आप मुहम्मद से चाहे जितनी नफरत करें लेकिन यह मानने पर मैं विवश हूँ कि वह संसार का सबसे सफल इंफ्ल्यूएन्सर व सार्वकालिक महानतम मास साइकेट्रिस्ट था।
उसने अरब जैसी खानाबदोश जाति में जिस आत्मविश्वास का संचार किया वैसे उदाहरण तो संसार में और भी मिल सकते हैं लेकिन मु स्लिमों की आने वाली नस्लों में इस्लाम के प्रति डिसअट्रैक्शन को रोकने के लिए जो इंतजाम वह करके गया उसका कोई सानी नहीं।
मुहम्मद का सबसे बड़ा डर था- #तर्क। मुहम्मद को अपनी सीमाओं का ज्ञान था कि उसकी शिक्षाओं और विश्वासों की धज्जियां कोई भी तर्कवादी उड़ा देगा इसलिये उसने विधर्मियों से तर्क को 'शैतान का हथियार' घोषित कर दिया और इसके लिए यों तो उसने कई मनोवैज्ञानिक उपाय किये लेकिन मानवमन की विसंगतियों के आधार पर उसके तीन काम मास साइकोलॉजी के मास्टरपीस हैं।
1) #विश्वास_की_ट्रेनिंग :- बचपन में बच्चे के दिमाग में जहन्नुम और किशोरावस्था में जन्नत की हूरों का लालच पैदा करना।
अगर आपने ध्यान दिया हो तो संसार के 90% आत्मघाती हमलावर किशोर ही होते हैं।
2) #एहसानफरामोशी :- मुहम्मद को इंसान की कोमल भावनाओं और अच्छाई की ताकत से बहुत डर लगता था कि मुसलमान गैर मुस्लिमों के अच्छे व्यवहार से सोच सकते हैं कि कहीं उनको गलत पट्टी तो नहीं पढ़ाई गई? इसलिये बच्चों को बचपन से सिखाया जाता है कि अगर 'काफ़िर' तुमसे अच्छा व्यवहार करता है तो इसमें उसकी कोई खूबी नहीं है बल्कि ये अल्लाह का करिश्मा है क्योंकि अल्लाह ने काफ़िर की बुद्धि को दीनदार की खातिर कुछ देर के लिए फेर दिया था।
यही कारण है कि संसार में धन के लिए विश्वासघात व देशद्रोह हर जाति, धर्म में किये गए लेकिन मु स्लिम इसे दीन की खिदमत के नाम पर करता ही नहीं बल्कि जायज भी ठहराता है।
3)#सुपीरियोरिटी_कॉम्प्लेक्स:- बचपन से ही मु स्लिम बच्चे को सिखाया जाता है कि वह शेष संसार से ऊंचा है क्योंकि वह सच्चे 'एक अल्लाह' की इबादत करता है जबकि अन्य धर्म वाले झूठे हैं और उसका फर्ज है कि वह 'बाइ हुक or बाइ क्रुक' कम से कम एक गैर मुस्लिम को इ स्लाम में लेकर आये।
-तो आप चाहे जितने तर्क दे लें वह हार जाने और निरुत्तर होने पर भी टस से मस नहीं होगा बल्कि मन ही मन में यह मानकर खुश हो रहा होगा कि उसने लॉजिक से अपना मुँह मोड़कर 'शैतान' को हरा दिया है।
इसलिये आप तर्क से 'इ स्लामिक आतंकवाद' से विजय नहीं पा सकते।
-अब बात आती है प्यार-मुहब्बत व भाई चारे की और आप चाहे जितनी गंगा-जमनी तहजीब की धार उडेलें व उनके लिए अपना सिर कटवा दें पर वह आपका एहसानमंद कभी नहीं होगा क्योंकि वह मानता है कि ये सब अल्लाह ने 'क़ाफिर' से करवाया है न कि स्वयं काफ़िर ने और फिर वह आपका गला रेतने से भी नहीं हिचकेगा।
