सभी रहस्य जानता है “सूरा -अल कहफ़ 18:26
क्या तुम नहीं जानते कि अल्लाह वह सभी बातें जानता है जो आकाश और धरती के अन्दर हैं “सूरा -अल हज 22:70
कसम है कि अल्लाह को आकाश के बारे में छोटी छोटी बात का पूरा ज्ञान है “सूरा -सबा 34
बेशक अल्लाह आकाशों और धरती के बारे में सभी गुप्त बातें जानता है “सूरा -फातिर 35:38
अल्लाह वह सभी बातें जनता है जो आकाश और धरती के भीतर हैं “सूरा -तगाबुन 64:4
2-अल्लाह सिर्फ दो गिन सकता है
जो अल्लाह न तो गणित ठीक से जानता हो और न भूगोल जानता हो उसकी इबादत करना बेकार है .
कुरआन की सूरा रहमान (सूरा संख्या 55) को पढ़ने से पता चलता है कि अल्लाह दो की संख्या से अधिक नहीं जानता है . इसीलिए उसने हर चीजें सिर्फ दो ,ही बनायीं हैं ,उदहारण के लिए ,
दो समुद्र हैं जो परस्पर मिले हुए हैं “55:19
दो बहते हुए स्रोते (Fountains ) हैं “55:50
दो उबलते हुए पानी के कुण्ड हैं “55:66
डराने वालों के लिए दो बगीचे हैं “55:46
दो बगीचे और भी हैं “55:62
क्या अल्लाह इतना भी नहीं जनता कि दो और दो बगीचे मिलकर चार बगीचे होते हैं ?
वह दो पूरब है और दो पश्चिम का स्वामी है “55:17
जब अल्लाह ही ऐसी मुर्खता की बात कहता है तभी तो यही कारण है कि कोई मुसलमान बड़ा वैज्ञानिक नहीं बन सका है . सभी जिहादी बन रहे हैं
3-अल्लाह की कसमें
मुसलमान अक्सर अल्लाह की कसम खाते रहते हैं , लेकिन अल्लाह अपनी बेतुकी बातों को सही साबित करने के लिए चाँद की कसमें खाता रहता है .जैसे ,
कसम है चाँद की ” सूरा -अल मुदस्सिर 74 :32
कसम है चाँद की जब वह उसके पीछे छुप जाये “सूरा -अश शम्श 91 :2
4-अल्लाह की अक्ल का नमूना
अल्लाह आकाश (space ) को कपडेकी तरह फटने वाली वस्तु मानकर कहता है
“फिर यह आकाश फट जायेगा ,औरउसका रंग तेल की तरह लाल हो जायेगा सूरा -रहमान 55:37
5-चन्द्रमा के लिए सीढियां
अल्लाह के अनुसार चन्द्रमा पर जाने के लिए सीढियों की जरूरत होगी .और लोग बिना किसी यान के एक एक सीढी चढ़ कर चाँद पर पहुँच जायेंगे .अल्लाह मुसलमानों से कहता है “
निश्चय ही इसके लिए ( चंद्रमा पर जाने के लिए ) तुम्हें एक के बाद एक सीढी चढ़ना पड़ेगीं “सूरा -इन शिकाक 84 :19
अल्लाह के अनुसार जैसे कोई मुल्ला एक एक सीढी चढ़ कर मस्जिद की ऊंची मीनार पर चढ़ जाता है ,वैसे ही मुसलमान सीढ़ियाँ चढ़ कर चाँद पर पहुँच जायेंगे .
