आमिर की फिल्म के बहिष्कार की बात चली ही है तो आज इसकी एक और सुपर हिट फिल्म थ्री इडियट का पोस्ट मार्टम करते हैं...

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आमिर की फिल्म के बहिष्कार की बात चली ही है तो आज इसकी एक और सुपर हिट फिल्म थ्री इडियट का पोस्ट मार्टम करते हैं..
सच बताएं तो कुछ दिन पहले तक तो वो हमारी भी फेवरेट फिल्म थी, पर जब उस फिल्म को एक कट्टर हिंदू के नजरिए से दोबारा देखा, तो हमारे आश्चर्य का ठिकाना ना रहा।

एक एक प्वाइंट नोट कीजिए...


1:- फिल्म का एक बहुत ही मशहूर दृश्य है जब चतुर स्टेज पर भाषण देता है, अब इस दृश्य में से सबसे आखिर में बोला गया संस्कृत श्लोक वाला सीन हटा कर देखिए, 
फिल्म की कहानी पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता।
अब सोचिए ये सीन क्यों डाला गया ?
जी हां, देववाणी संस्कृत का मजाक उड़ाने के लिए।


2:- एक नजर फिल्म में चतुर के किरदार पर डालिए, कॉलेज में या पूरी फिल्म में, उसे मजाकिया किस्म का धूर्त पात्र बनाया गया है, आप कहेंगे तो इसमें क्या था ?
तो इसका उत्तर है चतुर का पूरा नाम।
चतुर रामलिंगम।
अब समझ आ गया होगा आपको।

3:- अब रेंचो यानि आमिर के दोनों मित्रों की तुलना कीजिए, जिसमें एक का नाम फरहान (मुस्लिम) था और दूसरे का नाम राजू...


मुस्लिम दोस्त जब अपने पिता से कहता है कि उसका शौक फोटोग्राफी है तो थोड़ी ना नुकुर के बाद उसके अब्बा मान जाते हैं, मतलब मुस्लिम प्रोग्रेसिव सोच के होते हैं।
और उनका घर भी बढ़िया दिखाया गया है, जिसमें हर चीज बड़े करीने से रखी हुई थी।


अब राजू के घर चलते हैं, अब क्योंकि राजू हिंदू है, तो मजाक तो उड़ेगा ही।
याद कीजिए राजू की मां जब अपनी गरीबी का हवाला देते हुए खाना परोसती है, तो उसे अपने बीमार पति की छाती बेलन से खुजाते हुए दिखाया गया है। जिसका मतलब ये कि हिंदू खाना बनाते समय साफ सफाई का ध्यान नहीं रखते।

राजू की बहन कम्मो की शादी के लिए दहेज में क्या क्या मांगा जा रहा है, ये सब भी जानबूझकर उभारा गया है, जिससे दर्शकों में ये संदेश जाता है कि हिंदू समाज दहेज लोभी होता है।

होने को तो और भी बहुत सीन होंगे पर जो हमारे दिल को चुभे उसका वर्णन हमने यहां किया है।

बॉलीवुड लगतार फेल हो रहा है पर सुधरने का नाम नही ले रहा

पर जनता सब समझती है, देखती है, सुनती है और धीरे से गूगल करके असलियत ढूंढ लेती है और फिर चुपचाप ही सबक सिखा देती है

ये 90 का दशक नही जब पुजारियों को पाखंडी, राजपूतों को अत्याचारी और बनियों को सूदखोर और रहीम चाचा को इंसानियत का दूत दिखाकर बॉलीवुड हिन्दुओ से ही मोटी कमाई करता था

सनातन का अपमान करने के दिन गए

जनता ने इनकी उल्टी गिनती शुरू कर दी है, यह तो शुरूवात भर है बस

अब जरा हमारी ये पोस्ट पढ़कर इन सभी सीन के बारे में सोचिए कि ये गटरवुड हमसे ही पैसा लेकर हमें क्या परोस रहा है।

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