औद्योगिक क्षेत्र मे भारत पीछे क्यू रहा ?

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>>>> मात्र सत्याग्रह , आंदोलन , अनशन ,  लघुदृष्टिवाले ,तुष्टीकरणकर्ता
, अंग्रेज़ो चापलूसी करने वाले स्वतंत्र के बाद नेता बन गए , स्वतन्त्रता के पश्चात भारतीय अर्थतन्त्र , उद्योग , विपुल उत्पादन्न जैसे प्राथमिक ज्ञान वाले स्वप्नदृष्टा आवश्यकता थी । भारत का दुर्भाग्य रहा की निपुण , निष्णात  कुशाग्र एक भी नेता अर्थशास्त्री न मिला । अंग्रेज़ो ने भारतीय उद्योग की स्थिति विनाशक  कर दी थी बस वैसे ही हमारे ही नेता ने भी उद्योग तोड़ दिया ।
देश के दो महापाप एक जवाहर तथा दूसरा था गांधी । दोनों के पास अर्थिकनीति का ज्ञान सदन्तर अल्प था अर्थात शून्यवत था । दोनों की विचारधारा नितांत पृथक थी । “चरखे ‘ को विश्व का सर्वोत्तम यंत्र मानने वाले गांधी आधुनिक तंत्रज्ञान का विरोधी रहे ।
जवाहर को भारतीय उद्योगपति पर द्वेष , घृणा ,अरुचि थी तथापि जवाहर ने उद्योग स्थापन अभियान चलाया ,  । हमार सद्भाग्य है की गांधी PM न बने नहीं तो आज भी हम चरखे चलते होते ! !
>>>>>>  साम्यवादी रशियन एवं उनकी टेक्नोलोजी प्रभावित जवाहर ने उद्योग का अभियान चालय । आश्चर्य तो यह है की भारत के प्रखर उद्योगपति को दूर रखे ।
उद्योग संचालन , शासन आदि का जिसके पास कोई ज्ञान नहीं था वैसे सरकारी अधिकारी को उद्योग सोंप दिया ,
क्रय – विक्रय ,उत्पादन क्षमता , लोगो की मांग एवं आवश्यकता ज्ञान के अभाव से अधिकारियोने उद्योग ध्वंश किए , दिन प्रतिदिन करोड़ो की हानी होती रही ,उत्पादन्न कम , भ्रष्टाचार अधिक होता रहा । समाजवादी करण की प्रतिकृति करने से हम औद्योगिक पिछड़े रहे ,हम निर्धन एवं सुविधाहीन बने रहे ,  । भारत की तुलना मे अन्य देशो ने भरपूर प्रगति की ।
पुनश्च ---- *मूर्ख , घमंडी , मिथ्यास्वमानी नेता अपने ही साथ देश की दुर्दशा भी कर लेते है* ।

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