विष कन्या

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भारत के इतिहास के पुराने पन्ने खोलेंगे तो विष कन्या का उल्लेख मिलता है | एक ऐसी रूपवती जिसे गुप्तचर प्रयोजन के लिए ही तैयार किया जाता था | यह तो कहना मुश्किल है की उसका नाम विष कन्या क्यों पड़ा | क्या इ सलिए पड़ गया, क्यों की वो शत्रु के घर दीर्घ कालीन रह कर उन सारे लोगो का अंत कर देती थी है जो उद्देश्य के बीच आते थे या फिर उसको बचपन से ही विष के प्रभाव में ही तैयार किया जाता था और बड़े होकर सर्प के भाति ही काट कर लोगो को अकाल मृत्यु से देती थी |
आज के ज़माने विष कन्या उसको कहा जाता है जो एक उद्देश्य के लिए कही अपना बसेरा बनाती है और फिर स्त्रोचित गुणों के आवरण में अपने मूल के उद्देश्यों को पूरा करती हैं | *अब एक विचित्र संयोग को समझते है, जो गांधी परिवार के साथ जुडी है |
इस परिवार में या फिर इससे जुड़ने वालो को प्राकृतिक मृत्यु का कम सौभाग्य मिला हैं |*

1. संजय गाँधी के ससुर कर्नल आनंद फार्म हाउस से थोड़ी दूर एक सुनसान पगडंडी में गोली लगने से मरे पाये गये |
2. संजय गाँधी खुद हवा में कलाबाजी करते हुए अपने ग्लाइडर के गिर जाने से मर जाते है |
3. इंद्रा गाँधी अपने ही विश्वसनीय अंगरक्षो से गोली से मार दी जाती हैं
4. राजीव गाँधी बम से उड़ा दिए जाते है |
5. प्रियंका गाँधी के ससुर राजेंद्र वाडरा दिल्ली में एक गेस्ट हाउस में लटके पाये जाते है और आत्महत्या घोषित की जाती हैं |
6. प्रियंका गाँधी की नन्द, पति रोबर्ट वाडरा की बहन मिशेल वाड्रा जयपुर दिल्ली हाईवे पर एक कार दुर्घटना में मरी पायी जाती हैं |
7. प्रियंका गाँधी का देवर, पति रोबर्ट वाडरा का भाई रिचर्ड वाडरा मुरादाबाद मरा पाया जाता है और उसे आत्महत्या बताया जाता हैं | आत्महत्या कैसे हुई नही बताया जाता है और एक ईसाई धर्म के मानने वालों की लाश को गाड़ने की जगह जला दिया जाता है |
सिर्फ बची मेनका गांधी और वरुण गांधी जो बहुत पहले ही इंद्रा गांधी के परिवार को छोड़ आई थी |
सिर्फ बची प्रियंका गाँधी की सास स्कॉटिश मौरीन वाड्रा स्कॉटलैंड की है विदेशी हैं |
इस संयोग का अंत यहाँ ही आकर नही रुकता है।
राजीव गाँधी के हम उम्र साथी जो अपने में ही शक्ति के पुंज थे 2002 में कांग्रेस की सरकार आने से पहले एक वर्ष के ही अंतराल में अकाल मृत्यु को प्राप्त करते है।
8. राजेश पाइलट सड़क दुर्घटना में मारे जाते है।
9. तो माधव राव सिंधिया जहाज दुर्घटना में मारे जाते हैं |
अब प्रश्न यह है की इन न सब अप्राकृतिक मृत्यु को लेकर मिडिया क्यों चुप हैं ?
क्या यह ये "गाँधी व्यापम" नही हैं ? कौन है जो इन मौतों को रहस्य बनाये रखने में सफल रहा है ?
कौन है जो मीडिया की चुप्पी ख़रीदे हुए है ? सीआईए या वैटिकन दो प्रबल दावेदार हैं।
पिछले 10 वर्षों के वैटिकन प्रभाव को देखते हुए ऊँगली वैटिकन की तरफ उठती है. वैटिकन को मौत से कभी परहेज नही रहा है, अपने इतिहास के शुरुवात से ही क्रिश्चनिटी के प्रसार के लिए पोप और वैटिकन ने मौत का अस्त्र बनाया है।
आश्चर्य हो रहा है ? मत आश्चर्य चकित होइए ! वैटिकन का सीआईए के साथ चोली दमन का साथ है और वैटिकन के उद्देश्यों के लिए सीआईए उसकी मदद करता रहा हैं |

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