यहां मूर्तियां बयां करती हैं १८ वीं सदी के मुगल अत्याचारों की कहानी

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पठानकोट (तस्वीरे देखें) – यहां मूर्तियां बयां करती हैं १८ वीं सदी के मुगल अत्याचारों की कहानी...

 
पठानकोट (पंजाब) – पठानकोट-घरोटा मार्ग पर गुरुद्वारा अकालगढ़ साहिब के गेट के बाहर और अंदर 18वीं सदी में मुगलकाल शासकों द्वारा सिखों पर किए अत्याचारों की कहानी बयां करती मुंह बोलती तस्वीरें लगवाई जा रही हैं। आज की पीढ़ी को सिखों पर मुगल शासकों द्वारा धर्म परिवर्तन करने पर किए गए अत्याचारों के बारे में जानकारी मुहैया करवाने का बीड़ा बाबा बसंत सिंह और गुरुद्वारा अकालगढ़ साहिब सेवा ट्रस्ट ने उठाया है।
इन मूर्तियों में दिखाया गया है कि सिख और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए सिखों पर तत्कालीन मुगल हुक्मरानों ने कैसे-कैसे जुल्म किए थे। बाबा बसंत सिंह बताते हैं कि अपने इतिहास के बारे में जानकारी लेने की बजाय युवा पीढ़ी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बिजी रहते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 21 सदस्यों की कमेटी बनाकर काम शुरू करवा दिया।

मूर्तियों के नीचे लिखेंगे इतिहास

इन मूर्तियों में चमकौर साहिब की जंग, मुक्तसर जंग, बंदा सिंह बहादुर, माई भागो, बीबी सुंदरकौर, महाराजा रणजीत सिंह सहित उन सभी महान शख्सियतों की जीवंत मूर्तियां बनाई गई हैं।  इसके अलावा अत्याचारी हुक्मरान जकरिया खान, हरकशीयर, मीर मनू, औरंगजेब आदि मुगल शासकों की मूर्तियां भी बनाई गई हैं। मूर्तियों के नीचे उनका इतिहास लिखा जाएगा।

उड़ीसा के कलाकार कर रहे निर्माण : बाबा बसंत सिंह

बाबा बसंत सिंह ने बताया कि अत्याचारों का जीवंत दृश्य प्रदर्शित करने के लिए उड़ीसा से 3 मूर्तिकार बुलाए गए हैं। अब तक 24 हाई क्वालिटी फाइबर की मूर्तियां बना कर गेट के अंदर और बाहर लगवा दी हैं। इसके लिए 6 हजार रुपए प्रति फुट के हिसाब से खर्चा आया है। उन्होंने बताया कि हर मूर्ति 12 वर्ग फुट के करीब है और अब तक मूर्तियों पर लगभग 10 से 12 लाख रुपए का खर्चा चुका है। मूर्तियों पर विशेष पेंट करवाया जा रहा है, जिससे इन पर धूप और बारिश का कम असर होता है। उन्होंने कहा कि इस काम के लिए किसी प्रकार का चंदा नहीं लिया जा रहा। केवल गुरुद्वारा साहिब में जो चढ़ावा चढ़ता है उसी से यह काम कराया जा रहा है।

1994 के हादसे के बाद संगत की याद में बना था गुरुद्वारा 

 10 अप्रैल 1994 को घरोटा से 55 सिख संगत का जत्था ऐतिहासिक गुरुद्वारा बारठ साहिब में स्नान करने के लिए गया था। वापस आते वक्त ट्राली नहर में गिर गई और 55 लोगों के जत्थे में से केवल 3 को ही बचाया जा सका। हादसे में 52 लोगों की मौत हो गई थी। उन्हीं की याद में सड़क के दूसरी ओर गुरुद्वारा अकालगढ़ साहिब का निर्माण 1 किल्ला जमीन में करवाया गया। गुरुद्वारे के रखरखाव के लिए 21 मेंबरी ट्रस्ट बनाया गया है। इसमें बनाए गए अनाथ आश्रम, स्कूल और वृद्धाश्रम सभी ट्रस्ट ही संचालित करता है।

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स्त्रोत : दैनिक भास्कर

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