आईये आपको एक दिलचस्प वाकया सुनाया जाये.☺️
हाँ तो कुछ यूं हुआ......
एक बार कॉलेज में Biology (जीव विज्ञान) क्लास चल रही थी.
उसमें प्रोफेसर साहब सभी को तितली अर्थात Butterfly के जीवन चक्र के बारे में बता रहे थे.
तदुपरांत... प्रोफेसर साहब अपने सभी विद्यार्थी को लैब ले गए जहाँ एक तितली का अंडा (प्यूपा) अपने अंतिम चरण में था और उसमें से एक नई तितली का जन्म होने ही वाला था.
सभी विद्यार्थी सांस रोके खड़े थे और उस अनमोल क्षण को देखने को बेताब थे... जब तितली का बच्चा उस अंडे से बाहर आएगा.
तभी... उस अंडे में थोड़ी सी हलचल हुई और अंडे में एक हल्की दरार आ गई.
उसे देखकर... सभी विद्यार्थियों ने खुशी से किलकारी भरी और सबने उस अंडे पर नजरें गड़ा दी.
तभी... अंडा थोड़ा सा टूटा और तितली का बच्चा छटपटाते हुए उससे बाहर आने का प्रयास करने लगा.
लेकिन, चूंकि वो जन्म का समय था और तितली का वो बच्चा बेहद कमजोर था...
शायद, इसीलिए वो अंडे के उस खोल एक झटके में नहीं तोड़ पा रहा था.
इसीलिए, वो लगातार छटपटाए जा रहा था.. जिससे कि अंडे के खोल में काफी हल्की दरार ही आ पा रही थी.
इसे देखकर... कुछ विद्यार्थी इमोशनल हो गए और उन्होंने प्रोफेसर से कहा कि... कृपया इस अंडे के खोल को तोड़ दें जिससे कि वो तितली का बच्चा आसानी से बाहर सके..
अभी वो बेचारा खोल नहीं तोड़ पाने के कारण बहुत छटपटा रहा है.
लेकिन, प्रोफेसर साहब ने उसे ऐसा करने से मना कर दिया और चुपचाप खड़े होकर देखने के लिए कहा..
और, सभी स्टूडेंट फिर से चुपचाप देखने लगे.
तभी संयोग से प्रोफेसर साहब को प्रिंसिपल का अर्जेन्ट बुलावा आया गया और प्रोफेसर साहब सबको चुपचाप देखने और कोई छेड़छाड़ न करने की ताकीद कर के चले गए.
इधर... तितली के नवजात बच्चे का छटपटाना उसी प्रकार जारी था..
ध्यान से देखने पर मालूम चल रहा था कि... तितली के उस नवजात बच्चे में कुछ लिक्विड जैसा कुछ लगा हुआ था... जिस कारण उसके पंख वगैरह आपस में चिपके हुए थे और वो अंडे के खोल को एक झटके में नहीं तोड़ पा रहा था..
बल्कि, कई बार के छटपटाहट के बाद वो खोल के दरार को थोड़ा बढ़ा ही पा रहा था.
ये सब देखकर... एक विद्यार्थी से नहीं रहा गया और उसने आगे बढ़कर पेंसिल के नोक से अंडे को तोड़ दिया.
अंडे के टूटते ही तितली का वो नवजात बच्चा बाहर आ गया..
लेकिन, आश्चर्यजनक रूप से बाहर आने के बाद वो तितली का नवजात बच्चा... कुछ देर छटपटाता रहा और फिर मर गया.
इतनी देर में प्रोफेसर साहब भी लौट कर लैब में आ गए.
जब उन्होंने तितली के उस बच्चे को मरा हुआ पाया तो उन्होंने विद्यार्थियों से पूछा कि... क्या किसी ने कोई छेड़छाड़ की थी यहाँ ???
तो, उस विद्यार्थी ने उदास भाव से बताया कि... उससे तितली के बच्चे का उस तरह छटपटाना नहीं देखा गया इसीलिए उसने पेंसिल के नोक से अंडे को तोड़ दिया था ताकि बच्चा आसानी से बाहर आ सके.
इस पर प्रोफेसर ने उसे बताया कि... तितली का ये नवजात बच्चा इसीलिए मर गया क्योंकि, तितली के उस बच्चे के स्थान पर तुमने उस अंडे को तोड़ दिया.
