सन् 1971 में भारतीय सेना ने अपने पराक्रम से पाकिस्तान में घुसकर विजय पताका फहराया और नब्बे हजार पाक सैनिकों को बन्दी बनाकर इतिहास का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण कराया लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इससे हमें क्या हासिल हुआ??? आखिर क्यों भारतीय सैनिकों के बलिदान और पराक्रम को जाया किया गया और इतनी बड़ी जीत और नब्बे हजार सैनिकों के आत्मसमर्पण के बदले पूरा कश्मीर वापस नहीं लिया गया या पाकिस्तान से कोई बड़ी कीमत वसूल नहीं की गई..
बान्गलादेश बनाकर हमें हासिल क्या हुआ??? आज उत्तर पूर्व में एक नया जिहादी राक्षस खड़ा हो गया है जो आसाम, पश्चिम बंगाल समेत पूरे उत्तर पूर्व को लील रहा है...उपर से पहले ही करोड़ों बान्गलादेशी शरणार्थियों और घुसपैठियो का बोझ है जो देश को खोखला कर रहा है...
इन्दिरा ने अकालियो को हराने के लिए भिन्डरावाले को बढ़ावा दिया जिससे कई साल तक पन्जाब आतन्कवाद की आग में झुलसता रहा और दिल्ली में निर्दोष हजारों सिखों का कत्ल कर
गुलाम मानसिकता के चैनल इन्दिरा की प्रशंसा में गीत गाये जा रहे थे कि बहुत तगड़ी शासिका थी, ये कर दिया वो कर दिया। बड़ी सख्तमिजाज राष्ट्राध्यक्ष थी...आयरन लेडी थी... पाकिस्तान के घुटने टिकवा दिये। बांग्लादेश बनवाया.....लेकिन कोई ये नहीं बता रहा कि इस कथित आयरन लेडी के आयरनपने से देश को क्या हासिल हुआ?
अरे पाकिस्तान के घुटने अगर टिकवाये भी तो हासिल क्या किया???? पाकिस्तान की उस समय कमर टूटी पड़ी थी, अगर बदले में पाक अधिकृत कश्मीर वापिस लेकर अपने बाप की गलती सुधार लेती तो हम भी आज उसकी तारीफ में कसीदे पढ़ते..
लेकिन इस कथित आयरन लेडी ने 'शिमला समझौता' नामक एक कागज के टुकड़े के बदले में भारतीय फौज द्वारा बँदी बनाए गए 90000 पाकिस्तानी पिल्लों को छोड़ा ही नही बल्कि सकुशल- सुरक्षित उनके घरों तक पहुँचाया। वहीं पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए जम्मु एवं कशमीर के तीन चौथाई हिस्से को आजाद करवाना तो दूर इसी युद्ध में पाकिस्तान द्वारा बँदी बनाए गए 54 भारतीय सैनिकों को यह आयरन लेडी मुक्त नही करवा पाई और आज भी वो फौजी ISI की कैद में अमानवीय यातनाएँ भुगत रहे हैं तथा कई तो शायद पाकिस्तानी सुअरों की दरिन्दगी सहते-सहते अपना मानसिक सन्तुलन भी खो चुके हैं। बांग्लादेश बनवाया तो क्या कमाया ??? भारत का एक और शत्रु खड़ा कर दिया। पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) को पाकिस्तान से अलग कर भारत में मिला देती तो हम भी आज उसे सलाम करते।
बांग्लादेश बनने के बाद से वहाँ हिन्दुओं का समूल नाश हुआ, आज उत्तर पूर्व में बान्गलादेश नाम का नया जिहादी राक्षस खड़ा हो गया है जो आसाम, पश्चिम बंगाल समेत पूरे उत्तर पूर्व को लील रहा है...उपर से पहले ही करोड़ों बान्गलादेशी शरणार्थियों और घुसपैठियो का बोझ है जो देश को खोखला कर रहा है...
मीडिया वालों साथ में ये भी बता देते कि इन्दिरा ने केजीबी से पैसा खाकर देश का कितना नाश किया।
रुसी घूस के बदले भारत में कम्युनिज्म की खरपतवार बोई।
आपातकाल लगाकर लोकतन्त्र का गला घोंटा।
भिन्डरावाले को खड़ा करके पन्जाब को आतन्कवाद की आग में झुलसाया और हिन्दू-सिखों का भाईचारा बिगाड़ा।ने का कलन्कित काम किया गया ...
कहने को तो अभी काफी कुछ है, जिसे एक पोस्ट में लिखा नहीं जा सकता... लेकिन इससे एक बात समझ में आती हैं कि राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही गांधी को राष्ट्रपिता, नेहरू को चाचा और इन्दिरा को आयरन लेडी बनाकर जबरदस्ती देश पर थोप दिया गया है...
Peace if possible, truth at all costs.