क्या राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल क्या ये खोज पाएंगे कि सत्ता में आने का आखिर ये रास्ता जाता किधर है..??

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नमस्कार मैं हूँ पुण्य प्रसून वाजपेयी...

बेरोज़गारी के लंबे आलम में आपका स्वागत है (हाथ मसलते हुए) 


पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस वक़्त भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं...

दरअसल इस दौर में कांग्रेस जिस तरह हाशिये पर जाती चली जा रही है उसमें कहीं न कहीं जान फूँकने की कोशिश राहुल गांधी कर रहे हैं...

लेकिन इन सबके बीच जब कुछ राज्यों में उपचुनावों के नतीजे आते हैं तो कांग्रेस एक बार फिर हाशिये पर जाती नज़र आती है..


दरअसल इस दौर में जब राजनीति के तौर तरीके बदल गए हैं, देश की जनता की सोच बदल गई है ऐसे में कांग्रेस पार्टी आज भी उस दौर के तौर तरीके इस्तेमाल कर रही है जो इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के ज़माने में किये जाते थे..


राहुल गांधी कभी बकरी के बच्चे को कंधे पर बिठाते हैं..

कभी खुद को कोड़े मारते नज़र आते हैं..

कभी बच्चों के साथ डांस करते हैं, तो कभी किसी कुम्हार के पास बैठकर मिट्टी के बर्तन गढ़ते हुए कहीं न कहीं ये सोचते हैं शायद इन्हीं तौर तरीकों से वो अपनी 130 साल पुरानी पार्टी में फिर से प्राण फूँकने में सफल हो पाएंगे..


राहुल गांधी केवल यहीं नहीं रुकते हैं बल्कि वो प्रधानमंत्री मोदी के कोरोनकाल में बढ़ाई गई दाढ़ी के जैसे अपनी भी दाढ़ी बढ़ा लेते हैं..

लेकिन बढ़ी हुई दाढ़ी में प्रधानमंत्री मोदी जहाँ किसी दार्शनिक के जैसे नज़र आते थे, वहीं राहुल गांधी कुछ कुछ इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के जैसे दिखालाई पड़ते हैं..

शायद ये कहीं न कहीं इस बात को भी साबित करता है कि राहुल गांधी उस तरबूज़ के जैसे हैं जिसमें दो रंग हैं फ़र्क़ केवल इतना है कि तरबूज़ बाहर से हरा और अंदर से लाल होता है, और राहुल गांधी अंदर से हरे होकर बाहर से लाल दिखाई देने की कोशिश कर रहे हैं और इसीलिए वो आजकल धोती पहनकर, त्रिपुंड लगाकर मंदिरों के चक्कर भी काट रहे हैं..


कभी कभी तो यह भी ख़याल मन में आता है कि राहुल गांधी सचमुच कांग्रेस पार्टी में जान फूँकने निकले हैं या कांग्रेस को ही फूँकने निकले हैं..


बहरहाल आगे बढ़ते हैं..

इन सबके बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुजरात में खुद को पूरी तरह से झोंके हुए हैं और हर बार की तरह इस बार भी अरविंद केजरीवाल गुजरात में अपनी सरकार बनाने के बड़े बड़े दावे कर रहे हैं..

ये और बात है कि तमाम जो सर्वे अभी तक निकलकर के सामने आ रहे हैं उनमें केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को महज दो या तीन सीटें मिलने के ही दावे किए जा रहे हैं..

शायद यही वो वजह है जिसके कारण अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के तमाम नेता इन सर्वे का कहीं ज़िक्र नहीं कर रहे हैं, अगर आम आदमी पार्टी को ज़रा भी लीड किसी भी सर्वे में दिखाई जाती तो केजरीवाल समेत पूरी पार्टी आसमान सिर पर उठा लेती..


वैसे अरविंद केजरीवाल की परेशानियाँ कम होने का नाम नहीं ले रही उनके मंत्री एक के बाद एक ED और दूसरी जाँच एजेंसियों की निगाहों में चढ़ते जा रहे हैं, कुछ जेल की हवा खा रहे हैं कुछ तैयारी में हैं..

लेकिन केजरीवाल की असली मुश्किल अपने सबसे चहेते शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया को लेकर है..

जिन पर लगातार शिकंजा कसता जा रहा है और किसी भी दिन उन्हें जाँच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है..


इस दौर में राहुल गांधी जहाँ तरबूज से नज़र आते हैं वहीं केजरीवाल की तुलना शुरू से गिरगिट से की जाती रही है..

क्योंकि केजरीवाल अपने बयान इतनी बार बदलते हैं कि उन्हें खुद याद नहीं रहता कि उन्होंने पिछली बार क्या बोला था, और जनता आजकल सब देखती समझती है और जब वो चुनावों में वोट डालती है तो नतीजे आने के बाद हर पार्टी एक ही रोना रोती है कि EVM हैक हो गई है..


अभी तो प्रधानमंत्री मोदी और उनके तमाम मंत्रियों, नेताओं ने गुजरात में खुलकर प्रचार करना शुरू नहीं किया है, जिस दिन शुरू होंगे तब मोदी निश्चित रूप से अरविंद केजरीवाल का नाम लिये बिना उनकी दुखती नसों पर इस कदर हाथ रखेंगे कि केजरीवाल खुद ही मोदी को गुजरात थाली में परोसकर दे देंगे..

जंगल में बाकी जानवर कितना ही शोर मचा लें, शेर की केवल एक दहाड़ ही पूरे जंगल को हिलाकर रख देने के लिए काफी होती है..


ये देखना बहुत ही दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल क्या ये खोज पाएंगे कि सत्ता में आने का आखिर ये रास्ता जाता किधर है...

भारत माता की जय

वंदे मातरम 🚩🇮🇳🪷

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