फिल्मी कहते हैं कि उन्हें बोलने नहीं दिया जाता.. वह जमाना था जब कांग्रेस पार्टी के गुंडे जब चाहते थे तब इन फिल्मी भांडो नचनियों को उठा लाते थे...

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फिल्मी भांड  कहते हैं कि उन्हें बोलने नहीं दिया जाता..

वह जमाना था जब कांग्रेस पार्टी के गुंडे जब चाहते थे तब इन फिल्मी भांडो नचनियों को उठा लाते थे...



आजकल के फिल्मी भांड तबलची और नगरवधू कहते हैं कि उन्हें बोलने नहीं दिया जाता भारत में डर लगता है भारत में अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला..


एक जमाने में कांग्रेस ने इन फिल्मी भांड नगरवधुओं तबलचियों  बाजा पेटी वालों का क्या हाल किया था वह आप खुद शबाना आजमी के मुंह से सुनिए ।

शबाना आजमी इंटरव्यू दे रही हैं बातों बातों में इंटरव्यू लेने वाले इरफान ने कहा कि हमने आपके वहां विजुअल्स देखे हैं जो दूरदर्शन की लाइब्रेरी में है जब आप दिल्ली में जीनत अमान के साथ एक कार्यक्रम में खूब डांस कर रही थी और जानबूझकर बार-बार अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा रही थी ।


फिर शबाना आजमी ने कहा कि उन्हें ऐसी कोई कार्यक्रम के बारे में नहीं पता तभी दूरदर्शन की लाइब्रेरी से वहविजुअल प्ले होता है तब शबाना आजमी कहती हैं हां यह संजय गांधी द्वारा कांग्रेस पार्टी के लिए फंडरेजिंग कार्यक्रम में मैं डांस कर रही थी । शबाना आजमी न सिर्फ डांस कर रही थी बल्कि जानबूझकर साड़ी का पल्लू नीचे गिरा रहीं थी ताकि संजय गांधी खुश हो जाए ।


वह जमाना था जब कांग्रेस पार्टी के गुंडे जब चाहते थे तब इन फिल्मी भांडो नचनियों को उठा लाते थे और जब चाहते थे तब अपने निजी कार्यक्रम में किसी कोठे की नर्तकी की तरंह रात भर नचाते थे और यह फिल्मी भांड नाचते-नाचते अपनी साड़ी का पल्लू गिरा कर अपने वक्षस्थल दिखाकर कांग्रेस के गुंडों को खुश करती थी ।


दिल्ली में उस जमाने में एक दो बार की तलाकशुदा महिला थी जिसका नाम था रुखसाना सुल्तान वह बेहद खूबसूरत थी एक बार संजय गांधी से मिली संजय गांधी ने उसे दिल्ली महिला युवा कांग्रेस का प्रमुख बना दिया उसने चांदनी चौक और तुर्कमानपुर गेट पर बूटीक खोल दिया एक दुकानदार से उसका पार्किंग को लेकर विवाद हुआ अगले ही पल 50 बुलडोजर गए और पूरे तुर्कमानपुर के बाजार को गिरा दिया ।


 रुखसाना सुल्तान का ऐसा जलवा था कि वह जिसके घर को चाहती थी बुलडोजर से गिरा देती थी उस जमाने में उसे बुलडोजर वूमेन  कहा जाता था ।


 आज हमारे जो मिलार्ड कहते हैं कि बुलडोजर से न्याय देने की परंपरा गलत है उस जमाने में मिलार्ड एकदम चुप रहते थे किसी के मुंह से बोली नहीं निकलती थी ।


 कुछ समय बाद वह रुकसाना सुल्तान गर्भवती हुई एक लड़की पैदा हुई जिसका नाम अमृता सिंह रखा गया हालांकि आप अमृता सिंह का चेहरा देखेंगे तब आपको पता चल जाएगा कि वह किसकी बेटी हो सकती है ।


 कांग्रेस पार्टी के निजी  कार्यक्रम में किशोर कुमार ने भांड की तरंह गाना गाने से इनकार कर दिया तब ऑल इंडिया रेडियो के कार्यक्रम से संजय किशोर कुमार का बहिष्कार कर दिया गया उस जमाने में गाना बजने का मनोरंजन का सिर्फ एक ही साधन होता था और वह था ऑल इंडिया रेडियो उस पर से किशोर कुमार को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया सभी फिल्म निर्माताओं को आदेश दे दिए गए कि आपको किशोर कुमार से गाना नहीं गवाना है ।


किशोर कुमार को झुकना पड़ा और दिल्ली आ कर किशोर कुमार नाईट करनी पड़ी, जिसमें मुख्य अतिथि संजय गांधी थे ।


और तो और जब नेहरू जी प्रधानमंत्री थे तब मजरूह सुल्तानपुरी ने एक कविता मुंबई के श्रमिक मीटिंग में पढ़ी थी और वह कविता थी ।


मन में ज़हर डॉलर के बसा के,

फिरती है भारत की अहिंसा ।

खादी की केंचुल को पहनकर,

ये केंचुल लहराने न पाए ।

ये भी है हिटलर का चेला,

मार लो साथी जाने न पाए ।

कॉमनवेल्थ का दास है नेहरू,

मार लो साथी जाने न पाए ।


बस इस कविता पाठ पर मजनू सुल्तानपुरी को ढाई साल तक आर्थर रोड जेल में सड़ा दिया गया हमारे सारे जज साहब चुप थे सारे अभिव्यक्ति की आजादी के परोपकार चुप थे ।


मैं बार-बार कहता हूं शासन चलाना कांग्रस को आता है जजों को रगड़ दो कोई भी जज पैजामे  से बाहर हो जाए उसके पूरे खानदान की कुंडली निकाल कर उसे जेल में सड़ा दो कोई भी तबलची फिल्मी भांड अंट संट बोले उसे जेल में डाल दो कोई मीडिया अखबार वाला कुछ लिखें तुरंत इमरजेंसी लगाकर जेल में डाल दो ।


और मजे की बात यह आज यही कांग्रेसी अभिव्यक्ति की आजादी की बात करते हैं और उसी शबाना आजमी का दूसरा पति जावेद अख्तर कहता है आज हमें आजादी से जीने नहीं दिया जाता जिस जावेद अख्तर के दूसरी पत्नी को संजय गांधी  किसी तबायफ की तरंह बुलाकर ना सिर्फ रात भर न नचाते थे बल्कि कहते थे नाचते-नाचते अपनी साड़ी का पल्लू नीचे करो ।

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Peace if possible, truth at all costs.

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