#TheTrueIndianHistory
#संदीपदेव। पहले तो मैं माफी मांगता हूं कि मैं कल आपलोगों को इस सवाल का जवाब नहीं दे सका कि किसने इस देश में अपने परिवार के लोगों की मूर्ति बनवाने की शुरुआत की। मेरी एक पुस्तक आने वाली है, उसी सिलसिले में प्रकाशक के साथ बैठकों का दौर चल रहा है।
हां तो वह महात्मा गांधी जी थे, जिन्होंने सबसे पहले परिवारवाद की मूर्ति पूजा का चलन इस देश में शुरु किया। और यह भी बता दूं कि देश के सबसे बढिया स्मारक में उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी का स्मारक शामिल है। राम मनोहर लोहिया ने अपनी पुस्तक 'भारत विभाजन के अपराधी' में लिखा है, '' कस्तूरबा जैसी स्नेहमयी और दयालु औरत दूसरी मैंने नहीं देखी। उनके लिए स्मारक जरूर होनी चाहिए। लेकिन सवाल यह उठता है कि वह अगर महात्मा गांधी की पत्नी न होतीं तो क्या उनका स्मारक बनता। मैं सोचता हूं गांधीजी का अपनी पत्नी के सम्मान में बनाए जाने वाले स्मारक के काम में हाथ बंटाना क्या उचित था, और क्या उन्हें इस काम की शुरुआत के समय ही लोगों को मना नहीं करना चाहिए।''
लोहिया लिखते हैं,'' दूसरे लोग भी उनके (गांधी जी) रास्ते पर चल पड़े थे और इतने अश्लील हो गए थे कि ग्लानि होती है। बड़े आदमियों के रिश्तेदारों में एक रिवाज पड़ गया है। वे अपने प्रसिद्ध या सफल रिश्तेदार के बड़प्प्न और उसके लाभ में साधिकार हिस्सा मांगते हैं और वह उन्हें दिया भी जाता है।''
वैसे यह भी बता दूं कि अहिंसक गांधीजी ने कस्तूरबा जी पर बहुत कुछ थोपा था। उनकी मर्जी के विरुद्ध उन्हें शौचालय साफ करने को कहा और मना करने पर चांटा भी मारा। कस्तूरबा गांधीजी के पाखंड पर कई बार व्यंग्य करती थी। याद रखिए आपकी नग्नता (केवल शरीर नहीं, आत्मा की नग्नता को भी) को आपकी पत्नी से बेहतर कोई नहीं जान सकता। किसी पर कुछ थोपना भी हिंसा की श्रेणी में आता है, लेकिन गांधी के हिसा-अहिंसा की अपनी परिभाषा थी।
और आपको एक और बात बताऊ कि कस्तूरबा की मौत किस प्रकार हुई थी। कस्तूरबा की एक तरह से हत्या हुई थी। कस्तूरबा बहुत बीमार थी। वह दर्द से छटपटा रही थीं। डॉक्टर ने कहा कि उन्हें इंजेक्शन देना होगा। गांधीजी ने कहा, नहीं यह हिंसा है। इंजेक्शन का शरीर में जाना हिंसा है। और इंजेक्शन नहीं लगाए जाने के कारण कस्तूरबा की मौत हो गयी। इसे आप क्या कहेंगे, अहिंसा या पागलपन...। आज होते गांधी तो अदालत में उन पर कस्तूरबा की गैर इरादतन हत्या का मामला चल जाता। लेकिन बाद में इसी कस्तूरबा की गांधी ने मूर्ति बनवा दी। शायद अपना अपराधभाव छिपाने के लिए। आज यदि नकली गांधी परिवार यही कर रहा है, सारी योजनाएं राजीव, इंदिरा और नेहरू के नाम कर गया है तो क्या गुनाह। इसकी बुनियाद तो इस परिवार को अपना उपनाम थमाने वाले गांधी ही रख गए हैं।
जिन मित्रों ने प्रश्न के उत्तर में गांधीजी का नाम लिया था, उन्हें मेरी ओर से ढेर सारी बधाई। और जिनका उत्तर सही नहीं था, उन्हें भी बधाई कि कम से कम वह इतिहास के प्रति उत्सुक तो हैं न।
Peace if possible, truth at all costs.