राजपूत जब इतने ही वीर थे तो वो हार क्यों गये??

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कुछ वामपंथी और शान्तिधूर्त आजकल प्रश्न उठा रहे कि राजपूत जब इतने ही वीर थे तो वो हार क्यों गये।


इस प्रश्न पर मै सावरकर जी के विचारों से पूर्णतः सहमत हूं, कम ही लोग जानते है, कि महान वीर शिवाजी की युद्ध नीति की सावरकर जी ने कटु आलोचना कि थी। इसी प्रकार राजपूत, जाट, मराठा तथा सिख जैसी हिन्दू शक्तियों ने भी इस देश को शान्तिदूतों के राज से मुक्त कराने का पूर्ण प्रयास किया किन्तु उन्हें आंशिक सफलता ही मिली।

इसका एक प्रमुख कारण इनकी नैतिकता वादी सोच और अति मानवीयता थी, जबकि अरब, तुर्क, मुगल जैसे पशुवत लोगों से सिर्फ दुर्दान्त पाशविकता से ही लडा जा सकता था। पृथ्वीराज चौहान ने 1191 के प्रथम तराइन युद्ध मे गोरी को हरा दिया था, किन्तु पीठ दिखाकर भागती सेना पर आक्रमण करने को धर्म और नैतिकता के विरुद्ध मानने के कारण उन्होंने गोरी की सेना का पीछा नही किया, गोरी और उसकी सेना बडे आराम से अपने देश अफगानिस्तान लौट गयी, बाद मे 1192 के दूसरे तराइन युद्ध मे पृथ्वीराज पराजित हुये।

इसी प्रकार मुगल सेना जिस भी हिन्दू क्षेत्र पर हमला करती थी, वहाँ के मन्दिरों को नष्ट कर देती थी, खेतों और घरों को आग लगा देती थी, महिलाओं का अपहरण कर लेती थी, जबकि शिवाजी की फौज ने कभी मस्जिदों पर हमला नही किया, ये मुगलों के छिपने के सुरक्षित स्थान बन गये थे, अगर मुगल स्त्रियाँ और बच्चे पकडे जाते तो उन्हें ससम्मान वापस कर दिया जाता था, इस से मुगल सैनिक परिवार की रक्षा के लिये निश्चिन्त रहते थे, जिसकी सावरकर जी ने आलोचना की है। गुरु गोविंद सिंह के बारे मे जनश्रुति है कि वो युद्ध के मैदान मे अपने सैनिकों के साथ ही मुगल सैनिको को भी मानवता के नाते पानी पिलाते थे। 

वास्तव मे इन आततायियो से जीतने के लिये इनके जितना ही पाशविक होना आवश्यक था। भारत मे कभी भी कोई हिन्दू औरंगजेब पैदा नही हुआ।

712 ई मे सिन्ध पर कासिम के आक्रमण के समय ही स्पेन पर भी मुस्लिम आक्रमण हुआ था। जिससे स्पेन पर मुस्लिम सत्ता स्थापित हो गयी, जो लगभग चार सदी तक कायम रही, जिसे मूर साम्राज्य कहते हैं। इस दौरान चर्च नष्ट किये गये, लगभग पूरा स्पेन धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बन गया, किन्तु अन्त मे मूर परास्त हुये और ईसाई सत्ता मे आ गये। उन्होंने मुसलमानों जितना ही क्रूर दमन चक्र चलाया, मस्जिदों को नष्ट किया, लोगों का जबरन पुनः धर्मपरिवर्तन कराया, और स्पेन से मुसलमानों का नामो निशान मिटा दिया, वर्तमान मे स्पेन मे कोई मूल स्पेनिश मुसलमान नही है, सिर्फ बीसवी सदी मे उत्तरी अफ्रीका से आये कुछ मुसलमान वहाँ रहते हैं।

वास्तव मे इसी कट्टरता के अभाव ने भारत को इतने दुःख दिये हैं ये सिर्फ भारत मे ही सम्भव है कि धर्म के नाम पर बंटवारा करवाकर, दसों लाख लोगों की हत्या होने के बावजूद पाकिस्तान से ज्यादा मुस्लिम आबादी आज भी हिन्दुस्तान में है।

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