भारत में और दुनिया में हिंदुओं के प्रबोधनार्थ पत्रिका जगत में दो बड़े नाम है।
एक है "पांचजन्य" और दूसरा है "ऑर्गनाइजर"
इन दोनों पत्रिकाओं का सर्कुलेशन शायद एक-एक लाख या इससे थोड़ी अधिक होगी। "पांचजन्य" हिन्दी में और "ऑर्गनाइजर" अंग्रेजी में छपती है और जहाँ तक मेरी जानकारी है इन पत्रों का अनुवाद किसी और भाषा में नहीं होता।
अब जरा दूसरी ओर देखते हैं:-
"प्रभु तेरा राज आवे" इस ध्येय वाक्य के साथ मिशनरी पत्रिका The Watchtower अपने अभियान में लगी हुई है। दशकों पुरानी यह पत्रिका दुनिया के लगभग हर देश में जाती है तीन सौ के करीब भाषाओं में इसका अनुवाद होता है (ऐसी भाषा जिसे आप लुप्तप्राय समझते हैं उसमें भी)
'जेहोवा विटनेस' नाम का संगठन इसे छापता है। ये पत्रिका उतनी संख्या में छपती है, उतना छापना तो दूर हम सोच भी नहीं सकते कि कोई पत्रिका इतनी अधिक संख्या में भी छप सकती है। 930 लाख यानि 9.30 करोड़ कॉपी इसके हर अंक के छपते है। पत्रिका की प्रिंट और पेपर क्वालिटी भी उम्दा होती है।
इस जैसी ही एक पत्रिका और है जिसका नाम है "Awake"
ये पत्रिका भी दुनिया के 221 भाषाओं में अनुवादित होती है और ये त्रैमासिक छपती है; इसका सर्कुलेशन भी करीब-करीब The Watchtower जितना ही है।
यानि इन दोनों पत्रिकाओं का कुल सर्कुलेशन लगभग 18 करोड़ के आस-पास है। और ऐसी ही दर्जनों पत्रिकाएं और हैं जिनके सर्कुलेशन को मिला दे ये आंकड़ा त्रैमासिक रूप से 25 करोड़ के आस-पास बनता है।
आप कल्पना करिए कि क्या हम इसके शतांश या सहस्त्रांश भी छापना तो दूर, छापने की सोच भी सकते हैं? हम आज क्या अगले हज़ार वर्षों तक भी इनका मुकाबला करने में सक्षम होंगे? विचार करियेगा.....
लेकिन इन भयानक झंझावतों में #गीताप्रेस लाइट हाउस की तरह सनातन धर्म के विराट जहाज को थामे हुए है जिसके कल्याणप्रद अंक संभवतः हर सनातनी घर में है।
हिन्दू धर्म के सभी ग्रंथो को निस्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुंचाने का कार्य गीताप्रेस द्वारा पिछले 99 वर्षो से निरंतर किया जा रहा है। गीताप्रेस प्रकाशन उस समय प्रारम्भ किया गया था जब हिंदुओं के पास अपने ग्रंथो की मुद्रित प्रतियां सहजता से प्राप्त नहीं हुआ करती थी, लेकिन मिशनरी लोग बड़ी मात्रा में बाइबल वितरित कर रहे थे, देश में बाइबल की बाढ़ आ गयी थी। आज गीताप्रेस की नि:स्वार्थ भाव से की गयी धर्मसेवा और हिन्दुओ के सहयोग का प्रतिफल है कि गीताप्रेस भारत का सबसे बड़ा प्रकाशक है, जो कि मंदिरनुमा कमरे से ही न्यूनतम मूल्य में शुद्ध एवं उच्चगुणवत्ता की छपाई के साथ निरंतर कार्यरत है। हर घर में तुलसी की रामचरितमानस और गीता जी पहुंचाने में गीता प्रेस का योगदान अवर्णनीय है।
पुस्तकों की श्रृंखला में गीताप्रेस की मासिक पत्रिका कल्याण का प्रकाशन सन 1926 से लगातार हो रहा है। अध्यात्मिक जगत में इस पत्रिका एवं विशेषांकों का, संग्रहणीय साहित्य के रूप में प्रतिष्ठित स्थान है। मैं तो गीता प्रेस से प्रकाशित कल्याण के वार्षिकांक सहेजता हूं और मेरी दृष्टि में गीता प्रेस की पुस्तकें लेना एक यज्ञ ही है।
"कल्याण पत्रिका" के सब्सक्रिप्शन में पूरे परिवार के लिए उपयोगी आध्यात्मिक विषयों पर एक माह विशेषांक दिया जाता है एवं ग्यारह माह पत्रिका प्राप्त होती है।
दीपावली की पावन संध्या पर मैं कल्याण मासिक पत्रिका का वार्षिक सब्स्क्रिप्शन ले रहा हूं जो रजिस्टर्ड पोस्ट से केवल 500 रुपए सालाना पड़ेगा। साधारण डाक से इसका मूल्य केवल 300 रुपए है। यानि इतने कीमत में कल्याण का एक मोटा विशेषांक और 11 मासिक पत्रिका मिलेगा। रजिस्टर्ड पोस्ट से मिलने वाला सब्स्क्रिप्शन लेना ज्यादा सही है क्यूंकि साधारण डाक का ब्यौरा उपलब्ध नहीं रखता डाक विभाग।
"कुछ मीठा हो जाए" वाले लुभावने चॉकलेट पर खर्च तो कर ही रहें हैं इसी में कल्याण पत्रिका का वार्षिक या पंचवर्षीय सब्स्क्रिप्शन भी ले लीजिए तो एक पुण्य तो होगा ही साथ ही घर में संस्कार अपने आप आएगा।
स्वयं लीजिए और बाकियों को प्रेरित कीजिए, इस यज्ञ में एक आहुति सबकी हो।
कल्याण मासिक पत्रिका का सब्स्क्रिप्शन 500 रुपए और 5 वर्ष के लिए वार्षिक 2500 रुपए में है। व्हाट्सएप नंबर 7505419424 पर संपर्क कर सब्स्क्रिप्शन ले सकते हैं। ये गीता प्रेस की एक फ्रेंचाइजी है। कल्याण के जो विशेषांक अमेजन या फ्लिपकार्ट पर डेढ़ से दो गुने दर पर मिलते हैं, वही इस वेबसाइट पर केवल मुद्रित मूल्य पर मिलेगा।
इस दीवाली शुभता की ओर बढ़िए। नेक काम के लिए अग्रिम शुभकामनाएं। वेब-साइट का लिं-क नीचे मिल जायेगा।
(संलग्न चित्र में दिख रहे पुस्तक ही कल्याण के विशेषांक है)
Peace if possible, truth at all costs.