साईं भक्त अक्सर ये तर्क देते है की
शिर्डी में साईं बाबा की
समाधी है क्यूंकि साईं बाबा हिन्दू थे और
उन्हें हिन्दू रीती रिवाजों से
अंतिम आहुति दी गयी
थी जबकि ये पूर्णत झुठ और एक भ्रामक
प्रचार है
अध्याय 42-43 के अनुसार बाबा को दमा था जिसका कारण था
उनका बहुत अधिक बीडी
पीना और इसी दमे के कारण
उनकी मौत हुई थी मरने से
पहले बाबा मस्जिद के सामने बने बूटीवाडे
की ओर इशारा करके कहते है
की मुझे वही दफनाना
ये बूटीवाडा भगवान् कृष्ण का मंदिर था जिसमे
कृष्ण जी की मूर्ति लगने
वाली थी बाबा के द्वारा ये कहने के
बाद भी शिर्डी वासी
उनका अंतिम संस्कार मस्जिद में ही करना
चाहते थे क्यूंकि वे जानते थे की मंदिर में
कभी मुर्दे को दफनाते नहीं है
और इसी पर शिर्डी में विवाद
भी हुआ
जिसका परिणाम ये निकला की लगभग 36 घंटे
साईं का मृत शरीर लावारिस पड़ा रहा है और
अंत में कलेक्टर द्वारा बीच बचाव करने पर
शिर्डीवासी बाबा को मंदिर में दफ़नाने
पर राजी हो गए
इससे पूर्व भी बाबा ने कहा था की
मुझे बूटीबाड़े में दफना कर उस पट ध्वज लगा
देना जो की अक्सर मुस्लिम फकीरों
की मजार या दरगाह बनाने में प्रयोग होता
है साथ ही हिन्दू संतो की
समाधी आसन लगा कर दी
जाती है जैसे की
शिर्डी प्रांगन में तांत्या पाटिल की
समाधी जबकि मुस्लिम फकीरों को
लिटा कर समाधी दी
जाती है जैसे की साईं बाबा
साईं बाबा तो मर गए पर जाते जाते वे एक मंदिर को कब्र बना
कर चले गए जिस पर आज भी हजारो मुर्ख
हिन्दू अपनी आस्था बनाए हुए है
हे हिन्दुओ जागो और ऐसे मरे हुए लोगो
की कब्रों को पूजना बंद करो
जो खुद का दमा ठीक नहीं कर
पाया वो तुम्हे क्या कुछ देगा
जागो हिन्दुओ जागो
शिर्डी में साईं बाबा की
समाधी है क्यूंकि साईं बाबा हिन्दू थे और
उन्हें हिन्दू रीती रिवाजों से
अंतिम आहुति दी गयी
थी जबकि ये पूर्णत झुठ और एक भ्रामक
प्रचार है
अध्याय 42-43 के अनुसार बाबा को दमा था जिसका कारण था
उनका बहुत अधिक बीडी
पीना और इसी दमे के कारण
उनकी मौत हुई थी मरने से
पहले बाबा मस्जिद के सामने बने बूटीवाडे
की ओर इशारा करके कहते है
की मुझे वही दफनाना
ये बूटीवाडा भगवान् कृष्ण का मंदिर था जिसमे
कृष्ण जी की मूर्ति लगने
वाली थी बाबा के द्वारा ये कहने के
बाद भी शिर्डी वासी
उनका अंतिम संस्कार मस्जिद में ही करना
चाहते थे क्यूंकि वे जानते थे की मंदिर में
कभी मुर्दे को दफनाते नहीं है
और इसी पर शिर्डी में विवाद
भी हुआ
जिसका परिणाम ये निकला की लगभग 36 घंटे
साईं का मृत शरीर लावारिस पड़ा रहा है और
अंत में कलेक्टर द्वारा बीच बचाव करने पर
शिर्डीवासी बाबा को मंदिर में दफ़नाने
पर राजी हो गए
इससे पूर्व भी बाबा ने कहा था की
मुझे बूटीबाड़े में दफना कर उस पट ध्वज लगा
देना जो की अक्सर मुस्लिम फकीरों
की मजार या दरगाह बनाने में प्रयोग होता
है साथ ही हिन्दू संतो की
समाधी आसन लगा कर दी
जाती है जैसे की
शिर्डी प्रांगन में तांत्या पाटिल की
समाधी जबकि मुस्लिम फकीरों को
लिटा कर समाधी दी
जाती है जैसे की साईं बाबा
साईं बाबा तो मर गए पर जाते जाते वे एक मंदिर को कब्र बना
कर चले गए जिस पर आज भी हजारो मुर्ख
हिन्दू अपनी आस्था बनाए हुए है
हे हिन्दुओ जागो और ऐसे मरे हुए लोगो
की कब्रों को पूजना बंद करो
जो खुद का दमा ठीक नहीं कर
पाया वो तुम्हे क्या कुछ देगा
जागो हिन्दुओ जागो
Peace if possible, truth at all costs.