एक और भी सदा आई थी ...
यजिदियों के वादियों से ..
शायद तेरे कान ही संजीदा न थे ..
उन दस वर्षीय बालाओं के ..
उम्र जिनकी गुडियों के दुनिया में घुमती थी ..
जिन्हें माएँ अभी तक चुमती थी ..
जिनके बाप-भाईयों का निर्मम क़त्ल उनके सामने इस्लामिक जानवरों ने किया ..
घसीट कर उन्हें गुड़ियों की दुनिया से अलग किया ...
अपने हरम में वासना के नंगे नाँच दिखाये ..
शील उनके शरीर का भंग किया ...
बहते लहू पे अपने ठरकी नबी का जय घोष किया ...
फिर उनके बेदम होने तक कईयों ने संभोग किया ...
अपने भड़वे नामर्दी का प्रदर्शन धार्मिक उद्दघोष के साथ किया ..
उनका उपचार भी किया ...
क्युँकि , उन्हें जिन्दा भी रखना था ...
आतंकी वासना के जानवरों के मंडियों में जो बिकना था ....
ये तो भड़वे थे पैदाईशी , सो इन्हें तो अपने टुच्चे पेट के ख़ातिर इन्हें बेचने वाली खानदानी दलाली भी करनी थी ...
जो कि इनके संस्कार में हलाल था ....
फिर ..
मंडियों का मंजर था सामने आया ...
हजारों आतंकियों और नपुंसकों के भीड़ में इन्हें लाया गया ....
इनके वस्त्र उतर कर ईमान वालों के सामने प्रदर्शन में रखा गया ...
ऊपरवाले की रहमत से/इनके संस्कारों के खोट से इन ईमान वालों की वासना भरीं चीखें निकलने लगी ...
लपक कर ये ईमान वाले बढे इन बालाओ की ओर ...
अंगुलियाँ घुसेड़ कर आपने पैदाइश-स्थल के टाईट होने की जाँच की ...
इनके वक्ष के गोलईयों को टटोला ...
अपने माँ के दूध का क़र्ज़ अदा करते हुए ..
इन वक्षों के कड़ेपन को तौला ....
फिर $5 से ले के $100 कफीरी मुद्रा में अपने जन्नत के लिये हूर मोल ले गये ....
उस पर ये , समाजवाद की पराकाष्ठा देखें ....
समूचे परिवार को सामान रूप से इन हूरों के नग्न हुस्न के दीदार कराएं ....
और
फिर इस गुड़िया के सामुहिक संभोग द्वारा सारे परिवार को , यौन-सागर में डुबकी लगवाया ....
अपने संस्कारों पे गर्व करते हुए जोर का धार्मिक नारा भी लगाया .....
वो तो १४०० सालों से दोपाये खूंखार पशु ही हैं ..
मगर तुम ,
आदमी नही , एक सेक्युलर हो ...
ऊपरवाले के उत्पत्ति का दोष हो ....
इन गुड़ियों की चीखें और ' ये ' सदायें तुम्हारे कानों की हद तक नही पहुँच पायेंगी ....
कभी अगर कामातुर हुए तो , इनकी ये व्यथायें ही , तुम्हारे कामाग्नि बढ़ाने के काम आयेगी ...
खुद अपना आँकलन करो तुम .....
मर्द हो या फिर .....
मानवता के लिये , एक बडे सिरदर्द हो ...
कभी शर्म आये खुद पर तो ...
ख़ुदकुशी मत करना ...
सेक्युलर बनने से पहले इन्सान बनने की कोशिश करना ......
यही तुम्हारा प्रायश्चित होगा ...
अपने माँ के कोख़ का क़र्ज़ कुछ हद तक अदा होगा ....
Peace if possible, truth at all costs.