6-अल्लाह की चुनौती
लगता है कि अल्लाह को विज्ञानं की प्रगति और शक्ति का अंदाजा नहीं होगा ,या वह सभी को अपने रसूल जैसा अनपढ़ समझता होगा .तभी उसने मनुष्यों को ऐसी चुनौती दे डाली होगी . अल्लाह ने कहा कि ,
हे मनुष्य और जिन्नों के समूहों यदि तुम में सामर्थ्य हो तो ,इस धरती की परिधि से निकल कर आकाश की सीमा में प्रवेश करके अन्दर घुस कर आगे निकल जाओ ” सूरा -रहमान 55:33
न तो तुम धरती की सीमा से बहार निकल सकते हो ,और न आकाश की सीमा में प्रवेश कर सकते हो “सूरा – अनकबूत 29:22
लेकिन अल्लाह की यह चुनौती उस समय बेकार हो गयी जब 1961 में अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की सीमा से निकल कर चन्द्रमा की सीमा में घुस गए .और अल्लाह देखता ही रह गया
7-मनुष्य का चन्द्र अभियान
चन्द्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है ,जो सदा से लोगों की उत्सुकता का केंद्र रहा है , जब वैज्ञानिकों को पता चला कि चन्द्रमा पर भी प्रथ्वी की तरह धरती है ,जिस पर जाया सकता है .इसी बात की पुष्टि करने के लिए सन 1957 में रूसी वैज्ञानिकों ने स्पुतनिक(Sputnik) नाम का एक कृत्रिम उपग्रह यान चन्द्र पर उतारा था .इसके बाद सन 1961 में रूस ने वोस्तोक 1(Vostok1) नाम का एक और यान चन्द्रमा पर भेजा ,जिसमे यूरी गागरिन)yuri Gagarin ) नाम का एक अंतरिक्ष यात्री था .फिर अमेरिका ने भी 20 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रोंग(Neil Armstrong) नाम के एक व्यक्ति को चन्द्रमा की धरती पर उतारा था ,जो धरती के आकाश की सीमा को भेद कर अंतरिक्ष से आगे बढ़ कर चन्द्रमा की सैर करके वापिस इसी धरती पर सकुशल वापिस आ गया था .इस तरह अल्लाह का वह दावा झूठा साबित हो गया , जो उसमे कुरान की सूरा रहमान 55:33 में और सूरा – अनकबूत 29:22में किया था ,कि मनुष्य प्रथ्वी के वायुमंडल को पर करके आकाश की सीमा से आगे नहीं जा सकता
8-अल्लाह कहाँ हार सकता है ?
अब हमने ठीक से समझ लिया है कि जमीन पर रह कर अल्लाह को हराना कठिन है .और न उसे भगा सकते हैं “सूरा -जिन्न 72:12
(इसीलिए अमेरिका की नेवी ने ओसामा बिन लादेन पर हवाई हमला करके मौत के घाट उतार दिया था )
9-आकाश से हमला
अल्लाह ने कुरान में खुद यह संकेत दे दिया था कि हमें ( यानि उसके लोगों को) धरती पर रह कर हराना मुश्किल है .
अल्लाह ने दावा किया था कि कोई हमारे ऊपर आकाश से हमला नहीं कर सकता .चूँकि अल्लाह अक्सर खुद के लिए बहुवचन सर्वनाम (Plural We)का प्रयोग करता है . इसलिए उसके हम शब्द में अल्लाह के साथ सभी मुसलमान शामिल हैं .अल्लाह के इस दावे को अमेरिका की नेवी ने उस समय गलत साबित कर दिया जब 2 मई 2011 को पाकिस्तान के एबटाबाद में गुप्त रूप से छुपे हुए ओसामा बिन लादेन को हवाई हमला करके मार दिया था .अमेरिका के इस अभियान को” ओपरेशन नेप्चून स्पीयर”(OperationNapune Spear ) का नाम दिया गया था .अमेरिका का राष्ट्रपति ओबामा खुद मुसलमान है , उसे पता था कि जमीन पर अल्लाह को हराना कठिन होगा .सिर्फ आकाश से हमला करने से ही अल्लाह यानी ओसामा को मार सकते हैं
इन ऐतिहासिक अकाट्य प्रमाणों से स्पष्ट हो जाता है कि अल्लाह की आई क्यू (I Q ) जकारिया नायक के बच्चे से भी कम होगी .अगर अल्लाह सचमुच ईश्वर होता तो वह ऐसी अवैज्ञानिक ,कल्पित ,बातों सही साबित करने के लिए कसमे नहीं खाता .लेकिन चाहे कोई कितनी भी कसमें खाए , और कितने भी दावे करे , हरेक झूठ का उसी तरह से भंडा फूट जाता है , जैसे अल्लाह के ज्ञान और दावों का भंडा फूट गया .
इसीलिए उपनिषद् में कहा है “सत्यमेव जयते “
वास्तव में मुसलमानों के अशिक्षित और पिछड़े होने का कारण कुरान की अवैज्ञानिक , तर्कहीन ,और उलजलूल तालीम ही है .जो सिर्फ जिहादी ही बना सकती है कोई वैज्ञानिक या कोई अविष्कारक नहीं .इसी बात को साबित करने के लिए कुरान के आधार पर अल्लाह के ज्ञान का नमूना दिया जा रहा है .
