खाँग्रेस और बीजेपी की राजनीति मात्र 2 उदाहरणों से समझी जा सकती हैं...

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खाँग्रेस और बीजेपी की राजनीति मात्र 2 उदाहरणों से समझी जा सकती है|

(1) राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते समय मे सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो केस में फैसला शाहबानो यानी महिला के पक्ष में दिया था जो कि इंसानी , राजनीतिक धार्मिक हर एंगल से एक मील का पत्थर जैसा अहम फैसला था , लेकिन कट्टरपंथी और स्वार्थी मुसलमानों की नजर में ये उनके निजी स्वार्थ और पेगम्बर द्वारा बनाये गए पुरुष dominated नियमों का उलंघन था जिसमे महिलाओं को मात्र एक गुलाम समझा जाता है इससे देश भर के मुसलमान भड़क गए और खाँग्रेस को अपना बपौती मुस्लिम वोटबैंक खिसकता हुआ नजर आने लगा ,,, फिर क्या था अपने मुस्लिम वोटबैंक को बचाने के चक्कर मे खांग्रेस ने आनन फानन में संसद में एक नया कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को रातों रात पलट दिया और मुस्लिम महिलाओं को एक बार फिर दोजख की आग में धकेल दिया |

(2) दूसरा उदाहरण बीजेपी के मोदी जी का है जिनकी पारखी नजरों ने मुस्लिम महिलाओं का दर्द समझा , समाज मे उनके साथ जो अमानवीय घटनाएं हो रही हैं सिर्फ संवैधानिक असमानता के कारण उसे समझा , तीन  तलाक फिर हलाला फिर बच्चों का भविष्य बर्बाद होने के कारण उनका अपराधी बनना , सामाजिक असंतुलन , यानी हर एंगल से मुस्लिम महिलाओं के नारकीय जीवन को कैसे सुख में बदला जाए मोदी की दूरदृष्टि ने इस मसले को बखूबी समझा और सत्ता में आते ही सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया जिसका आज फैसला भी मोदी या यूँ कहें कि, मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में आ गया |

एक तरफ खाँग्रेस है जो अफवाह फैला कर और तुष्टीकरण की राजनीति कर देश और समाज को बांटने की कम करती है और दूसरी तरफ बीजेपी और मोदी जी हैं जो वोटबैंक की चिंता किये बगैर सिर्फ देश और समाज के अच्छाई के लिए ही हर कदम उठाते हैं

अब आप देश के एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते खुद तय करें की किसकी राजनीति देश और समाज के समग्र विकास के लिए अच्छी है

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