दोगलापन या घटिया राजनीति कानून?

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

दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन अल कायदा का सक्रिय सदस्य आसिफ 
जो राजयसभा में बड़े बड़े बोल बोलने वाले समाजवादी सांसद जावेद अली के क्षेत्र सम्भल का रहने वाला था

और दिल्ली पुलिस के हाथों गिरफ्तार किया गया था
जो न्यायालय ने उसकी सास के तीजे में शामिल होने के लिए ससुराल जाने की छूट दे दी
और
उसको विधिवत सरकारी खर्चे पर उसकी ससुराल घुमाया भी गया ..

✖अपनी ससुराल में
वो सीना तान कर कई पुलिस वालों की मौजूदगी में ऐसे घूमा जैसे वो कोई बड़ा नेता या बड़ी शख्सियत हो ..

✖उसको देखने के लिए उसकी ससुराल में भीड़ उमड़ पड़ी थी ..

✖ वैसे तो टी वी डिबेट में कहा जाता है
की अल कायदा आदि जैसे दुर्दांततम आतंकी संगठनों का
इस्लाम से
कोई लेना देना नहीं है …⁉
पर फिर भी
उस से मिलने के लिए लगभग हर कोई बेताब था.⁉

✖ आसिफ के चेहरे पर कहीं से एक भी बार ग्लानि और पश्चाताप नहीं दिख रहा था
और वो
विजयी भाव में ऐसा चलता दिखा जैसे उसने भारत के लिए कोई जंग जीती हो .⁉

〰〰〰〰〰〰〰〰〰

यहाँ अब दूसरा पक्ष ये देखने लायक है
की पिछले 18 साल से उड़ीसा की क्योंझर जेल में हिन्दुओं का धर्मांतरण व् गौ हत्या बचाते हुए
ईसाइयो व् मुसलमानो के खिलाफ हिंसा करने के अपराध में
रविंदर कुमार उर्फ़
दारा सिंह जेल में बंद है ..

विगत 18 वर्षो में उड़ीसा सरकार ने उन
तमाम लोगों को छोड़ दिया
जिन पर नक्सल आदि के आरोप थे , ✔

किसी को १० साल में तो किसी को १४ या १५ साल में संस्तुति कर के छोड़ दिया गया✔

पर दारा सिंह को आज 18
साल से भी अधिक समय हो जाने के बाद भी
१ पल के लिए भी जेल के बाहर नहीं आने दिया गया है ..⁉

यहाँ ध्यान देने योग्य ये भी है
की बजरंग दल का बड़ा कार्यकर्ता रह चुके
दारा सिंह की माता और उनके पिता जो उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के फंफूद इलाके के काकोर के रहने वाले थे ,
दारा सिंह के जेल में रहते ही एक एक कर के स्वर्गवासी हो गए
पर
उनके सबसे बड़े बेटे दारा सिंह को उनकी अंतिम यात्रा तो दूर
उनकी चिता में आग देने के लिए भी मोहलत नहीं दी गयी ⁉

अत्याचार
और घोर अन्याय को विगत 18
साल में अंतिम हद तक सहने वाले दारा सिंह के चेहरे पर अभी भी मुस्कान रहती है ‼

और वो जेल में ही हिन्दुओं को हिंदुत्व की शिक्षा देते रहते हैं
जिसमे अहिंसा केवल निरीह और निरपराधों के लिए बताई गयी है
और दुष्टों को दंड हर हाल में देने का विधान भी बताया गया है .✔

विदित हो की दारा सिंह के माता और पिता की अंतिम इच्छा थी
की उनका बेटा
उन्हें मुखाग्नि दे
और
यदि ये ना हो सके तो कम से कम उनकी अस्थियों को गंगा में वही प्रवाहित करे ..

अपने उसी बेटे की याद में कई सालों से दारा सिंह के माता और पिता की अस्थियां आज भी एक मिटटी की हांडी में बाँध कर खेतों में दबा कर रखी गयी हैं …

की कभी न कभी दारा आएगा
और
उन अस्थियो को नदी में प्रवाहित करेगा
जिस से उनकी आत्मा को शान्ति मिले
पर इस तथाकथित धर्मन्रिपेक्षता के चक्रव्यूह में ऐसा होना शायद सम्भव नहीं है .

✖अल कायदा के आतंकी को ससुराल घुमाना ,

✖ याकूब के लिए आधी रात से भी ज्यादा सुबह तक कोर्ट खुलवाना
आदि घटनाओं को भारत के लोकतंत्र के लिए अमृत मानने वाला तथाकथित धर्म निरपेक्ष और बुद्धिजीवी समाज ही ऐसे दोहरे मापदंडों के लिए जिम्मेदार है

जिसमे बलि ना सिर्फ दारा सिंह जैसे लोग चढ़ते हैं
अपितु उनका पूरा खानदान
एक सोची और समझी रणनीति के चलते
स्वाहा करा दिया जाता है .

               जागो हिंदू !! 


#राजनीती ##इस्लामिक_आतंकवाद #islamic_terror #मुस्लिम_आतंकवादी,

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