पँजाब में लगभग 40% के आसपास हिन्दू रहते हैं परन्तु क्या किसी को ये पता भी है ? क्योंकि सभी यही जानते हैं कि पँजाब में केवल पग्ग बंधने वाले सरदार ही रहते हैं । इसका कारण है पँजाब के हिन्दू का आवश्यकता से अधिक सेक्युलर होना और अपनी हिन्दू पहचान को दरकिनार करके सिख मत & अन्य गुरु मतों की पहचान में अपने आप को ढालने का असफल प्रयत्न करते रहना ।
*पँजाबी हिन्दू की मानसिकता नीचे लिखित बिंदुओं से समझी जा सकती है :-*
● पँजाबी हिंदुओं का एक बहुत बड़ा वर्ग मंदीरों को छोड़ गुरुद्वारों में अधिक जाता है ऐसा अधिकतर गाँव के लोगों में प्रचलन है । जबकि वहाँ का मुसलमान या ईसाई बहुत कम संख्या में अपनी मस्जिदें और गिरिजाघर आदि छोड़ गुरुद्वारों में जायेगा । इसलिए हर दूसरा पँजाबी हिन्दू पहचान से न सिख रहता है न सनातनी । भटका & लटका ।
● अधिकतर पँजाबी हिन्दू सिखों की देखा देखी अपने सम्पूर्ण हिन्दू रीति रिवाजों को त्यागकर सिखों की मान्यताओं को मानते देखे जा सकते हैं याँ गुरूमतों के पालन के कारण जो सरल हो उसे ही मानते हैं ।
इनको गुरु पर्वों में तो देखा जा सकता है परंतु ये स्वयं के सारे हिन्दू व्रत और त्योहार आदि पालन करना तो दूर उनको जानते भी नहीं हैं ।
● पँजाबी हिंदुओं में बहुत ही अजीब प्रचलन है कि अपनी शादियाँ ये लोग मन्दिरों में पवित्र अग्नि के फेरे लेकर करने के बजाए अब गुरुद्वारे में सिखों के ग्रन्थ के फेरे लेकर (आनन्द कारज) करते हैं । जिसको गुरुओं ने भी कभी नही कहा और सम्पूर्ण हिन्दू वैदिक रीति से गृह प्रवेश आदि के बजाए अपने घर में सिखों का अखंड पाठ रखवाते देखे जा सकते हैं । जबकि सभी गुरुओं ने चारों वेदों & 18 पुराणों की महिमा की है ।
पंजाबी हिन्दू कन्फ्यूज्ड है ।
भटक रहा है ,लटक रहा है & अब पिट भी रहा है ।
● ये प्रचलन भी पँजाबी हिंदुओं में देखने में आया है कि ये लोग अपने बच्चों का यज्ञोपवीत, और मुंडन संस्कार नहीं करवाते बजाए इसके ये लोग सिखों जैसे गुरुद्वारे में जाकर दस्तार बन्धी या सिर पर केश रखकर जूड़ा बना देते हैं । बाद में न केस रखते है न जेनयू ।
भटके & लटके ।
● पँजाबी हिन्दू बच्चों के हिंदी संस्कृत में नाम जैसे कि अरुण, रुद्र, निकिता, लावण्या, स्वाति, चित्रा, प्रितिका, अनिरुद्ध, देव आदि रखने के बजाए महाभ्रष्ट नाम जैसे कि हरप्रीत, गुरप्रीत, जसविंदर, गुरविंदर, हरजीत, बलजीत आदि रखते हुए पाए गए हैं । यह नाम अशुद्ध & अर्थहीन होते हैं & अज्ञानता को हो दर्शाते हैं ।
● ये पँजाबी हिन्दू अन्य राज्यों में जाकर भी अपनी पहचान को वहाँ के स्थानीय हिंदुओं से अलग रखते हैं और गुरुद्वारों में ही बड़ी बेशर्मी से शादियाँ करवाते हैं । वहाँ ये लोग अपने को मोना सिख बताते हैं । भले ही ये लोग स्वयं सिखों से जूते खा रहे हों लेकिन अपनी धौंस ऐसे दिखाएंगे जैसे कि ये बड़े जागिरदार हों ।
● पँजाब का हिन्दू अपने आप को सिखों के जैसे देश से न जोड़कर केवल पँजाब तक ही सीमित रखता है ।
कुल मिलाकर ये लोग अपनी असली हिन्दू पहचान को छोड़कर सिखों जैसे बनने के चक्कर में धोबी के कुत्ते जैसे हो गए हैं और अपनी जड़ों से कट चुके हैं । *ये लोग व्यर्थ की पंजाबियत का वहम पाले हुए हैं । जबकि पँजाब की कौम विशेष से अपमानित होने के बाद भी इनकी गैरत नहीं जगती ।*
अपने।आप को इनको पहचानना ही होगा ।।।।।
Peace if possible, truth at all costs.