ईसामसीह ओर भीष्म पितामह ..

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🔰एक ओर जहां ईसामसीह को सिर्फ चार कीलें ठोकी गई थीं, वहीं भीष्म पितामह को धनुर्धर अर्जुन ने सैकड़ों बाणों से छलनी कर दिया था।


तीसरे दिन कीलें निकाले जाने तक ईसा बेहोश था, वहीं पितामह भीष्म 58 दिनों तक लगातार बाणों की शैय्या पर पूरे होश में रहे और जीवन अध्यात्म के अमूल्य प्रवचन ज्ञान भी दिये तथा अपनी इच्छा से अपने शरीर का त्याग किये थे।


सोचें कि पितामह भीष्म की तरह अनगिनत त्यागी महापुरुष हमारे भारत वर्ष में हुए हैं, तथापि सैकड़ों बाणों से छलनी हुए पितामह भीष्म को जब हमने भगवान नहीं माना, तो चार कीलों से ठोंके गए ईसा को ईश्वर क्यों मानें ?


ईसा का भारत से क्या संबंध है ? 25 दिसंबर हम क्यों मनाएं ? क्यों हम जोकर जैसे कपड़े पहनाकर अपने बच्चों को सेंटा क्लाज बनायें ? क्यों लगाएं अपने घर पर प्लास्टिक की क्रिसमस ट्री ?


कदापि नहीं, इस पाखंड में नहीं फंसना है, न किसी को फंसने देना है। हमारे पास हमारे पूर्वजों की विरासत में मिली वैज्ञानिक सनातन संस्कृति है, जो हमारे जीवन को महिमामय और गौरवशाली बनाती हैं।

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