कनाडा मूल के एक एक्स मुस्लिम अली सीना जिन्होंने मुहम्मद पैगम्बर और इस्लाम का गहरा एवं बारीकी से अध्ययन किया और इस्लाम त्याग दिया…
इस्लाम त्याग देने के बाद उन्होंने किताब लिखी,
“Understanding Muhammad : A Psychobiography of Allah‘s Prophet”
जो मुहम्मद साहब की जीवनी पर एक बेजोड पुस्तक है!
अली सीना ने इस किताब के जरिये *मुहम्मद पैगम्बर पर दस अत्यन्त भीषण आरोप* लगाए है, जो इस तरह है…
*खुदगर्ज*, अपनी ताकत के लिए कुछ भी करने वाला…
छोटे बच्चों से सेक्स कर सेक्स की तरफ आकर्षित होने वाला…
पुरे समुदाय का हत्यारा…आतंकवादी…
औरतो से घृणा करने वाला…किसी भी प्रकार की औरत से यौन सम्बन्ध बांधने वाला…बलात्कारी…
अपना समुदाय बनाकर खुद के नियम लागु करने वाला…
पागल इंसान…
यातना (कष्ट) देने वाला…
प्रमुख व्यक्तिओ को मारने* *वाला…चोर, डाकू डकैत…!
अली सीना ने दुनिया के १६० करोड मुसलमानो को चेलेंज किया है कि मेरे इन लगाए आरोपो को कोई भी गलत साबित करदे तो में उन्हें ५०००० $ (डॉलर) इनाम के तौर पर दूंगा
बस शर्त यही है की जो भी ये चेलेंज स्वीकार करता हे उसने उनकी लिखी किताब Understanding Muhammad पढी हो…?
अब हुआ यह कि बहुत से विद्वानों ने इस चेलेंज को स्वीकार किया और शास्त्रार्थ करने के लिए किताब पढ़ी तो उन्होंने भी इस्लाम को त्याग दिया,और कई लोग त्यागने वाले भी है…!
अभी तक कोई मुल्ला,मौलवी, या मुफ़्ती इनको पराजित नही कर सका हे कई लोग तो इनके ब्लॉग पढकर ही इस्लाम छोड़ देते है…!!!
Download free PDF Understanding Muhammad
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https://drive.google.com/file/d/1heAFLMW_4fM7M3VJBIpWPSrr1ZNzFXFe/view?usp by=drivesdk
खैर “मुहम्मद” दूल्हा हुए, माई खुदिजा के पति बन उसकी जानो माल के मालिक और रक्षक बने। बचपन में गरीब हो गए थे, बहुत दिनों तक माँ की ममता का सुख न देखा था। इस ओरत से ब्याह कर लेने पर दोनों मुरदे मिल गई। मुहम्मद उसे चाहे जो भी कहे, परन्तु हम तो उसे माई खुदिजा ही कहेंगे, वह हमारी माँ है और आर्य शास्त्रों में एक हालत में ओरत को माँ कहा भी है यह माई खुदिजा की तीसरी शादी थी, माई खुदिजा से मुहम्मद की छः संताने हुई जन्मे दो लडके और चार लड़कियाँ थी, पहला लडका कासिम जो दो बरस का होकर मर गया और दूसरा भी जो बिलकुल बच्चा ही था चल बसा।
“सिरतुल्नबी’ मौलाना शबली कृत”
डाक्टरों की राय है कि ओरत 40 या 45 वर्ष की उमर तक बच्चे पैदा कर सकती है मगर उस उमर के बच्चे ज्यादा दिन तक जिंदा रहने वाले नहीं होते। मतलब यह है कि अगर बच्चे पैदा करने के लिए शादी करनी हो तो औरत यह उमर इस मतलब के लायक नहीं और खुदिजा की उमर इस एतबार से शादी करने के लायक न थी। मुहम्मद अकेले में रहना अधिक पसंद करते थे, ख्यालात की दुनियां में मस्त रहते थे, पहाड़ो में, जंगलो में मैदानों में रेगिस्तानों में, घर के कोने(एकांत) में जा बैठते और अपने दिल से बातें किया करते थे। यही पागलपन इनकी पैगम्बरी की बुनियाद(जड़) थी। अगर रोटी रोजी की फिकर होती तो यह आजादी कहां मिलती? और पैगम्बरी का दावा क्यों कर होता? खुदिजा की शादी ने ऐसी दैविक प्रेरणा मुहम्मद के साथ की कि ऐसा समय आ उपस्थित हुआ।
(पुस्तक:- ‘रंगीला रसूल’, लेखक:- पंडित चमूपति एम.ए, पृष्ठ 16)
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✍️ *नोट* : *कृपया आप इसको अपने समझदार, उदारतावादी मित्रों तक पहुंचाएं।*
ताकि वह सब वास्तविकता को जानकर आश्चर्य होगा तब जाकर अपनी मान्यता पर पुन:विचार करेगा।
लेखक का निवेदन है कि प्रत्येक व्यक्ति (नॉन मुस्लिमों) सेकूलरो को भी इसे पढ़नी चाहिये।
Peace if possible, truth at all costs.