1-अल्लाह की आत्मप्रशंसा
यदि कुरान को अल्लाह का कलाम माना जाये तो अल्लाह ने खुद को सबसे बड़ा ज्ञानी साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है .जैसी अल्लाह ने इन आयतों में डींग मारी है
अल्लाह से न तो धरती की कोई चीज छुपी है , और न उसने आसमान की किसी चीज को छोड़ा है ” सूरा -आले इमरान 3 :5
आकाशों और धरती के अन्दर छुपी हुई सभी बातें अल्लाह जानता है “सूरा -हूद 11 :123
अल्लाह आकाशों और धरती के सभी रहस्य जानता है “सूरा -अल कहफ़ 18:26
क्या तुम नहीं जानते कि अल्लाह वह सभी बातें जानता है जो आकाश और धरती के अन्दर हैं “सूरा -अल हज 22:70
कसम है कि अल्लाह को आकाश के बारे में छोटी छोटी बात का पूरा ज्ञान है “सूरा -सबा 34
बेशक अल्लाह आकाशों और धरती के बारे में सभी गुप्त बातें जानता है “सूरा -फातिर 35:38
अल्लाह वह सभी बातें जनता है जो आकाश और धरती के भीतर हैं “सूरा -तगाबुन 64:4
2-अल्लाह सिर्फ दो गिन सकता है
जो अल्लाह न तो गणित ठीक से जानता हो और न भूगोल जानता हो उसकी इबादत करना बेकार है .
कुरआन की सूरा रहमान (सूरा संख्या 55) को पढ़ने से पता चलता है कि अल्लाह दो की संख्या से अधिक नहीं जानता है . इसीलिए उसने हर चीजें सिर्फ दो ,ही बनायीं हैं ,उदहारण के लिए ,
दो समुद्र हैं जो परस्पर मिले हुए हैं “55:19
दो बहते हुए स्रोते (Fountains ) हैं “55:50
दो उबलते हुए पानी के कुण्ड हैं “55:66
डराने वालों के लिए दो बगीचे हैं “55:46
दो बगीचे और भी हैं “55:62
क्या अल्लाह इतना भी नहीं जनता कि दो और दो बगीचे मिलकर चार बगीचे होते हैं ?
वह दो पूरब है और दो पश्चिम का स्वामी है “55:17
जब अल्लाह ही ऐसी मुर्खता की बात कहता है तभी तो यही कारण है कि कोई मुसलमान बड़ा वैज्ञानिक नहीं बन सका है . सभी जिहादी बन रहे हैं
3-अल्लाह की कसमें
मुसलमान अक्सर अल्लाह की कसम खाते रहते हैं , लेकिन अल्लाह अपनी बेतुकी बातों को सही साबित करने के लिए चाँद की कसमें खाता रहता है .जैसे ,
कसम है चाँद की ” सूरा -अल मुदस्सिर 74 :32
कसम है चाँद की जब वह उसके पीछे छुप जाये “सूरा -अश शम्श 91 :2
4-अल्लाह की अक्ल का नमूना
अल्लाह आकाश (space ) को कपडेकी तरह फटने वाली वस्तु मानकर कहता है
“फिर यह आकाश फट जायेगा ,औरउसका रंग तेल की तरह लाल हो जायेगा सूरा -रहमान 55:37
5-चन्द्रमा के लिए सीढियां
अल्लाह के अनुसार चन्द्रमा पर जाने के लिए सीढियों की जरूरत होगी .और लोग बिना किसी यान के एक एक सीढी चढ़ कर चाँद पर पहुँच जायेंगे .अल्लाह मुसलमानों से कहता है “
निश्चय ही इसके लिए ( चंद्रमा पर जाने के लिए ) तुम्हें एक के बाद एक सीढी चढ़ना पड़ेगीं “सूरा -इन शिकाक 84 :19
“لَتَرْكَبُنَّ طَبَقًا عَنْ طَبَقٍ “
( इसके लिए अरबी में ” तरक्बुन्न तबकन अन तबक “यानि by scalating step by step )अल्लाह के अनुसार जैसे कोई मुल्ला एक एक सीढी चढ़ कर मस्जिद की ऊंची मीनार पर चढ़ जाता है ,वैसे ही मुसलमान सीढ़ियाँ चढ़ कर चाँद पर पहुँच जायेंगे .
