ऐसा माना जाता है की शेर जानवरों में सबसे खूंखार, शक्तिशाली व एक खतरनाक शिकारी है, शायद इसलिए इसे जंगल का राजा माना जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं की ये अगर अकेला शिकार पर निकलता है तो इसकी शिकार करने की सफलता का क्या प्रतिशत होता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि अगर ये राजा अकेले शिकार पर निकले तो इसकी सफलता का प्रतिशत होगा केवल 17-19%..
मतलब अगर ये एक सौ बार शिकार करने का प्रयत्न करेगा तो केवल 17 से 19 बार ही सफलतापूर्वक शिकार कर पाएगा।
जब ये झुंड में शिकार करते हैं तो ये प्रतिशत फिर भी 30% होता है।
यानी की अमूमन इसे 100 शिकार में से एवरेज 25 शिकारों में सफलता मिलती है। फिर भी हम इसे जंगल का राजा कहते हैं।
मछलियां जो अंडे देती हैं उनमें से आधे अंडे अन्य जीव जंतुओं द्वारा खा लिए जाते हैं।लगभग आधे भालुओं के बच्चे किशोरावस्था में पहुंचने के पहले ही मर जाते हैं। बारिश का अधिकांश पानी सागर में गिरकर खारा हो जाता है।
लेकिन प्रकृति के नियम के हिसाब से ये लोग कभी रुकते नहीं है।
शेर इतने शिकार मिस करके भी डिप्रेशन में नहीं आ जाता, आसूं नहीं बहाता की वो असफल हो गया।
उसके पास यूट्यूब के तथाकथित मोटिवेशनल गुरुओं के वीडियो देखने का ऑप्शन भी नहीं है।
इतने आंधी, तूफान, बाढ़, प्रलय आदि आने पर भी, सबकुछ नष्ट हो जाने पर भी प्रकृति का सृजन नहीं रुकता। वो अनवरत, अनथक चलता रहता है।
लेकिन मनुष्य ही है जिसे सारी चीजों में सफलता चाहिए, बार-बार, लगातार, निरंतर सफलता मिलते रहना चाहिए नहीं तो वो डिप्रेस हो जाता है आशा छोड़ देता है। किसी काम में लगातार असफलता मिलती जाए तो वो काम करना ही छोड़ देता है।
जबकि सफलता की कुंजी तो निरंतर प्रयास करते रहने में ही है।
ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं जब इंसान अनेक बार हारने और असफल होने के बाद भी नहीं रुका और अंततः प्रचंड सफलता हासिल की।
अब्राहम लिंकन, वाल्ट डिज्नी, केएफसी के कर्नल सैंडर्स, थॉमस एडीसन, राइट ब्रदर्स, अमिताभ बच्चन, जे के रोलिंग, चार्ल्स डार्विन, अब्दुल कलाम आदि सैकड़ों नाम हैं जो यदि अपनी असफलताओं से हार मान लेते तो आज दुनियां जैसी है वैसी शायद नहीं होती।
असफलता किसी इंसान के प्रयासों में विफल होने से नहीं मिलती, आदमी असफल तब होता है जब वो प्रयत्न करना छोड़ दे, गिरने पर वो फिर से उठ खड़ा होकर चलना छोड़ दे।
फर्ज कीजिए अगर आप बचपन में चलने का प्रयास करते हुए गिरने के डर से प्रयत्न करना छोड़ देते तो क्या आज अपने पैरों पर खड़े हो पाते, चल पाते।
दरअसल आदमी तब हारता है जब वो हार मान लेता है। जो मनुष्य कभी हार ही नहीं मानता उसे हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
इसलिए कहा जाता है कि सफलता की कुंजी निरंतर प्रयास करते रहने में निहित है।
Peace if possible, truth at all costs.