-तो #डर ही एकमात्र विधि है जिससे उन्हें झुकाया जा सकता है क्योंकि जब इनमें डर उत्पन्न होगा तब उनका न केवल सुपीरियोरिटी कॉम्प्लेक्स टूटेगा बल्कि विश्वास भी अविश्वास में बदल जायेगा।।
उनमें डर उत्पन्न करने की पहली शर्त है कि
1-राजनैतिक व सामरिक सत्ता सदैव अपने हाथ में रखो क्योंकि सत्ता का आतंक ही इ स्लाम का सबसे बड़ा हथियार रहा है।
2-उन्हें निरंतर एहसास दिलाओ कि उनके पुरखों ने 1947 में पाकिस्तान के लिए वोट देकर कितना नीच व देशद्रोहपूर्ण कार्य किया था।
3-मुहम्मद बिन कासिम से लेकर औरंगजेंब जैसे मुस्लिम सुल्तानों व मुगल बादशाहों के हिन्दू विरोधी अत्याचारों को हाइलाइट करें।
4- जितना संभव हो सके बहिष्कार द्वारा इनपर आर्थिक चोट डालो।
तब जाकर इनके अंदर हिंदुओं की ओर से प्रतिक्रिया का वह 'डर', उत्पन्न होगा जो इनके अंधविश्वास को हिला देगा और तब थोक के भाव #जितेन्द्र_त्यागी और #रामसिंहम बनेंगे।
#द_कश्मीर_फाइल्स इनमें #हिंदू_प्रतिक्रिया का यही #डर पैदा कर रही है और यह डर बढ़ता जाना चाहिये।🌹✍️
भारत में रह रहे मुस्लिम में सर्वाधिक मुस्लिम उच्च शिक्षा प्राप्त कर शासकीय नौकरियों उधोग धंधों को स्थापित कर जीवन यापन कर रहे हैं.लेकिन वह भारत में इस्लामिक राज्य स्थापित करने के पक्षधर हैं,, जिसमें वह अपने नगर महानगर की मस्जिदों मजारों मदरसों को तन मन धन से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग कर रहे हैं.निम्न वर्गीय मुस्लिमों को कुरान की काफ़िर विरोधी खूनी आयतों पर शिक्षित करवाने के लिए.जिससे भारत के प्रत्येक नगर महानगर में काफ़िर हिंदुओं को डराने धमकाने सड़कों गलियों में इस्लाम के अनुयायियों को खड़ा किया जा सके.जबकि वह सज्जनता मानवता वाद सर्व धर्म समभाव बनाए रखने का नाटकीय जीवन जी रहे हैं.भारत में इस तरह के मुस्लिम प्रत्येक गांव नगर महानगर में हैं.काफ़िर हिन्दूओं का सर्वनाश करवाने के लिऐ...
भारत में राष्ट्रवादी हिंदूत्ववादी नेता हि भारत में मुस्लिम कौम को हिंदू बनाने का प्रयत्न करने के लिए.. उनका सर्वांगीण विकास कर रहे हैं,, जबकि वह अपनी संख्या से ही अधिक हिंदू परिवारों को धर्मांतरण कराने और पलायन करने के लिए विवश कर रहे हैं.. जिसमें राज्य सरकारों और भारत सरकार की आर्थिक सामाजिक शैक्षणिक विकास योजनाएं प्राप्त कर मुस्लिम उत्साहित हैं.. वह कुरान की खूनी आयतों को अपने गांव नगर महानगर में लागू करवाने में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभा रहे हैं.. फ़िर भी हिंदू नेताओं को उनके वोट प्राप्त करने के प्रयत्नों स्वरुप मुस्लिमों के लिए भारत में मुस्लिम हितों में आर्थिक योजनाएं बनाकर उन्हें आवास रोज़गार साथ ही फ्री राशन शिक्षा स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करवा रहे हैं..
Peace if possible, truth at all costs.