क्योंकि, असल में... होता ये है कि... जन्म के समय तितली के बच्चे में एक लिक्विड (प्लेजेंटा/पानी जैसा एक लसलसा पदार्थ) लगा रहता जो उस बच्चे के छटपटाने से हटता जाता है...
और, इससे.. उसके पंख एवं आंख-नाक आदि खुलते जाते हैं.
इसीलिए, जब वो खुद छटपटा कर अपना खोल तोड़ता है तो बाहर आने तक उसके हर अंग फ्री हो चुके होते हैं..
और, वो उड़ पाता है...
तथा, सांस ले पाता है.
लेकिन, चूंकि तुमने... अपने पेंसिल के नोक से खोल को तोड़ दिया इसीलिए उसे बाहर आने के लिए छटपटाना नहीं पड़ा...
और, इस कारण उसके अंग फ्री नहीं पाए... जिससे न तो वो सांस ले पाया और न ही उड़ पाया..
इस तरह अंततः.... वो मर गया.
असल में यही वो सत्य है जिसे लोग समझना नहीं चाह रहे हैं.
आज देश का हिन्दू समुदाय भी अपने खोल से बाहर आने के लिए छटपटा रहा है...
और, प्रोफेसर की भूमिका में मोदी उसे छटपटाता हुआ देख रहे हैं.
हिन्दू रूपी तितली छटपटाते हुए... बहुत आशा भरी नजरों से मोदी को देख रहा है कि वो आगे बढ़कर उसके खोल को तोड़ दे..
ताकि, वो आसानी से बाहर आ सके.
लेकिन, प्रोफेसर मोदी को ये अच्छी तरह मालूम है कि... अगर उसने आगे बढ़कर इस खोल को तोड़ दिया तो फिर हिन्दू रूपी तितली के पंख, आंख, नाक, मुँह आदि फ्री नहीं हो पाएंगे जिस कारण वो आगे सर्वाइव नहीं कर पाएगा.
क्योंकि... आगे सर्वाइव करने के लिए उसके आंख, नाक, मुँह, पंख आदि खुले होने अति आवश्यक हैं.
इसीलिए... हिन्दू समुदाय खोल से बाहर आने के लिए जितना ज्यादा छटपटायेगा तो उसके ऊपर से जातिवाद और सेक्युलरिज्म का लसलसा लिक्विड हटता जाएगा.
और, जब ये लिक्विड उस पर से पूरी तरह हट जाएगा तबतक उसके आंख, नाक, मुँह, पंख एवं हाथों में इतनी ताकत आ चुकी होगी कि वो स्वयं ही उस खोल को तोड़कर बाहर आ जाएगा एवं खुले आसमान में विचरण करने लायक हो जाएगा.
इसीलिए मोई चुपचाप हिन्दू रूपी तितली के बच्चे को छटपटाते हुए एवं अपने ऊपर लिपटे उस लिक्विड को हटाते हुए देख रहा है.
क्योंकि... बिना उस प्लीजेंटा के हटे ही खोल को तोड़ कर तितली को बाहर निकाल देना... एक आत्मघाती कदम होगा.
क्योंकि, उस प्लीजेंटल लिक्विड में लिपटे हुए...
बाहरी हवा में हिन्दू समुदाय का सर्वाइवल बेहद मुश्किल है.
हाँ... इस परिस्थिति में मोदी सिर्फ ये कर रहा है कि वो तितली के उस बच्चे को धारा 370, अयोध्या में राममंदिर, काशी कॉरिडोर आदि के जरिए बीच बीच में उसे हिम्मत दे रहा है ताकि हिन्दू समुदाय निराश होकर अपनी छटपटाहट न छोड़ दे..
साथ ही साथ... वो तितली के इस जन्म लेने वाले बच्चे के लिए एक अच्छा, मजबूत एवं स्वर्णिम देश का निर्माण कर रहा है.
ताकि, जब तितली का वो बच्चा खोल तोड़ कर बाहर निकले तो उसे विरासत में एक गरीब और असहाय नहीं बल्कि विश्वगुरु एवं आत्मनिर्भर देश मिले.
जय महाकाल...!!
Peace if possible, truth at all costs.