इन दिनों शहर में लूलू माल सुबह चार बजे तक खुल रहा है. मेनली हाइपर मार्केट में तो लूट मची हुई दिखती है. अनाज, फल, सब्ज़ियाँ, नमकीन, ड्राई फ्रूट, गिफ्ट बास्केट, लाइट, पर्दे, चद्दर स्टाफ़ पूरा नहीं कर पा रहा है. एक स्टाफ़ के तो पैंर में मोच थी बैंडेज चढ़ा था पर छुट्टी नहीं मिली है. लड़कों की तो चौबीस घंटे शिफ्ट रखी हुई है. जिन्होंने भारत को हंगर इंडेक्स में 107 रैंकिंग दी उन्हें पकड़ कर यह दिखाना चाहिये.
इतनी भीड़, प्रेशर में भी सिस्टम बना हुआ है. सब फ़्रेंडली हैं. वह सेल्स गर्ल चल नहीं पा रही थी, पर मेरे लिये झाड़ू ढूँढने के लिये तीन चार चक्कर लगाये. मैंने रोका भी तो उसका जवाब था कि सर कोई बात नहीं ये हमारी ड्यूटी है.
दूसरी ओर कालोनी में हर दूसरी बाइक अमेज़न के डिलीवरी बॉय की दिख रही है. ख़ास बात यह कि इतनी मारा मारी में भी आज सामान ऑर्डर करो, कल की डिलीवरी यदि प्रॉमिस है तो मिल रही है. सामान पसंद न आये तुरंत वापसी हो रही है.
तीसरी ओर बाज़ार में सन्नाटा है. बांस मंडी लाटूस रोड जैसी बिजली की दुकानों में दीवाली में उतनी भीड़ है जितना कभी नार्मल टाइम में होती थी. लेकिन एटीट्यूड ग़ज़ब है. सोंचा कुछ लोकल भी आउटडोर फ्लड लाइट ली जायें. पहली दुकान वाले ने ऐसा एटीट्यूड दिखाया कि उसे बेंचना ही नहीं. दूसरी दुकान ने आधे घंटे लगा कर आइटम दे तो दिया पर चेक नहीं किया. इस वादे के साथ कि कोई भी गड़बड़ हो दो साल की गारंटी. रेट एक लाइट का 2200, वही जो ऑनलाइन पड़ रहा है. दुकानदार का जवाब कि कोई समस्या हो हम सीधे आपसे डील करेंगे वारंटी हमारी. पक्की रसीद लेंगे तो टैक्स अलग देना होगा. ख़ैर ज़रूरत थी लेकर घर आये. एक लाइट नहीं चल रही. ड्राइवर को भेजा वापस करने तो दुकानदार का जवाब कि दो बजे के बाद आना. जब ख़रीदा था तो बोल रहा था मैं हूँ ना वापसी में बोलता हम आपके हैं कौन. तीस किमी दुबारा आने जाने में छः सौ का खर्च और दीवाली में वैसे भी समय की कमी. फिर ड्राइवर ने फ़ोन पर उससे मेरी बात कराई, सुबह सुबह धर के पेलना पड़ा तब जाकर रिप्लेसमेंट मिला.
ऐसे एक नहीं ढेरों अनुभव है. वो लोकल दुकानदार जो समय के साथ बदल गये, कस्टमर फ़्रेंडली हो गये, रिटर्न / रिपलेसमेंट में प्रोफेशनल हो गये उनकी दुकानों की चेन खुल रही हैं. और जो ख़ानदानी दुकानदार हैं वह दुकान पर बैठ मक्खियाँ मारते हुवे सरकार ऑनलाइन शॉपिंग बंद कर दे, सरकार लूलू को बैन कर दे जैसी स्कीमे बनाते मिलते हैं.
Peace if possible, truth at all costs.