It's bitter.. but it's okay!!!!
Marriage rituals are important nothing else
Is dancing and singing called marriage, is it called marriage to create chaos after drinking alcohol, is it called wedding to party with relatives and friends? Playing DJ is called marriage, spending money on dancing people is called marriage, 20-25 boxes of liquor is called marriage?
People say that we are preparing for marriage since eight 8 months and when Pandit ji asks for supari they say hey he forgot what was the most important thing that was you forgot marriage material and by the way you from 10 months What were you preparing for the marriage?
Today you want to show off, do a lot, but the real work which is called marriage, do not count the work, will spend 6 hours dancing, 4 hours meeting guests', will spend 3 hours in Jaimala, 4 hours in clicking photos I will put it in front of Pandit ji and will say Pandit ji hurry up hurry up, Pandit ji is also poor what to do, he also says everything is swaha swaha when you want to be ruined yourself, is it necessary for Pandit ji to stay awake whole night? They also have to find another job they also have to run their livelihood, means they don't have time for real work. I say tell all your relatives, relatives, friends, brothers, brothers, brothers to do this work of Pharma at a temple, cowshala, ashram, or religious place.
Where drunk where bones are thrown will the marriage house that palace complex come to bless you, you have to dance, jump, eat and drink whatever you have to do before or after the wedding day but a moment of marriage Ensure that day only and only marriage related rituals should be done, and do this auspicious work in some holy place. In which Guru Jan comes, the elders of the house are blessed.
You think for yourself, is there any good work in our house where everyone comes and you forget your God and all your gods.
I request you not to include the subjects prohibited in religious activities or any other religious celebrations not held with alcohol.
Now it seems that there is a show-off in the name of marriage and nothing else...
बात कड़वी है.. पर ठीक है!!!!
विवाह के रस्मे महत्वपूर्ण है अन्य कुछ भी नही
क्या नाचने गाने को विवाह कहते हैं, क्या दारू पीकर हुल्लड़ मचाने को विवाह कहते हैं, क्या रिश्तेदारों और दोस्तों को इकट्ठा करके दारु की पार्टी करने को विवाह कहते हैं ? डीजे बजाने को विवाह कहते हैं, नाचते हुए लोगों पर पैसा लुटाने को विवाह कहते हैं, दारू की 20-25 पेटी लग जाए उसको विवाह कहते हैं ?
विवाह उसे कहते हैं जो बेदी के ऊपर मंडप के नीचे पंडित जी मंत्रोच्चारण के साथ देवताओं का आवाहन करके विवाह की वैदिक रस्मों को कराने को ही तो विवाह कहते हैं।
लोग कहते हैं कि हम आठ 8 महीने से विवाह की तैयारी कर रहे हैं और पंडित जी जब सुपारी मांगते हैं तो कहते हैं अरे वह तो भूल गए जो सबसे जरूरी काम था वह आप भूल गए विवाह की सामग्री भूल गए और वैसे तुम 10 महीने से विवाह की कोन सी तैयारी कर रहे थे।
आज आप दिखावा करना चाहते हो करो खूब करो मगर जो असली काम है जिसे सही मायने में विवाह कहते हैं वह काम गौण ना करे, 6 घंटे नाचने में लगा देंगे, 4 घंटे मेहमानो से मिलने में लगा देंगे', 3 घंटे जयमाला में लगा देंगे, 4 घंटे फोटो खींचने में लगा देंगे और पंडित जी के सामने आते ही कहेंगे पंडितजी जी जल्दी करो जल्दी करो , पंडित जी भी बेचारे क्या करें वह भी कहते है सब स्वाहा स्वाहा जब तुम खुद ही बर्बाद होना चाहते हो तो पूरी रात जगना पंडित जी के लिए जरूरी है क्या उन्हें भी अपना कोई दूसरा काम ढूंढना है उन्हें भी अपनी जीविका चलानी है, मतलब असली काम के लिए आपके पास समय नहीं है।
मेरा कहना यह है कि आप अपने सभी नाते, रिश्तेदार, दोस्त ,भाई, बंधुओं को कहो कि आप जो यह फेरों का काम है वह किसी मंदिर, गौशाला, आश्रम या धार्मिक स्थल पर किसी पवित्र स्थान पर ही करें ।
जहां दारू पी गई हों जहां हड्डियां फेंकी गई हों क्या उस मैरिज हाउस उस पैलेस कंपलेक्स मैं देवता आशीर्वाद देने के लिए आयेंगे, आपको नाचना कूदना, खाना-पीना जो भी करना है वह विवाह वाले दिन से पहले या बाद में करे मगर विवाह का कोई एक मुहूर्त का दिन निश्चित करके उस दिन सिर्फ और सिर्फ विवाह से संबंधित रीति रिवाज होने चाहिए , और यह शुभ कार्य किसी पवित्र स्थान पर करें। जिस मै गुरु जन आये, घर के बड़े बुजुर्गों का जिसमें आशीर्वाद मिले ।
आप खुद विचार करिये हमारे घर में कोई मांगलिक कार्य है जिसमें सब आये और आप अपने भगवान को ही भूल जाऐं अपने कुल देवताओं को ही भूल जाये।
मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है कि विवाह नामकरण या अन्य जो भी धार्मिक उत्सव है वह शराब के साथ संपन्न ना हो उन में उन विषय वस्तुओं को शामिल ना करें जो धार्मिक कार्यों में निषेध है ।
विवाह के नाम पर दिखावा चल रहा है और कुछ नहीं...
भाई दूल्हे का तो अपनी दुल्हन को फ्लाइंग किस देना समझ में आता है लेकिन दूल्हे के आसपास खड़े तमाम सज्जन भी फ्लाइंग किस क्यों दे रहे हैं ? फिर के आगे के प्रोग्राम में भी यह तमाम सज्जन मौजूद रहेंगे क्या ?
भारत में तेजी से नव धनाढ्य वर्ग उभर रहा है ...नव धनाढ्य यानी ऐसे लोग जिनके पास अचानक बहुत ज्यादा पैसा आ गया फिर यह वर्ग खुद को ज्यादा अमीर ज्यादा अधिक दिखाने के चक्कर में उल जुलूल हरकतें करता रहता है
हम सब ने मुकेश अंबानी के सभी संतानों के विवाह का वीडियो सोशल मीडिया पर देखा है कितने सनातन संस्कृति के अनुसार विवाह समारोह हो रहा था खुद नीता अंबानी ने वैष्णव भजन गाया एक एक सनातन संस्कृति का पूरा पालन किया गया
गौतम अडानी हो या तमाम उद्योगपति हो किसी के सन्तानो विवाह समारोह में इस तरह से भोंडा प्रदर्शन नहीं होता
लेकिन जिसके पास नई-नई दौलत आ जाती है वह समाज में अपनी दौलत दिखाने के लिए और अपने आप को अत्याआधुनिक दिखाने के लिए यह सब हरकतें करता रहता है
लेकिन यह हरकतें सिर्फ हिंदू ही करते हैं किसी मुस्लिम के पास कितना भी पैसा आ जाए वह कभी अपने धर्म से दूर नहीं होता
Peace if possible, truth at all costs.