#अमेरिकन_ईसाई_मिशनरी का सच #जरूर_पढ़े व #शेयर_करे

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#जरूर_पढ़े व #शेयर_करे
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अंडेमान निकोबार के द्विपसुमहों मे से एक छोटे से टापू पर पिछले 55000 साल से रहने वाली #जनजाति सेंटनेलीस ने थोड़े दिन पहले एक #अमेरिकन_ईसाई_मिशनरी 'जॉन एलन चाऊ' को मार डाला। जॉन वहां सेंटनेलीस जनजाति को ईसा मसीह का संदेश देने गया था।
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अफ्रीका महाद्वीप के साथ भी यही घटित हुआ। बस फर्क ये था कि वहां के लोगों ने बाहर से आए गोरे लोगों का स्वागत किया। दक्षिण अफ्रीका के एक समाजसेवी 'डेस्मंड टूटू' ने इस संदर्भ में कहा है कि "When the missionaries came to Africa they had the Bible and we had the land.
They said "Let us pray." We closed our eyes. When we opened them, we had the Bible and they had the land." ( जब ईसाई धर्मप्रवर्तक यहाँ आए तब उनके पास बाइबल थी और हमारे पास ज़मीन। उन्होंने कहा कि "चलो प्रार्थना करते हैं"
" हमने आंखे बंद कर प्रार्थना की। जब हमने आँखे खोली, तो हमारे हाथ मे बाईबल थी और उनके पास जमीन।)
यदि भारतीय सेंटनेलीस मिशनरी जॉन एलन चाऊ पर हमला करने की वजाए उसका स्वागत करते तो 20 साल बाद पूरे टापू पर ईसाइयत फैल जाती,
ऐसे में सेंटनेलीस के पास बस बाईबल बच जाती और बाकी के सारे वन्य संसाधनों पर वेटिकन के बिज़नेसमेन्स का कब्जा होता।
भारत ने सेन्टिनल टापू के आस पास तक जाना वर्जित कर रखा है। भारत देश जिसे अमेरिका और वेस्ट पिछड़ा मानता है, उसे भी पता है कि निजता और स्वराज का सम्मान कैसे किया जाता है
और अपने आप को डेमोक्रेसी का देवता मानने वाला अमेरिका जब देखो दूसरे देशों की स्वायत्तता में उंगली करता रहता है।
सेंटिनेल्स 55000 साल से बिना गुलामी का दंश अनुभव किए, आज़ादी से रह रहे हैं क्योंकि वो हर बाहर से आने वाले (Outsider) को शक की निगाह से देखते हैं।
वहीं भारत का मात्र 10,000 वर्षों का इतिहास उठाकर देख लो, अतिथि देवो भवः का फायदा उठाकर यहाँ अनगिनत आक्रांता आते गए और बस्ते गए या फिर लूट कर जाते रहे। कुल मिलाकर सीख यही ही कि जब तक ऑफ्फेन्स आपके डिफेंस की स्ट्रेटेजि नहीं होगी तब तक आपकी इतिहास की ...पुस्तकें हादसों के बहीखातों से मोटी होती रहेंगी। वहीं सेंटिनेल्स का इतिहास मात्र दो पंक्तियों का ही रहेगा "#हम_थे_हम_है

धन्यवाद

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