6-अल्लाह की चुनौती
लगता है कि अल्लाह को विज्ञानं की प्रगति और शक्ति का अंदाजा नहीं होगा ,या वह सभी को अपने रसूल जैसा अनपढ़ समझता होगा .तभी उसने मनुष्यों को ऐसी चुनौती दे डाली होगी . अल्लाह ने कहा कि ,
हे मनुष्य और जिन्नों के समूहों यदि तुम में सामर्थ्य हो तो ,इस धरती की परिधि से निकल कर आकाश की सीमा में प्रवेश करके अन्दर घुस कर आगे निकल जाओ ” सूरा -रहमान 55:33
न तो तुम धरती की सीमा से बहार निकल सकते हो ,और न आकाश की सीमा में प्रवेश कर सकते हो “सूरा – अनकबूत 29:22
लेकिन अल्लाह की यह चुनौती उस समय बेकार हो गयी जब 1961 में अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की सीमा से निकल कर चन्द्रमा की सीमा में घुस गए .और अल्लाह देखता ही रह गया
7-मनुष्य का चन्द्र अभियान
चन्द्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है ,जो सदा से लोगों की उत्सुकता का केंद्र रहा है , जब वैज्ञानिकों को पता चला कि चन्द्रमा पर भी प्रथ्वी की तरह धरती है ,जिस पर जाया सकता है .इसी बात की पुष्टि करने के लिए सन 1957 में रूसी वैज्ञानिकों ने स्पुतनिक(Sputnik) नाम का एक कृत्रिम उपग्रह यान चन्द्र पर उतारा था .इसके बाद सन 1961 में रूस ने वोस्तोक 1(Vostok1) नाम का एक और यान चन्द्रमा पर भेजा ,जिसमे यूरी गागरिन)yuri Gagarin ) नाम का एक अंतरिक्ष यात्री था .फिर अमेरिका ने भी 20 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रोंग(Neil Armstrong) नाम के एक व्यक्ति को चन्द्रमा की धरती पर उतारा था ,जो धरती के आकाश की सीमा को भेद कर अंतरिक्ष से आगे बढ़ कर चन्द्रमा की सैर करके वापिस इसी धरती पर सकुशल वापिस आ गया था .इस तरह अल्लाह का वह दावा झूठा साबित हो गया , जो उसमे कुरान की सूरा रहमान 55:33 में और सूरा – अनकबूत 29:22में किया था ,कि मनुष्य प्रथ्वी के वायुमंडल को पर करके आकाश की सीमा से आगे नहीं जा सकता
8-अल्लाह कहाँ हार सकता है ?
अब हमने ठीक से समझ लिया है कि जमीन पर रह कर अल्लाह को हराना कठिन है .और न उसे भगा सकते हैं “सूरा -जिन्न 72:12
(इसीलिए अमेरिका की नेवी ने ओसामा बिन लादेन पर हवाई हमला करके मौत के घाट उतार दिया था )
9-आकाश से हमला
अल्लाह ने कुरान में खुद यह संकेत दे दिया था कि हमें ( यानि उसके लोगों को) धरती पर रह कर हराना मुश्किल है .
अल्लाह ने दावा किया था कि कोई हमारे ऊपर आकाश से हमला नहीं कर सकता .चूँकि अल्लाह अक्सर खुद के लिए बहुवचन सर्वनाम (Plural We)का प्रयोग करता है . इसलिए उसके हम शब्द में अल्लाह के साथ सभी मुसलमान शामिल हैं .अल्लाह के इस दावे को अमेरिका की नेवी ने उस समय गलत साबित कर दिया जब 2 मई 2011 को पाकिस्तान के एबटाबाद में गुप्त रूप से छुपे हुए ओसामा बिन लादेन को हवाई हमला करके मार दिया था .अमेरिका के इस अभियान को” ओपरेशन नेप्चून स्पीयर”(OperationNapune Spear ) का नाम दिया गया था .अमेरिका का राष्ट्रपति ओबामा खुद मुसलमान है , उसे पता था कि जमीन पर अल्लाह को हराना कठिन होगा .सिर्फ आकाश से हमला करने से ही अल्लाह यानी ओसामा को मार सकते हैं
इन ऐतिहासिक अकाट्य प्रमाणों से स्पष्ट हो जाता है कि अल्लाह की आई क्यू (I Q ) जकारिया नायक के बच्चे से भी कम होगी .अगर अल्लाह सचमुच ईश्वर होता तो वह ऐसी अवैज्ञानिक ,कल्पित ,बातों सही साबित करने के लिए कसमे नहीं खाता .लेकिन चाहे कोई कितनी भी कसमें खाए , और कितने भी दावे करे , हरेक झूठ का उसी तरह से भंडा फूट जाता है , जैसे अल्लाह के ज्ञान और दावों का भंडा फूट गया .
इसीलिए उपनिषद् में कहा है “सत्यमेव जयते “
Peace if possible, truth at all costs.